1% का नियम
By Tommy Baker
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1% का नियम
प्रक्रिया से प्रेम कैसे करें और अपने सुनहरे सपने कैसे साकार करें
लेखक: टॉमी बेकर
फीचर फिल्म की चकाचौंध और माइक्रोवेव वाले संसार में - आपको यह विश्वास दिलाया जाता है कि सफलता बस मोड़ पर ही हैः
यह कामयाब नहीं हो रहा है।
न सिर्फ आपके लक्ष्य हासिल करने की योग्यता कुंद हो रही है, बल्कि आप कभी इतने ज्यादा कुंठित, फँसे हुए, तनावग्रस्त और असंतुष्ट भी नहीं रहे, जितने कि आज हैं।
ज्यादातर व्यक्तिगत विकास बडे और साहसी सपने के बारे में है, लेकिन इन दिनों हमारे पास महत्वाकांक्षा या स्वप्नदर्शियों की कमी नहीं है...
कमी तो परिणाम और क्रियान्वयन की है।
लेकिन क्या हो, अगर अपने जीवन की अनूठी कृति का सृजन करते समय शोर-शराबे को बंद करने, प्रक्रिया से प्रेम करने और हर दिन एक कदम आगे बढाने का तरीका हो?
1 प्रतिशत नियम में आपका स्वागत है - एक दैनिक प्रणाली, जिसे इस तरह तैयार किया गया है, ताकि आप निराशाजनक अतीत और सुनहरे भविष्य के बीच की खाई को पाट सकें।
1 प्रतिशत नियम तीन बुनियादी प्रश्नों के जवाब देने के लिए लिखी गई थीः
क्या कारण है कि कुछ लोग हर चीज़ में बेहद सफल होते हैं, जबकि बाकी अपनी ही प्रगति में बाधक बन जाते हैं?
जो लोग एक मौसम, एक तिमाही, एक महीने या एक सप्ताह तक रोमांचित तथा प्रेरित रहते हैं, उनमें और हमेशा प्रेरित व उत्साहित रहने वाले लोगों में क्या फ़र्क़ होता है?
शिद्दत से काम करने वाले लोगों के बुनियादी सिद्धांत, मानसिकताएँ, आदतें व क्रियापद्धतियाँ क्या हैं? दूसरी ओर, लंबे पशोपेश या अति सोच-विचार के हाशिये पर बैठे लोगों के बुनियादी सिद्धांत, मानसिकताएँ, आदतें व क्रियापद्धतियाँ क्या हैं?
... पिछले दशक में हमने हजारों लोगों के साथ असल संसार में इन प्रश्नों के जवाब खोजे और उनका परीक्ष
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1% का नियम - Tommy Baker
1% का नियम
प्रक्रिया से प्रेम कैसे करें और अपने सुनहरे सपने कैसे साकार करें
लेखक: टॉमी बेकर
www.ResistAverageAcademy.com
अनुवादक: डॉ. सुधीर दीक्षित
कॉपीराइट © 2018 टॉमी बेकर
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––––––––
Publishing Services Provided by
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समर्पण
टेलर को - आप हर दिन मुझे प्रेरित करती हैं और सृजन के हर काम में मेरा
समर्थन करती हैं।
प्रेरित हों और अपने सपनों का जीवन जिएँ!
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क्या आप प्रेरित होने के लिए तैयार हैं? हर सप्ताह दिलचस्प चर्चाएँ सुनने के लिए हमारे साथ जुड़ें, जिनमें आपको अपने सपनों का जीवन जीने के लिए आवश्यक ज्ञान, प्रेरणा तथा व्यावहारिक कार्य क़दम प्रदान किए जाते हैं! हमारे उच्च-स्तरीय पॉडकास्ट तथा कोचिंग मंच Resist Average Academy से आपको सिर्फ़ इतना ही नहीं, इससे भी
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विषय वस्तु
प्रस्तावना
अध्याय 1 : भ्रांतियाँ
अपेक्षा की भ्रांति
आदर्श होने की भ्रांति
आदर्श टाइमिंग की भ्रांति
चुनौती की भ्रांति
रातोरात सफलता की भ्रांति
अध्याय 2 : 1% का नियम
यह क्यों काम करता है
गणित
इसका इस्तेमाल कैसे करें
जानें, करें, बनें
कोड
अध्याय 3 : संभावना
अटल नींव
इसे हर दिन करें
आप जो बन रहे हैं, उससे प्रेम करें
विश्वास एक मांसपेशी है
अध्याय 4 : कोड
अनिर्णय : स्वप्न का हत्यारा
1: प्रक्रिया से प्रेम करें
2: इसे हर दिन करें
3: अपने समर्पण का जश्न मनाएँ
4: अपनी संख्याओं और आँकड़ों की निगरानी करें
5: अपनी कला में माहिर बनें
अध्याय 5 : एकाग्रता की शक्ति
गहरा काम
लत बदल लें
जीवन के मौसम
नियम 1: निर्मम सीमाएँ बनाएँ
नियम 2: दोगुना नहीं कहें
नियम 3: अभ्यास के प्रति समर्पित हों
महारत के साधन
पोमोडोरो तकनीक
सुपरहाइवे की मरम्मत
अध्याय 6 : लगन
लगन, परिभाषा।
लगन बढ़ाना
क्रोध का सहारा लें
क्या आप इसे पर्याप्त बुरी तरह चाहते हैं\
आरामदेह अवस्था लगन को मार डालती है
जिस तरह आप एक चीज़ करते हैं, उसी तरह हर चीज़ करते हैं
अध्याय 7 % सहनशक्ति
सहनशक्ति मुश्किल होती है
रातोरात सफलता का एक दशक
आपका पहाड़ आपका है
विलंबित संतुष्टि से प्रेम करें
हमेशा आगे बढ़ते रहें
यात्रा पर गौर करें
सहनशक्ति बढ़ाएँ
अध्याय 8: 1% ब्लूप्रिंट
1% सवाल
पार्किन्सन का नियम
सवाल का जवाब दें
ईमेल और सोशल मीडिया इंतज़ार कर सकते हैं
ऑडिट करके जगह बनाएँ
प्रतिरोध
दैनिक खेल
अध्याय 9 : अपने स्वप्न को स्पष्ट बनाएँ
जाने दें
अपना अमर चित्र बनाएँ
ध्रुव तारा
टेस्ट ड्राइविंग
एरिजोना
टाइट रोप
समर्पण
अपना स्वप्न बुनें
विश्वास ही रहस्य है
अध्याय 10 : अपनी भावी सफलता को वर्तमान में बनाएँ
कैसे को रहने दें
क्या होने की ज़रूरत है?
अपने बड़े पत्थरों को पहचानें
बड़े पत्थर को तोड़ें
साप्ताहिक पत्थर और काम हटाना
बड़े पत्थरों से 12 सप्ताह तक
12 सप्ताह से 1% प्रतिदिन तक
दैनिक सवाल
अध्याय 11 : अवरोध
यह ज़रूरत से ज़्यादा सरल है
लेकिन मैं ज़्यादा बड़े परिणाम चाहता हूँ
लोग ज़्यादा सफल हो रहे हैं
मैं दर्द में हूँ
यह नीरस लगता है
यह सही समय नहीं है
मुझे समझ नहीं आ रहा है कि कैसे
लोग क्या सोचेंगे?
आपके बहाने अब जायज नहीं हैं
अध्याय 12 : तात्कालिकता और जवाबदेही
प्रेरणा का सृजन करें
कृत्रिम तात्कालिकता
महारत और जवाबदेही
निर्मम जवाबदेही
आपका मित्र समूह काम नहीं आएगा
जवाबदेही के स्तंभ
मार्गदर्शन और कोचिंग
जीवन और मृत्यु
अध्याय 13 : सारी चीज़ों को एक साथ रखना
संतुलन की भ्रांति
रणनीतिक अलगाव
सामयिक अलगाव
वास्तविकता व्यवधान डालती है
जीवन के मौसम
अध्याय 14 : यह आपका समय है
मैदान में पहुँचें
बर्बाद क्षमता
आपका समय यही है
स्काईडाइविंग और सपने
अगर आप नहीं बदलते हैं, तो कुछ नहीं बदलेगा
आपको अपनी आत्मा का साथी टिंडर पर नहीं मिलेगा
जानें कि क्या करना है
100 कारण कि आप इसके योग्य क्यों हैं
अब यह शुरू होता है
संसाधन
संसाधन
संदर्भ ग्रंथसूची
1% नियम का समर्थन करें
प्रस्तावना
हमारी वर्तमान प्रणाली कारगर नहीं हैं।
लक्ष्य तय करने और उन्हें पाने तक प्रेरित बने रहने की हमारी प्रणाली कारगर नहीं है। यही नहीं, साथ ही उपलब्धि तथा संतुष्टि के नए स्तरों को लगातार छूने व उनके पार जाने की प्रणाली भी कामयाब नहीं है।
पाँच साल पहले मैंने कुछ बुनियादी सवालों का जवाब खोजने का बीड़ा उठाया और इसमें ख़ुद को पूरी तरह झोंक दिया। ग़ौर करें, इस दौरान जवाबों की खोज में मैं ख़रगोश के बिल में काफ़ी नीचे तक गया हूँ।
एक तरह से देखने पर ये सवाल सरल दिखते हैं, लेकिन दूसरी तरह से देखने पर ये अविश्वसनीय रूप से बेहद जटिल भी लग सकते हैं।
इनमें ये सवाल शामिल हैं:
क्या कारण है कि कुछ लोग हर चीज़ में बेहद सफल होते हैं, जबकि बाकी अपनी ही प्रगति में बाधक बन जाते हैं?
