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Dhanda Lakshmi Stotra धनदा लक्ष्मी स्तोत्र
FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
Dhanda Lakshmi Stotra धनदा लक्ष्मी स्तोत्र
FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
ratings:
Length:
5 minutes
Released:
Jul 10, 2022
Format:
Podcast episode
Description
Dhanda Lakshmi Stotra धनदा लक्ष्मी स्तोत्र ◆ ○धनदे धनपे देवि, दान शीले दयाकरे।
त्वं प्रसीद महेशानि, प्रार्थयामह्यम।।1।।
○धरामर प्रिये पुण्ये,धन्ये धनद-पूजिते।
सुधनं धार्मिकं देहि,यजमानाय स्त्वरम।।2।।
○रम्ये रुद्रप्रियआपर्णे,रमा रूपे रतिप्रिये।
शिखासख्यमनोमूर्ते! प्रसीद प्रणतेमयी।।3।।
○आरक्त-चरनाम्मभोजे,सिद्धि-सर्वार्थदायिनी।
दिव्याम्बरधरे दिव्ये,दिव्यमालानुशोभिते।।4।।
○समस्त गुणसंपन्ने सर्वलक्षण लक्षिते।।
शरच्चचंद्रमुखेनीले नील नीरजलोचने।।5।।
○चंचरीक-चमू-चारु-श्रीहार-कुटिलालके।
दिव्ये दिव्यवरे श्रीदे,कलकण्ठरवामृये।।6।।
○हासावलोकनिर्दिव्यैभक्तिचिंतापहारिके।
रूप-लावण्य-तारुण्य-कारूणयगुंबभाजने।।7।।
○ क्वणत-कंकण-मंजीरे,रसलीलाSSकराम्बुजे।
रुद्र-व्यक्क्त महातत्वे धर्माधारे धरालये।।8।।
○प्रयच्छ ममगृहे देवि, धनं धर्मेंक-साधनम।
मात्सत्वं वाSविलम्बेन, ददस्व जगदम्बिके।।9।।
○कृपाब्धे करूणागारे प्रार्थये चाशु सिद्वये।
वसुधे वसुधारूपे वसु-वासव-वंदिते।।10।।
○प्रार्थिते च धनं देहि वरदे वरदा भव।।
ब्रह्मणा ब्रह्मनैः पूज्या,त्वया च शंकरो यथा।।11।।
○श्रीकरे शंकरे श्रीदे प्रसीद मयि किंकरे।
स्तोत्रं दारिद्रय-कष्टार्त, शमनं सुधन-प्रदम।।12।।
○पार्वतीश प्रसादेन शुरेश किंकरे स्थितम।
मह्यं प्रयच्छ मात्सत्वं त्वामहं शरनं गतः।।13।।
◆ इति श्री धनदा लक्ष्मी स्तोत्रं ◆
त्वं प्रसीद महेशानि, प्रार्थयामह्यम।।1।।
○धरामर प्रिये पुण्ये,धन्ये धनद-पूजिते।
सुधनं धार्मिकं देहि,यजमानाय स्त्वरम।।2।।
○रम्ये रुद्रप्रियआपर्णे,रमा रूपे रतिप्रिये।
शिखासख्यमनोमूर्ते! प्रसीद प्रणतेमयी।।3।।
○आरक्त-चरनाम्मभोजे,सिद्धि-सर्वार्थदायिनी।
दिव्याम्बरधरे दिव्ये,दिव्यमालानुशोभिते।।4।।
○समस्त गुणसंपन्ने सर्वलक्षण लक्षिते।।
शरच्चचंद्रमुखेनीले नील नीरजलोचने।।5।।
○चंचरीक-चमू-चारु-श्रीहार-कुटिलालके।
दिव्ये दिव्यवरे श्रीदे,कलकण्ठरवामृये।।6।।
○हासावलोकनिर्दिव्यैभक्तिचिंतापहारिके।
रूप-लावण्य-तारुण्य-कारूणयगुंबभाजने।।7।।
○ क्वणत-कंकण-मंजीरे,रसलीलाSSकराम्बुजे।
रुद्र-व्यक्क्त महातत्वे धर्माधारे धरालये।।8।।
○प्रयच्छ ममगृहे देवि, धनं धर्मेंक-साधनम।
मात्सत्वं वाSविलम्बेन, ददस्व जगदम्बिके।।9।।
○कृपाब्धे करूणागारे प्रार्थये चाशु सिद्वये।
वसुधे वसुधारूपे वसु-वासव-वंदिते।।10।।
○प्रार्थिते च धनं देहि वरदे वरदा भव।।
ब्रह्मणा ब्रह्मनैः पूज्या,त्वया च शंकरो यथा।।11।।
○श्रीकरे शंकरे श्रीदे प्रसीद मयि किंकरे।
स्तोत्रं दारिद्रय-कष्टार्त, शमनं सुधन-प्रदम।।12।।
○पार्वतीश प्रसादेन शुरेश किंकरे स्थितम।
मह्यं प्रयच्छ मात्सत्वं त्वामहं शरनं गतः।।13।।
◆ इति श्री धनदा लक्ष्मी स्तोत्रं ◆
Released:
Jul 10, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
Baglamukhi Vajra Kavach Mantra बगलामुखी वज्र कवच मन्त्र by Rajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers