लव यू फॉरएवर
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क्या आप पहली नज़र में होने वाले प्यार में यकीन रखते हैं?
एक आकर्षक और दिलचस्प लड़के से मिलकर आदेला की बोरिंग ज़िन्दगी बदल जाती है। अपने प्यार का इज़हार करना भी वह उसी से सीखती है। पर जल्द ही आदेला को यह एहसास हो जाता है कि ज़िन्दगी सरप्राइज़िस का दूसरा नाम है... और यह भी कि यह ज़रूरी नहीं कि वे सरप्राइज़िस हमेशा अच्छे ही हो। ऐसे में, “फॉरएवर” और वक़्त जैसे शब्दों के मतलब ही बदल जाते हैं।
आदेला की प्रेम कहानी कुछ “हटकर” होगी। एक निराशाजनक पहली डेट और कई अड़चनों के बाद उसकी लव स्टोरी का आगाज़ होगा। कुछ महीनों बाद, अपनी ज़िन्दगी के एक नये पड़ाव में उसे एक ऐसी स्थिति का सामना करना होगा, जिससे उसका पाला पहले कभी नहीं पड़ा... एक ऐसी स्थिति, जो अपनी ज़िन्दगी को बदल कर रख देने वाले फैसले लेने पर उसे मजबूर कर देगी।
आदेला को यह एहसास होगा कि प्यार में कोई सीमाएं नहीं होती, और यह कि अगर आपका दिल सच्चा हो तो लाख मुश्किलों के बाद भी कोई न कोई हल निकल ही आता है। अलविदा कह देने और अपने अतीत में जीते रहने के बीच के मुश्किल फैसले की घड़ी आने तक अपने हाथों से रेत की तरह धीरे-धीरे फिसलते प्यार को बचाए रखने की वह हरसंभव कोशिश करती रहेगी।
ज़िन्दगी बदल देने वाले इस सफ़र में आइए, हम आदेला के साथ चलकर देखते हैं कि उसके डर, उसकी इच्छाएं व उसकी प्राथमिकताएं अपना रास्ता बदलकर उसे ज़िन्दगी की एक नयी राह पर ले जाने में सफल होती हैं या नहीं।
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Book preview
लव यू फॉरएवर - Mª del Mar Agulló
जारा के लिए
अनुक्रमणिका
––––––––
1. मिलना, बिछुड़ना और हमारी वो डेट, जो कभी हो ही न सकी
2. होनी को भला कौन टाल सकता है?
3. टूटे सपने
4. अपने प्यार का इज़हार करने में आख़िर कितना वक़्त लगता है?
5. लव यू... फॉरएवर
6. वो परफेक्ट लड़का अब परफेक्ट न रहा
7. हैप्पी बर्थडे
8. मुझे छोड़कर मत जाओ
9. किसी नोटबुक के अंधेर पन्नों में जीना भी कोई जीना है भला?
10. मेरे प्यारे एल्छे, मैंने तुम्हें बहुत मिस किया
11. दुनिया की सबसे शानदार पार्टी
12. जगमगाता आसमान
13. डाकिया हमेशा बुरी खबर ही नहीं लाता
14. बारिश में नाचना
15. और फिर यूँ ही तुमसे मुलाक़ात हो जाना
16. सपने ज़रूर सच होते हैं
17. योडा का कहा मानो
18. एक नयी शुरुआत
मिलना, बिछुड़ना और हमारी वो डेट, जो कभी हो ही न सकी
––––––––
और फिर एक ही पल में मैं उसे खो बैठी। वह न सिर्फ मेरी ज़िन्दगी का सबसे दुखद पल था, बल्कि एक और दुखदायी लम्हे की शुरुआत भी था।
फ्रान और मेरी मुलाक़ात गर्मियों के अंत में मेरे शहर एल्छे में हुई थी। वह किसी बड़ी कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट लेकर आया था। यह वही कंपनी थी, जिसके आई.टी. डिपार्टमेंट में पिछले कई सालों से मैं काम कर रही थी। उसका चेहरा हमारी कंपनी की पहचान बनने जा रहा था। कंपनी के टूर्स में वही हमारा प्रतिनिधित्व करने वाला था। सभी मीटिंगों में समझौते करवाना अब उसी की ज़िम्मेदारी होगी व प्रेस कांफ्रेंसों में मीडिया के सवालों के जवाब देने का दायित्व भी उसी के कंधों पर होगा। उसका आकर्षक रूप-रंग किसी से भी छिपा नहीं रह सकता था। मिलान, पेरिस और न्यू यॉर्क के बड़े-बड़े डिज़ाइनरों के लिए वह रैंप वॉक कर चुका था।
फिल्मों की तरह कुछ भी पलक झपकते ही नहीं हुआ था। मैं उसकी तरफ आकर्षित तो हुई थी लेकिन वह पहली नज़र में होने वाला प्यार नहीं था। सितम्बर की शुरुआत में एक शाम फ़ोन पर मुझसे कहा गया कि उपाध्यक्ष के दफ्तर जाकर कंपनी के नये प्रतिनिधि से मिल आऊं। उन्होंने मुझे उसका नाम नहीं बताया था। नाम बता देते तो भी मैं उसे नहीं पहचान पाती। यह बात मानने में मुझे कोई संकोच नहीं था कि फैशन में मेरी कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी। फिल्म द डेविल वेअर्स प्राडा में एन हैथावे के शुरुआती किरदार में हमेशा से मुझे अपनी झलक दिखाई दी थी।
ऑफिस पहुँचने पर मेरा परिचय एक लम्बी कद-काठी वाले आदमी से कराया गया। उसका रंग गहरा था व बाल थोड़े लम्बे थे। गहरी आँखों और भूरी त्वचा वाला वह पुरुष बेशक दिखने में काफी अच्छा था। उसके बोलने के लहजे में जो अक्खड़पन था, वह किसी मॉडल का ही हो सकता था।
एक-दूसरे के प्रति हमारा शारीरिक आकर्षण झट से पैदा हो गया था। जब पहली बार मैंने उसे देखा तो मेरी आँखें कांप रही थी। वह मुझे अच्छा लगा था। अपने निरंतर अकडू स्वभाव के बावजूद वह मुझे बहुत अच्छा लगा था। मेरे ख्याल से यह बात फ़ौरन उसकी समझ में आ गई थी क्योंकि में बेवकूफ़ीभरे अंदाज़ में अपनी नज़रें झुकाए खड़ी हुई थी, मानो मुझे शर्म आ रही हो... और ऐसा था भी। उस दिन तो मैंने अपने बाल भी ठीक से नहीं बनाए थे। मेरे कपड़े भी कुछ ख़ास अच्छे नहीं थे। और तो और, ज़ुकाम के कारण मेरी नाक भी लाल थी। ऐसा नहीं था कि इन बातों से मुझे बहुत फर्क पड़ता हो, लेकिन उस पल मेरे अंदर की औरत की मूल प्रवृत्ति – जो मुझमें थी भी या नहीं, इसका मुझे कोई अंदाज़ा नहीं था – जाग उठी और मुझे यह याद दिलाने लगी कि कम से कम अपने दफ्तर तो मुझे अच्छे से तैयार होकर जाना चाहिए (फिर क्या पता वहां मेरी किसी हॉट लड़के से मुलाक़ात न हो जाए)। उस समय अगर लॉरा ने, जो मेरी दो बेस्ट फ्रेंड्स में से एक थी, मुझे उस हालत में देख लिया होता तो शायद वह भी शर्म से पानी-पानी हो जाती। वह मुझसे बिलकुल अलग थी। ऐसा नहीं था कि दिखने में वह बहुत अच्छी या आकर्षक थी, पर वह ऐसी लगती ज़रूर थी; हर रोज़ दो घंटे जल्दी उठकर वह अपने बाल संवारती, अच्छे-अच्छे कपड़े पहनती और ढेर सारा मेक-अप लगाती। मैं तो अपने चेहरे पर मेक-अप पोतने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी। दूसरों को या खुद को पसंद आने के लिए भी कोई इतनी मेहनत कैसे कर सकता है भला? क्या लॉरा अपने शरीर व अपने चेहरे को लेकर इतनी आशंकित, इतनी नाखुश थी?
उसने मुझे हेल्लो कहा। उसके चेहरे के हाव-भाव से तो यही लग रहा था कि वह सब कुछ जानता-समझता था। मुझसे हाथ मिलाने के लिए जब फ्रान ने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो मुझे लगा कि उसकी नज़रों में एक तरह की नापसंदगी थी। शायद छः फुट से कम की महिलाओं से, जो न ही चेहरे पर मेक-अप की पूरी की पूरी दुकान लादकर घूमती थी और न ही एक दिन से ज़्यादा पुराने कपड़े पहनना नापसंद करती थी, सामना होना उसके लिए कोई आम बात नहीं थी। हमारी कंपनी के ब्रिटिश उपाध्यक्ष वेर्री से दो-चार बातें कर वह वहां से चला गया। जब रूम में केवल वेर्री और मैं ही रह गए, तो उसने मुझे बताया कि वह लड़का आखिर था कौन:
वो फ्रान मार्तीनेज़ है
। मेरे चेहरे पर हैरानी का कोई भाव न देखकर वेर्री ने कहा, "वो फ्रान मार्तीनेज़ है... और अब वो सिर्फ हमारे लिए काम करेगा! तुम सच में उसे नहीं जानती क्या?"
नहीं तो?
, उसकी बात को कोई ख़ास तवज्जो दिए बगैर मैंने पूछा।
वो दुनिया के सबसे जाने-माने स्पेनिश मॉडलों में से एक है
, वेर्री ने उत्साहित होकर मुझसे कहा।
आइ एम सॉरी लेकिन मुझे मॉडलों की कोई ख़ास जानकारी नहीं है। हाँ, पर उसे देखकर लगता तो नहीं कि उसकी रिटायरमेंट की उम्र हो आई है
।
हाँ, डिअर। वो दरअसल सात सालों तक टॉप पर रहने के बाद अब उसने कोई नया चैलेंज लेने का फैसला किया है
, वेर्री ने मुझे बताया।
तो उसने रैंप वॉक छोड़ दी है क्या?
हाँ, बस अभी के लिए
।
पेड़-पौधों की बिक्री, खेती, इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट से किसी मॉडल का क्या लेना-देना है?
, मैं पूछ बैठी। मैं समझ नहीं पा रही थी कि किसी मशहूर मॉडल का हमारी कंपनी से जुड़ने का आख़िर क्या कारण हो सकता था।
दुनियाभर में घूमने के बाद शायद उसे पता हो कि सबसे अच्छी मार्केट्स कौन सी रहेंगी और किस देश में क्या फैशन है, शायद उसे पता हो कि उसके पेरेंट्स की कंपनी में फाइनेंस मैनेजमेंट कैसे होती है, शायद वो बॉटनी का एक सीक्रेट एडमायरर हो, शायद कंपनी में उसके होने से कंपनी के लिए नये रास्ते खुल जाएँ, या फिर हो सकता है कि इंटरनेशनल ट्रेड में उसकी मास्टर्स डिग्री शायद सिर्फ़ उसके सी.वी. में जगह घेरने के लिए ही न हो। या फिर शायद वो बस दो-चार अजनबियों के सामने रैंप वॉक करने वाला बस एक हैण्डसम आदमी भी हो सकता है। आपको क्या लगता है, मिस गौंसालेस?