जो लोग एक मौसम, एक तिमाही, एक महीने या एक सप्ताह तक रोमांचित तथा प्रेरित रहते हैं, उनमें और हमेशा प्रेरित व उत्साहित रहने वाले लोगों में क्या फ़र्क़ होता है?
शिद्दत से काम करने वाले लोगों के बुनियादी सिद्धांत, मानसिकताएँ, आदतें व क्रियापद्धतियाँ क्या हैं? दूसरी ओर, लंबे पशोपेश या अति सोच-विचार के हाशिये पर बैठे लोगों के बुनियादी सिद्धांत, मानसिकताएँ, आदतें व क्रियापद्धतियाँ क्या हैं?
ये सवाल मुझे स्व-खोज तथा विकास की व्यक्तिगत यात्रा पर ले गए। सर्वश्रेष्ठ लोगों से सीखने की खातिर मैंने पूरे संसार की यात्रा की। इन सवालों के जवाब ढूँढने के लिए मैंने सेमिनारों, प्रोग्रामों, कोर्सों और मार्गदर्शकों पर लाखों डॉलर ख़र्च किए। इनकी बदौलत ही मैंने कंटेंट प्लेटफॉर्म, पॉडकास्ट और कोचिंग तथा परामर्श का व्यवसाय शुरू किया। इनकी बदौलत ही मैंने अपनी पहली पुस्तक लिखी और मुझे बहुत गहन अनुभव हुए।
मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी। किसी एक पृष्ठभूमि में इन सवालों के जवाब तलाशने के बजाय मैंने हर पृष्ठभूमि में उन्हें आज़माकर देखा। कई बार शारीरिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में, जहाँ मैं अपने शरीर को सीमाओं तक धकेलता था। तो कभी यह गहन आध्यात्मिक रिट्रीट या कायाकल्पकारी अनुभव होता था। उद्यमिता और संपत्ति-निर्माण की पृष्ठभूमि में भी मैंने इन्हें आज़माया है।
मेरे ज्ञान की प्यास बुझ ही नहीं रही थी।
इस दौरान मुझे उन सवालों के जवाब मिलने लगे, जिन्हें मैं लंबे समय से जानना चाह रहा था। मैं अलग-थलग दिखने वाली पृष्ठभूमियों के बिंदुओं को आपस में जोड़ने लगा। आख़िरकार मुझे जवाब समझ आने लगे।
सबसे अहम बात, मुझे अपने जीवन में भी इस परिवर्तन का अनुभव होने लगा। सोचने और काम करने की मेरी पुरानी आदतें छूटने लगीं। मैं नई वास्तविकताओं तथा अनुभवों में पहुँचने लगा।
इससे मुझे इस सत्य का प्रबल आभास हुआ:
कोई भी चीज़ आपको और मुझे पर्वत शिखर पर मौजूद उन लोगों से अलग नहीं करती है, जिन्हें हम प्रशंसा और सम्मान भरी नज़रों से देखते हैं - हम एक समान हैं।
एकमात्र अंतर यह है कि उनकी सफलता की परिभाषा तथा अनुभूति अलग है, लक्ष्य तय करने के मामले में वे पूरी तरह स्पष्ट रहते हैं और उनका व्यवहार व आदतें भिन्न होती हैं। मुझे यह भी अहसास हुआ कि प्रबल क्रियान्वयन की अवस्था में पहुँचने से पहले हमें कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण, लेकिन आम भ्रांतियों को भी छोड़ना होगा। जब हम इन नई आदतों को अपनाने में कामयाब हो जाएँगे, तो हमें भी सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा।
शोध और प्रायोगिक प्रशिक्षण की दशकों लंबी यात्रा के बाद मुझे ज्ञान और सत्य का यह साक्षात्कार हुआ। यही मुझे उस पुस्तक के सृजन की ओर ले गया, जिसे आप इस वक्त पढ़ रहे हैं।
मेरी पहली पुस्तक थी अनरिजॉल्यूशन। यह लक्ष्य-प्राप्ति की प्रतीक्षा करने की मानसिकता छोड़ने के बारे में थी, ख़ास तौर पर नए साल की भ्रांति। यह नई पुस्तक उस आजीवन मानसिकता को डालने के बारे में है, जो हमें अविश्वसनीय उपलब्धि की ओर ले जाएगी। साथ ही यह हमें इस बुनियादी मानवीय इच्छा से संबंधित गहरी संतुष्टि की ओर भी ले जाएगी, कि हम कल के मुकाबले आज बेहतर बनें।
1% नियम के सृजन के पीछे मेरा अनुभव था। दरअसल मैंने देखा था कि बहुत से बेहतरीन लोग बुलंद इरादों के बावजूद कभी इतनी मेहनत नहीं कर पाते हैं कि उन्हें मनचाहे परिणाम मिल जाएँ। अंततः निराश होकर वे अपने सपनों को छोड़ देते हैं, अपनी कंपनी के ऑफिस दोबारा लौट जाते हैं, अपने स्वास्थ्य के लक्ष्य भूल जाते हैं, अपने संबंधों में विरक्त हो जाते हैं और हर तरह की सक्रियता छोड़कर निष्क्रिय बन जाते हैं।
समय गुज़रने के साथ उनके सपने धुँधले होते जाते हैं और दूर की याद बनकर रह जाते हैं। वे बरसों तक लीक में ही अटके रहेंगे और हर जन्मदिन पर बदतर महसूस करेंगे, जब तक कि वे अंततः हार मानकर यह निर्णय नहीं ले लेंगे कि वे ऐसे ही रहने के लिए अभिशप्त हैं।
यदि यह वर्णन आपको जाना-पहचाना लगता है, तो चिंता न करें। यदि आपको ऐसा महसूस होता है कि आपको इस लीक से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मालूम, तो भी चिंता न करें: आपके लिए एक बेहतर रास्ता है, जिसे आप इसी समय चुन सकते हैं। इस पुस्तक के सिद्धांत आज़माए हुए हैं और हमने जीवन के बहुत से क्षेत्रों के हज़ारों लोगों पर इनका परीक्षण किया है, जिनकी इच्छाएँ तो अलग-अलग हैं, लेकिन मकसद एक ही है:
वे आज जहाँ हैं और वे कल जहाँ पहुँचने की तस्वीर देखते हैं, वे उन दोनों जगहों के बीच की खाई को पाटना चाहते हैं।
यदि आप भी ऐसा ही करना चाहते हैं, तो आपका भी यही ऐलान होना चाहिए। मैं यह मानकर चल रहा हूँ कि आप इस तरह की यह पहली पुस्तक नहीं पढ़ रहे हैं - और मैं विनम्रता से इसकी क़द्र करता हूँ। मेरा उद्देश्य है आपको एक नया दृष्टिकोण देना, आपने ख़ुद पर जो भारी दबाव ओढ़ रखा है उसे हटाना और आपको एक ऐसी प्रणाली देना, जिसका इस्तेमाल आप अगले साल या अगले दशक में या जीवन भर भी कर सकें।
क़दम उठाने का सही समय यही है, क्योंकि ‘‘आदर्श समय’’ जैसी कोई चीज़ नहीं होती। अगर आप इस पुस्तक को पढ़ रहे हैं, तो इसके पीछे कोई कारण है - और हमारे पास बर्बाद करने के लिए वक्त नहीं है।
अध्याय 1: भ्रांतियाँ
आपसे झूठ बोला गया है।
स्पोर्ट्ससेंटर, इंस्टाग्राम, हॉलीवुड अवार्ड शो, यहाँ तक कि शादी के कमाल के फोटो, जिन्हें सही प्रकाश में कैमरे में क़ैद किया गया था। यह न भूलें कि सोशल मीडिया की जो तस्वीर अति सुंदर दिखती है, उसे 31 फोटो खींचने और एडिटिंग की कष्टकारी प्रक्रिया के बाद इतना सुंदर बनाया गया है। यह आपका प्रिय अभिनेता या अभिनेत्री है, जो रेड कारपेट पर चल रहा है।
ये सभी उदाहरण एक सरल, लेकिन संकटपूर्ण सच्चाई को बताते हैं:
हम जीवन की फ़ीचर फ़िल्म की चकाचौंध से ग्रस्त होते हैं।
