Safalta Ka Rahasya - (सफलता का रहस्य)
By Swett Marden
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स्वेट मार्डेन की पुस्तकों के अध्ययन से करोड़ों व्यक्तियों ने आत्मशुद्धि, कार्य में निष्ठा के साथ-साथ जीवन में उत्साह व प्रेरणा प्राप्त की है। आप भी इन्हें पढ़िये और अपने मनोरथों को प्राप्त करने का आनंद उठाइये। प्रस्तुत पुस्तक कदम-कदम पर मार्गदर्शन करती हुई आपका जीवन बदल सकती है।
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Safalta Ka Rahasya - (सफलता का रहस्य) - Swett Marden
सफलता
1. मनवांछित फल पाएं
मन में जिन चीजों के प्रति आकर्षण होता है, उन्हें मनुष्य पा लेता है, किंतु शर्त यह भी है कि वह मनुष्य उसी विषय पर सोचता हो, उसके लिए प्रयास करता हो और उसके अंदर आत्मविश्वास भी हो।
संसार का प्रत्येक व्यक्ति सदैव यही कामना करता है कि उसे मन-वांछित फल मिले। उसे उसकी इच्छित वस्तु की प्राप्ति हो। जो वह सोचता है या कल्पना करता है, वह उसे मिल जाए। भगवान से जब हम प्रार्थना करते हैं तो यही कहते हैं कि हमें यह दे, वह दे। प्रार्थना और भजनों में ऐसे भाव छुपे होते हैं जिनमें ईश्वर से बहुत कुछ मांगा ही जाता है।
यह तो ठीक है कि कई लोगों या आप ईश्वर से कुछ मांगते हैं; प्रार्थना करते हैं लेकिन इसके साथ ही यदि आप उस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्न नहीं करते और अपनी असफलताओं; गरीबी या परेशानियों के विषय में सोच-सोचकर ईश्वर की मूर्ति के सामने रोते-गिड़गिड़ाते हैं तो उससे कुछ भी होने वाला नहीं है। क्योंकि आपके मन में गरीबी के विचार भरे हैं, असफलता भरी है, आपके हृदय में परेशानियों के भाव भरे हैं, आप में यह बात जड़ जमाए है कि आप असफल हैं और उस असफलता को आप किसी दैवी चमत्कार से दूर भागना चाहते हैं जो कभी संभव नहीं है।
आपके पास जो कुछ है, वह क्यों है? वह इसलिए तो है कि मन में उनके प्रति आकर्षण है। आप उन सब चीजों को चाहते हैं जो कदाचित आपके पास हैं।
मन में जिन चीजों के प्रति आकर्षण होता है, उन्हें मनुष्य पा लेता है; किंतु शर्त यह भी है कि वह मनुष्य उसी विषय पर सोचता हो, उसके लिए प्रयास करता हो और आत्मविश्वास भी हो, जो वह पाना चाहता है-उसके प्रति आकर्षण के साथ-साथ उसके बारे में गंभीरता से सोचता भी हो?
आज हमारे पास जो कुछ अपना है, यह तभी तक हमारा है जब तक हम मन से उसे चाहते हैं। मैं अपने स्कूटर को मन से चाहूंगा तो यह मेरा रहेगा, नहीं चाहूंगा तो नहीं रहेगा।
इसी भांति यदि आप आशा, सफलता और सुख-समृद्धि चाहेंगे, उन्हीं के विषय में सोचेंगे और पाने के प्रयत्न करेंगे तो पा जाएंगे। आप वही सोचें जो आप हैं।
आप क्या हैं?:
यह जानने का तनिक प्रयास तो कीजिए। आपके भीतर भी बहुत बड़ी शक्ति छिपी है। आप अपने आपको जानते ही नहीं हैं। आपने स्वयं को कमजोर या हीन समझ रखा है, इसीलिए तो आप कमजोर और हीन हैं। आप हीनता की बातें सोचते रहेंगे तो हीनता मिलेगी। सफलता की बातें, ऊंचाइयों की बातें सोचेंगे तो ऊंचाइयां मिलेंगी। अतः आप अच्छी, ऊंची और सफलता की बातें सोचिए।
जीवन में आप यदि असफल और निराश हैं तो उसका कारण यह है कि आपने अपने अंदर छुपी शक्तियों को पहचाना नहीं है। आप सफलता के लिए ठीक प्रयत्न नहीं करते इसलिए आप सफल नहीं हैं।
आप वही सोचें जो आप चाहते हैं।
जब आप सफलता की ओर बढ़ते हैं, प्रयत्न कर रहे हैं तो सफलता मिलेगी। जिस क्षण आप असफलता का विचार या आशंका करने लगते हैं, उसी क्षण आपकी ओर असफलता चल पड़ती है और सफलता आपसे दूर होने लगती है क्योंकि आप स्वयं सफलता के विरुद्ध सोचने लगे हैं। और उल्टी दिशा में चलने लगे हैं।
आपके हृदय में किसी वस्तु के लिए यदि हार्दिक आकर्षण और इच्छा है तो समझिए कि वस्तु आपके लिए सुरिक्षत रखी है, आप उसे पा जाएंगे।
यदि आप परेशानियों से घिरे हैं, असफलताएं ही मिल रही हैं, तो चिंता मत कीजिए। निराश मत होइए। जो इच्छा है, उस पर दृढ़ रहिए। उसके लिए प्रयास करते रहिए, आप उसे पा लेंगे। सफलता को भूलिए नहीं, उसी के विचारों में डूबे रहें और उसे याद रखें। कभी यह तो सोचिए ही नहीं कि आप असफल हो सकते हैं। आप सफलता को ही अपने द्वार पर खड़ा पाएंगे।
संसार में जितने भी सफल लोग थे या हैं, उन सबकी सफलता का राज यही है कि वे अपनी समस्त शारीरिक और मानसिक शक्तियों का प्रयोग करके अपने लक्ष्य की ओर बढ़े हैं, उन्होंने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया कि क्या कह रहे हैं। अपनी इच्छा की पूर्ति के प्रयत्न में लगे रहे, अपनी आत्मा की आवाज को ईश्वर की प्रेरणा मानकर चलते रहे।
यह एक सत्य है। छुपा हुआ सत्य है।
इसे जानिए:
आपकी आत्मा से जो आवाज आती है, आपके हृदय में जो भावना उठती है, आप दिल से जो इच्छा कर रहे हैं, यह भावना की ही प्रेरणा है। आप उसे पूर्ण कर सकते हैं। क्योंकि सभी इच्छाएं पूर्ण होने के लिए ही उत्पन्न होती हैं कुछ भी तो संम्भव नहीं है। वह सभी कुछ हो सकता है जिसकी इच्छा हृदय की गहराइयों से उत्पन्न होती है।
कुछ लोग जब सफल नहीं होते हैं तो वे दूसरों को कोसने लगते हैं। अपनी योग्यता, असफलता का दोष वे भाग्य, विधाता, समाज या व्यवस्था पर डाल देते हैं। अपनी गलती को दूसरों के सिर मढ़ देते हैं। सचमुच दोष इसमें आप ही का होता है।
आप पूरा प्रयास नहीं कर रहे हैं। आप आगे बढ़ने का सफलता पा लेने का विश्वास खो बैठे हैं। आत्मविश्वास खो दिया है आपने। अपनी असफलता के कारणों को ढूंड़ने के बजाय आप दूसरों पर दोषारोपण करने में लग गए हैं।
प्रयास कीजिए, दृढ़ संकल्प के साथ, पूरे परिश्रम से, सफलता के विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहिए। सफलता आपके कदम चूमेगी।
मनुष्य का व्यक्तित्व दो चीजों से मिलकर बना है।
वंशानुक्रम और वातावरण।
वंशानुक्रम में तो माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी के व्यक्तित्व की झलक होती है, कद, रूप, रंग होता है; किंतु महत्त्वपूर्ण रोल व्यक्तित्व के बनाने में वातावरण का है। आप जो कुछ हैं, अपने वातावरण की देन हैं। आप जो सोचते हैं, जैसे वातावरण में रहते हैं, जैसे लोगों के बीच रहते हैं, जैसी कल्पनाएं करते हैं, वैसे ही आप बनते भी जाते हैं।
आप जो सोचते हैं, विचार करते हैं, विश्वास करते हैं, उसी से आपका जीवन ढलता चला जाता है।
बहुत से लोगों के बारे में कहा जाता है कि वह सदा सफल रहता है। वह जो भी इच्छा करता है उसे पा लेता है। जहां भी वह हाथ डालता है मिट्टी भी सोना बन जाती है। जिस काम को वह अपने हाथ में ले लेता है, वह हो ही जाता है।
इसका क्या अर्थ है?
इसका स्पष्ट अर्थ यही है कि वह व्यक्ति सदा सफलता की बात सोचता है, वह सफलता के विचारों में डूब कर अपने लक्ष्य के लिए प्रयत्न करता है और निराश नहीं होता।
दृढ़ आत्मविश्वास और परिश्रम की शक्ति से आप भी सफलता को अपनी ओर खींच सकते हैं। ईश्वरीय प्रेरणाओं से आप शक्ति ले सकते हैं। और अभिलाषाओं को पूरी कर सकते हैं।
आप अपने जीवन के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में प्रयास करें। उसे ईश्वरीय प्रेरणा मानकर आगे बढ़ें।
कल्पना-शक्ति:
कल्पना-शक्ति साधारण शक्ति नहीं है।
कल्पना की शक्ति ने बड़े-बड़े आविष्कार कर दिए हैं। कल्पना की शक्ति का पता लग जाए तो जीवन में क्रांति लायी जा सकती है। जीवन की धारा ही बदल सकती है। जब आप हर क्षण, हर दिन, उठते-बैठते अपने लक्ष्य की बात ही सोचेंगे, उसी दिशा में बढ़ेंगे, उसी की कल्पनाओं में खोए रहेंगे तो लक्ष्य मिलना असंभव नहीं हो सकता।
ऐसे बहुत से हरे-भरे मैदान और खेत हैं जो पहले ऊबड़-खाबड़ बीहड़ या पठार थे, जहां कुछ भी उत्पादन नहीं होता था, आज वहां फसलें लहलहाती हैं, फूल महकते हैं या पार्क हैं।
यह कैसे हो गया?