, मुझसे नज़रें बचाकर फ्रान कमरे में चला आया था। एक सम्मोहक स्वर में बोलते हुए उसने शायद
, फैशन
और सीक्रेट
शब्दों पर इतना ज़ोर देकर कहा था कि मैं खुद को बहकने से नहीं रोक सकी। उसने मुझे दिखा दिया था कि मैं उस कम करके आँक रही थी। और तो और, उस पल जब अपने घमंड को दरकिनार कर उसने मुझसे बात की, तब मेरी नज़रों में उसका दर्जा कंपनी के किसी अकडू कर्मचारी से कहीं ऊपर उठ गया।
कुछ पल के लिए हम तीनों के बीच एक असहज-सी ख़ामोशी छाई रही। मैं फ्रान की आँखों में देख रही थी और फ्रान की आकर्षक भूरी आँखें मेरी नीली-नीली आँखों में झाँक रही थी, मानो मेरे जवाब का इंतज़ार कर रही हों।
मेरे ख्याल से आदेला से अपनी बात रखने में कोई गलती हो गई है
, मेरी तरफ से माफ़ी मांगते हुए वेर्री ने कहा।
नहीं, मेरे ख्याल से इन्होंने वही कहा, जो ये कहना चाहती थी। क्या मैं इनसे दो मिनट अकेले में बात कर सकता हूँ, सर?
, फ्रान ने खिन्न होकर पूछा।
वेर्री ने मेरी तरफ देखा, मानो मुझसे पूछ रहा हो कि उसे बाहर जाना चाहिए या नहीं। मेरे हामी भरने पर वह कमरे का दरवाज़ा बंद करते हुए बाहर चला गया। अब वहां बस हम दोनों ही थे। हालांकि मेरी निगाहें थी खिड़की की तरफ़, मेरा निशाना कहीं और ही था। उसकी नज़रें मुझ ही पर गढ़ी हुई थी, लेकिन हम दोनों में से किसी ने कुछ भी नहीं कहा। हमारे बीच का वह तनाव साफ़ था। मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन वह मेरे दिल को बहुत भा रहा था। मैं समझ नहीं पा रही थी कि वहां से भाग जाऊं या फिर वहीँ के वहीँ उसके कपड़े उतार दूँ। अपने सपनों में भी मैंने कभी किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाने की कल्पना नहीं की थी, वास्तविक जीवन की तो बात ही क्या करूँ।
अभी मैं कुछ बोलने को हुई ही थी कि मेरी तरफ बढ़कर उसने पूछा:
मुझे लगता है कि हमारी शुरुआत कुछ ख़ास अच्छी नहीं रही। मेरे साथ डिनर के लिए चलोगी?
, अपने शब्दों से मुझे चौंकाते हुए वह बोला।
क्या? मैं तो तुम्हें जानती तक नहीं
, मैंने सहमकर जवाब दिया। उसके उस सवाल की मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।
ओह, कम ऑन... हम एक-साथ काम करने वाले हैं। देर-सवेर हमारी जान-पहचान हो ही जाएगी। आज शाम को मैं तुम्हें तुम्हारे टेबल से पिक करने आऊं तो चलेगा क्या?
नहीं! मुझे नहीं लगता कि ऐसी शुरुआत के बाद हमारा मिलना ठीक रहेगा
। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि फ्रान को टालूँ तो टालूँ कैसे। उससे या किसी अजनबी से मिलना कोई बड़ी बात नहीं थी। बड़ी बात तो यह थी कि उसके सामने खुद को रोक पाना मेरे लिए नामुमकिन-सा था।
कुछ मिनटों तक एक-दो विश्वसनीय बहाने मारने के बाद मैं उसे अपनी बात कहने का मौका दिए बगैर ही कमरे से बाहर चली आई।