चाहे किसी खिलाड़ी ने मैच में दो मिनट से भी कम समय बचने पर गोल किया हो, जिसकी बदौलत टीम ने चैंपियनशिप जीत ली, किसी अकादमी अवार्ड के लिए नामांकित फ़िल्म को पुरस्कार मिलना हो या सिर्फ़ वित्तीय लक्ष्य हासिल करना हो, हमारी संस्कृति और समाज में एक गहरी भ्रांति फैली हुई है:
सफलता एक पल में मिलती है - और यह रातोरात मिल सकती है।
यही नहीं, सफलता वैसी ही दिखती और महसूस होती है, जैसा फ़िल्मों में दिखाया जाता है - चमक-दमक, संगीत और आनंद का पल, जहाँ आप बिलकुल ही अलग दुनिया में पहुँच जाते हैं। पॉप संस्कृति हो, उद्यमिता हो या सोशल मीडिया की पोस्ट्स का अंतहीन चक्र हो, हर जगह हम इसी भ्रांति के शिकार होते हैं और यह हर दिन हमारे ख़ुद के महत्व को चूर-चूर करती चली जाती है।
यह इस भ्रांति को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ने का समय है। यह करने के बाद ही आप वह यात्रा कर सकेंगे, जो आपको अपने लक्ष्यों और परिणामों की ओर ले जाएगी। इससे आप वास्तविक अपेक्षाएँ रखने में सक्षम होंगे। इससे आप दीर्घकालीन गहनता और निरंतरता का महत्व भी समझ सकेंगे, जिनके बिना आप अपने सबसे बड़े सपनों को हासिल नहीं कर सकते।
बहरहाल, इसका एक और विकल्प है - आप जहाँ हैं, वहीं रुके रहें:
अटके हुए, कुंठित और इंतज़ार करते हुए, आशा करते हुए और प्रार्थना करते हुए कि कोई चीज़ बदल जाए।
नहीं, धन्यवाद।
हम अपनी यात्रा उन मूल भ्रांतियों की जाँच से शुरू करते हैं, जो सफलता और विश्वास के बारे में हमारे अंदर भरी गई हैं। हम यह देखेंगे कि वे बाधाएँ क्यों हैं और 1% का नियम उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए कैसे हटा देता है।
अपेक्षा की भ्रांति
कल्पना करें कि आप और मैं कार से एरिजोना से वेनिस, कैलिफोर्निया जा रहे हैं। वहाँ हम अपने मित्रों से मिलकर कुछ दर्शनीय स्थल देखेंगे और समुद्र तट पर सुकून से आराम करेंगे। कार मैं चला रहा हूँ। गैस टैंक लबालब भरा है, धूप खिली है और हमारे पास गानों की एक बेहतरीन प्लेलिस्ट है, जिन्हें हम गला फाड़कर गाने वाले हैं। हम जब यात्रा पर निकलते हैं, तो हमें उम्मीद होती है कि हम छह घंटों में वहाँ पहुँच जाएँगे।
यात्रा काफ़ी सीधी है, लेकिन कैलिफोर्निया के क़रीब ट्रैफिक हमेशा ज़्यादा रहता है। इस यात्रा के लिए एक घंटे का मार्जिन रखना वास्तविक और संभव लगता है। हम उत्साहित हैं और हम पहले से ही मंसूबे बाँध रहे हैं कि वहाँ पहुँचने के बाद कितने मजे करेंगे। हमारा मन इस नतीजे पर पहुँच चुका है कि यही वह कहानी है, जिसमें हम क़दम रखने वाले हैं और हम इतने ज़्यादा रोमांचित हैं, जितने कभी नहीं रहे।
लेकिन वास्तविकता अलग होती है:
आपको पिछली रात को अच्छी नींद नहीं आई थी, इसलिए जब मैं आपको लेने पहुँचता हूँ, तो आप कमज़ोरी महसूस कर रहे हैं। हम यात्रा पर निकल पड़ते हैं। कुछ समय बाद आप इधर-उधर खोजते हैं और तब आपको याद आता है कि आप अपना वॉलेट तो घर पर ही भूल आए। हम 25 मील पीछे लौटते हैं और कार में इतना तनाव है, जितना 200 पॉइंट ब्लड प्रेशर वालों को होता है। आख़िरकार हम यात्रा शुरू करते हैं और पहले 100 मील अच्छी तरह से गुज़रते हैं, लेकिन फिर