परिश्रम से किसी महत्त्वाकांक्षी की ही कल्पना का यह साकार रूप होता है। कल्पना शक्ति से आगे बढ़ने और सफलता को पाने के दृढ़ संकल्प वाले व्यक्तियों ने ही तो पहाड़ों को मैदान बना दिया, पहाड़ों में उद्यान लगा दिए या शुष्क मरुस्थलों में नहरें बहा दीं।
प्रत्येक मनुष्य के भीतर शक्ति का स्रोत है। कोई न कोई शक्ति, कोई न कोई प्रतिभा प्रत्येक में छिपी हुई है।
मनुष्य ऐसे भूखंड की भांति है जिसके भीतर अपार संपदा छुपी होती है। उसे ढूंड़ने की जरूरत है। अपनी शक्ति को पहचानें, अपने आपको जानें और पूरी लगन, शक्ति और विश्वास के साथ अपनी मंजिल की ओर बढ़ें। अपनी शक्ति में विश्वास रखकर आप स्वप्नों की मंजिल की ओर बढ़ेंगे तभी तो आपको मंजिल मिलेगी।
जो व्यक्ति मूर्ख और आलसी होते हैं वे भाग्य और संयोग की बात करते हैं। कुछ लोग दूसरों से केवल ईर्ष्या तो करते हैं-प्रतिद्वंद्वी की भांति उनसे दोगुनी मेहनत करके आगे बढ़ने का प्रयास नहीं करते। दूसरों को धनवान देखकर भाग्य की बात करते हैं या उन्हें भ्रष्ट अथवा दो नंबरी बताकर चुप हो जाएंगे। लेकिन सबकी यह बात थोड़े ही है। उनकी सफलता के पीछे जो लगन, जो दृढ़ संकल्प और इच्छा शक्ति रही है, उसे मूर्ख लोग नहीं देखते। सफलता के लिए वे कुछ भी बलिदान नहीं करते।
खेत में किसान बीज डालता है।
बीज से अंकुर तभी फूटता है, जब वह खूब जुताई, बिजाई, निराई-गुड़ाई, सिंचाई और देखभाल करता है।
केवल बीज बो देना पर्याप्त नहीं है।
इच्छा का पैदा होना तो केवल बीज बोना भर है।
शेष काम तो रह ही गए।
बीज बोने के बाद भी परिश्रम की बहुत आवश्यकता है।
जिस प्रकार बिना सिंचाई, निराई और अन्य परिश्रम के किसान खेत से अनाज नहीं ले सकता, उसी प्रकार केवल इच्छा ही पर्याप्त नहीं है, प्रयास भी. करना आवश्यक है।
आपने नगर में ऐसे बहुत से लोग देखे होंगे जो कभी साधारण थे, आज वे असाधारण हैं।
कल का अखबार बेचने वाला आज नगर का उद्योगपति हो सकता है। कल जो ठेली पर सामान बेचता था आज नगर का प्रमुख व्यापारी है।
कई कारखानेदार हैं जो साधारण सप्लायर या एजेंट थे।
उन्होंने मेहनत की है। रात-दिन लगे रहे हैं।
उनमें दृढ़ इच्छा शक्ति, आत्मविश्वास और लगन थी।
निराशावादी आगे नहीं बढ़ सकता।
निराशा को तो दफना देना पड़ेगा।
परिश्रम से कोई भी व्यक्ति किसी भी इच्छा को पूर्ण कर सकता है। चाहे कोई बहुत बड़ा लेखक बनना चाहे-चाहे डाक्टर या इंजीनियर या कोई कलाकार-अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति पर विश्वास करके उसके लिए प्रयत्न करके वह अपने स्वप्नों को पूरा कर सकता है।
हमारे जीवन का आलीशान भवन हमारे मन में होता है-हमारी कल्पनाओं में होता है। वह हमारे जीवन-रूपी भवन का नक्शा है। हमारी महान शक्तियां और सफलताएं तो अभी आने वाली हैं। हमारे मन में जो कल्पनाएं हैं-वह मन में तो साकार हैं, अतः हम उन्हें जीवन में पा सकते हैं।
जिस वस्तु या व्यक्ति की हम मन में चाह करते हैं, उसी ओ हमारे मन की सब शक्तियां खिंच जाती हैं। जो अपने आकर्षण के कारण उन्हीं चीजों को अपनी ओर खींच लाने में सफल हो जाती हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है।
इस बात को आप इस प्रकार समझ सकते हैं कि आप किसी महानगर में जाकर