अपने टेबल पर लौटकर मैं दुबारा अपने काम में लग गई। कम से कम दूसरों के सामने तो मैंने ऐसा ही जताया। अपने नए सहकर्मी के बारे में मैं इंटरनेट पर छानबीन करने लगी। देखने से तो यही लग रहा था कि सभी नामी डिज़ाइनरों के लिए रैंप वॉक कर चुके उस लड़के का करियर बेहद सफल रहा था। वहां उसकी दर्जनों फोटो थी: कैटवॉक की, कैटालॉग की, सोशल इवेंट्स की... फिर मैं उसके विडियो खोजने लगी। उसने कुछ एड्स भी की थी, जिनमें से अधिकाँश अन्य देशों में प्रसारित की गई थी। मैंने उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स भी खंगाल डाले, जहाँ से मुझे जानकारी का एक भण्डार मिल गया: उसके परिजनों की तसवीरें, उसके शौक, उसके सैर-सपाटे, बड़े-बड़े लोगों के साथ उसकी तसवीरें, उसकी व उसकी पुरानी गर्लफ्रेंड्स की तसवीरें... जिससे मुझे थोड़ी जलन भी हुई। वे सभी बहुत खूबसूरत थी, और बहुत सारी भी। मैं नहीं जानती कि कारण वे फोटोग्राफ्स थी या फिर उस कमरे में उसके साथ अकेले रहने का वह एहसास कि मैं उठकर उसके केबिन में चली गई और उसे बोल आई कि मैं उसके साथ डेट पर चलने को तैयार थी, लेकिन उसे मुझे पिक करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। मैं खुद ही रेस्तरां आ जाउंगी। मैं उन कपड़ों में वहां नहीं जा सकती थी। पता नहीं क्यों लेकिन मेरे सिर पर फ्रान को इम्प्रेस करने का एक भूत सवार था।
ऑफिस से निकलते ही मैं अपनी गाड़ी की ओर दौड़ी। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। अगर वह सभी लोगों के घर लौटने का समय न होता तो मुझे अपने घर पहुँचने में इतना वक़्त न लगता, लेकिन बदकिस्मती से ऐसा ही हुआ। मैं जितनी तेज़ी से अपनी गाड़ी को भगा सकती थी, मैंने भगाया। (अपनी ज़िन्दगी में पहली बार) दो लाल सिग्नल तोड़कर मैं घर पहुँच गई। खुशकिस्मती से मेरे पास अपना खुद का पार्किंग लॉट था।
मेरा घर शहर के बाहरी इलाके में, मुल्तीअवेंतुरा पार्क की बगल में स्थित एक नयी अपार्टमेंट बिल्डिंग में था। उसमें तीन बेडरूम, एक डाइनिंग हॉल, एक रसोईघर, दो बाथरूम (जिनमें से एक मेन बेडरूम से जुड़ा हुआ था) और दो छोटी बालकनी थी।
घर में घुसते ही अपने पर्स को एक ओर फेंक मैं एक-एक कर अपने कपड़े उतारकर फर्श पर इधर-उधर फेंकने लगी। चूंकि मेरे पास नहाने का वक़्त नहीं था, अलमारी की तरफ दौड़कर मैंने अपनी बेस्ट फ्रेंड पाउला द्वारा भेंट में दी गई नीली ड्रेस पहन ली। वह मेरी गिनी-चुनी ड्रेसों में से एक थी। ऐसा नहीं था कि मुझे ड्रेसें पहनना नापसंद था। बात बस इतनी-सी थी कि मुझे पैंट-शर्ट पहनने की आदत थी। फर्श से मैंने गहरे नीले रंग के अपने वे खूबसूरत जूते उठा लिए, जिन्हें मैंने एक-दो बार ही पहना था। अपने कमरे में रखे शीशे के सामने जाकर मैं तीन बार घूमी, मानो किसी मंद संगीत की धुन पर नाच रही हूँ। मैं सिंड्रैल्ला जैसा महसूस कर रही थी। लेकिन मुझे अभी मेक-अप लगाना था व अपने बाल बनाने थे। हालांकि मुझे मेक-अप करना इतना अच्छा नहीं लगता था, ऐसा भी नहीं था कि वह मेरे बस के बाहर की बात हो। लेकिन जहाँ तक बात बाल बनाने की थी, तो मैं बस कुछेक बातें ही जानती थी। अगर बात कुछ जटिल ढंग से बाल बनाने की आती तो मुझे किसी न किसी की मदद की