हम एक ऐसी जगह पहुँचते हैं, जहाँ एक भीषण दुर्घटना की वजह से यातायात बहुत बुरी तरह प्रभावित हो गया है। हम जैसे-तैसे यात्रा तो फिर से शुरू कर देते हैं, लेकिन हमारी गति रेंगने जैसी है, क्योंकि ट्रैफिक बहुत ज़्यादा है। इससे भी बुरी बात, मुझे एक टायर बदलवा लेना चाहिए था, जिसके बारे में मेरे मैकेनिक ने कुछ सप्ताह पहले मुझे चेतावनी दी थी और अब यह जवाब दे चुका है। पूरी कार में घन्न-घन्न की आवाज़ गूँजने लगती है।
चार घंटे बाद हम सेंटेनियल, एरिजोना की एक मैकेनिक शॉप में बैठे हैं। हम थकान की कगार पर एक-दूसरे की तरफ़ देखते हैं।
हमें ऐसी बदहाली की कतई उम्मीद नहीं थी और अब हम यह सोचने लगते हैं कि हम लौट जाएँ और इस यात्रा को यहीं छोड़ दें।
यह सरल कहानी उस समस्या को रेखांकित करती है, जिसका सामना हम सभी फ़ीचर फ़िल्म वाली संस्कृति में कर रहे हैं:
हमारी अपेक्षाएँ आसमान जितनी ऊँची होती हैं, और हम संघर्ष या बाधा के पहले संकेत पर ही काम छोड़ने या हार मानने के आदी होते हैं।
जब हम अपना नया व्यवसाय शुरू करने निकलते हैं, तो यह कमोबेश सड़क यात्रा जैसा ही होता है। हम बौरा रहे हैं, क्योंकि हमारे ऊपर कोई बॉस नहीं है और हमारे पास पूरी स्वतंत्रता है। हम अपना खुद का ब्रांड, प्रॉडक्ट या सेवा बनाने के लिए प्रेरित हैं और मैदान में दौड़ते हुए क़दम रखते हैं, क्योंकि यह हमारा ख़ुद का है। हमें इस तरह के संदेश लगातार दिए जाते हैं कि हमें बस सपने देखना व यक़ीन रखना है और इसके बाद हम अपनी मनचाही हर चीज़ हासिल कर सकते हैं। हम बहुत प्रेरित और प्रोत्साहित हो जाते हैं। हम यह उम्मीद करने लगते हैं कि हम अपनी नई कंपनी डालकर चार महीने या इससे भी कम समय में हर महीने 6,500 डॉलर कमाने लगेंगे।
हम उम्मीदें करने लगते हैं और उन्हें हक़ीक़त बनाने के लिए रोमांचित हो उठते हैं।
आठ महीने गुज़र जाते हैं और हमारा बचत खाता रसातल में पहुँच जाता है। इस पूरी अवधि में भी हम 6,500 डॉलर तक नहीं कमा पाए, जो हम हर महीने कमाने के सपने देख रहे थे। अब स्वतंत्रता का उत्साह ठंडा पड़ चुका है। अब बिल चुकाने का तनाव हावी हो चुका है। तंगी की वजह से अब हम अपने सर्वश्रेष्ठ मित्रों के साथ वीकएंड यात्राओं पर जाने से इंकार करने लगे हैं। अब वे दिन लद गए, जब हम यह सोचते थे कि अगले शुक्रवार को हमें तनख्वाह मिल जाएगी और हम वो नई पोशाक ख़रीद लेंगे। अब हम यह सोचने लगे हैं कि क्या हम फिर से ऐसा कभी कर पाएँगे। हमारा एक मित्र हमारे स्पष्ट तनाव पर गौर करता है और हमें बताता है कि अब समय आ गया है जब हमें ‘‘असल संसार’’ में लौट जाना चाहिए।
हम निर्णय लेते हैं कि उसकी बात सही है और हार मान लेते हैं। हम प्रयास छोड़ देते हैं और घुटने टेक देते हैं, क्योंकि हमारी हक़ीक़त हमारी अपेक्षाओं से मेल नहीं खा रही थी। हमें परिणाम नहीं मिले, इसके लिए हम दूसरों को दोष देकर अपनी आसमान छूती अपेक्षाओं को तार्किक ठहराते हैं।
मुख्य भ्रांति
हम सभी पिछले उदाहरण को समझ सकते हैं, क्योंकि यह हमारे साथ हो चुका है।