ज़रूरत पड़ती, और उस वक़्त मैं कम समय में एक शानदार हेयरस्टाइल बनवाना चाहती थी। जब भी मुझे अपने बाल कुछ ज़्यादा ही अच्छे से बनवाने की ज़रूरत पड़ती और मेरे पास सलून जाने का समय न होता, तब मैं अपनी पड़ोसन के घर चली जाया करती। उसके हाथों में फुर्ती और हुनर, दोनों ही थे। मैंने उसके घर की घंटी बजाई। वह उसके डिनर बनाने का समय था। दरवाज़ा उसके पति ने खोला। पीछे टीवी की आवाज़ और उनके बच्चों का शोर साफ़-साफ़ सुनाई दे रहा था। मैंने उसे अपने आने का कारण बताया और मेरे हाथ बस निराशा ही लगी। उसने मुझे बताया कि उसकी बीवी डिनर के लिए कुछ सामान लेने बाहर गई हुई थी, लेकिन वह जल्द ही लौट आएगी।
मैं अपने घर वापस आ गई। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं करूँ तो क्या करूँ। खुद को शांत कर मैं सोफे पर बैठ गई। वक़्त था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था और मैं देर से पहुंचना नहीं चाहती थी। अपना टैबलेट उठाकर मैं उसपर रेस्तरां का पता खोजने लगी। मुझे पता तो था कि वह एक महँगी और ख़ास जगह थी, लेकिन मेन्यू पर नज़र जाते ही मेरे होश उड़ गए। उस समय मुझे दो बातों से हैरानी हो रही थी: पहली तो यह कि मुझे किसी ऐसी जगह पर आने को आमंत्रित किया गया था, और दूसरी यह कि दुनिया में ऐसे भी लोग थे, जो इतने कम खाने के लिए इतने ज़्यादा पैसे देने को तैयार रहते थे।
वक़्त बीतता जा रहा था और मेरी पड़ोसन का कोई अता-पता नहीं था। ठीक-ठाक लगने वाला कोई सहज-सा हेयरस्टाइल बनाने के बारे में मैं अभी सोच ही रही थी कि मेरे दरवाज़े की घंटी बज उठी। वह मेरी पड़ोसन थी। मुझे इतने अच्छे कपड़े पहने देखकर उसे थोड़ी हैरानी हुई और वह एक-दो अशोभनीय सवाल पूछ बैठी, जिनका जवाब मैंने धैर्यपूर्वक मुस्कराते हुए उसे दे दिया। दो मिनट बाद मेरे भूरे बाल एक खूबसूरत जूड़े में गूंथे हुए थे। एक अच्छे-से पर्स में सारा ज़रूरी सामान भरकर मैं अभी बाहर निकलने को हुई ही थी कि मेरे फ़ोन की घंटी बजने लगी। वह मेरी बहन सेलेस्ते की कॉल थी। वह फ़ोन पर रो रही थी। उसने मुझे बताया कि उसके बॉयफ्रेंड ने उसे डंप कर दिया था और वह कुछ दिन मेरे घर पर रहना चाहती थी। दस मिनट बाद मैं अपनी गाड़ी में अपनी बहन के बॉयफ्रेंड – मेरा मतलब उसके एक्स-बॉयफ्रेंड – के घर जा रही थी। मैंने जींस और बेबांह टॉप पहना हुआ था व मेरे बाल खुले थे। डेट की मेरी सभी उम्मीदों पर अब पानी फिर चुका था!
मैं अपनी बहन की गली में पहुंच गई। वह इलाका कोई ख़ास अच्छा नहीं था। अपने हाथों में एक सूटकेस और एक स्पोर्ट्स बैग थामे वह फुटपाथ पर मेरा ही इंतज़ार कर रही थी। किसी और गाड़ी की बगल में अपनी गाड़ी लगाकर मैं उसे अपने नज़दीक आते देखती रही। गाड़ी का पीछे वाला दरवाज़ा खोल उसमें अपना सामान रखकर वह मेरी बगल वाली सीट पर बैठ गई। उसे देखते ही मैं घबरा गई।
तुम्हें हुआ क्या है?
, मैंने नाराज़ होकर पूछा।
सेलेस्ते ने सिर हिलाकर न में जवाब दिया।
तुम उसे छोड़ दोगी, है न?
। वह रो रही