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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 44)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 44)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 44)
Ebook98 pages52 minutes

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 44)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की चौवालीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateOct 20, 2018
ISBN9780463015476
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 44)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 44)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 44)

    Copyright

    दो शब्द

    माँ, मैं ऐसा नहीं करना चाहता Maa, Main Aisa Nahi Karna Chahta

    इससे बड़ी तपस्या नहीं Issey Badi Tapasya Nahi

    मिटटी का सम्मान 1218: Mitti Ka Samman

    अपना पेट नहीं भरता Apna Pet Nahi Bharta

    स्नेह की शक्ति Sneh Ki Shakti

    वो संतुष्ट नहीं हुआ Wo Santusht Nahi Hua

    मैं कायर नहीं हूँ Main Kayar Nahi Hoon

    निकोला टेस्ला की लगन Nikola Tesla Ki Lagan

    हो गया अभिषेक Ho Gaya Abhishek

    माँ के तीन गहने Ma Ke Teen Gahney

    खुदा भी इबादत करते हैं Khuda Bhi Ibaadat Karte Hain

    माँ की सीख Maa Ki Seekh

    दिन में लालटेन Din Mein Lalten

    हाँ कहो Haan Kaho

    मेरी पहली पत्नी Meri Pahli Patni

    खुशियां बांटना सीखिए Khushiyan Bantnaa Seekhiye

    अब तुम बदल गए हो Ab Tum Badal Gaye Ho

    मेरा तो कुछ है ही नहीं Mera To Kuch Hai Hi Nahi

    सबसे बड़ा ज्ञानी Sabse Bada Gyani

    ईमानदारी की कीमत Imaandari Ki Keemat

    कौन होगा वो शख्स Kaun Hoga Wo Shaks

    चापलूस के शिकंजे में Chaploos Ke Shikanje Mein

    जिंदगी की भागमभाग Zindagi Ki Bhagambhag

    बेटी का अभागा बाप Beti Ka Abhaaga Baap

    योग्य वर Yogya Var

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की चौवालीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    माँ, मैं ऐसा नहीं करना चाहता Maa, Main Aisa Nahi Karna Chahta

    एक दिन एक बेटा अपनी माँ के सामने बैठा खाना खा रहा था. वो सातवीं कक्षा में पढता था, परन्तु वो बहुत ही बुद्धिमान और जिज्ञासु था.

    उसकी माँ अपने बेटे को खाते हुए देखकर फूली नही समा रही थी. वो हमेशा पढ़ने लिखने में अपनी कक्षा के सभी छात्रों से आगे ही रहता था.

    अचानक खाना खाते खाते बेटे ने अपना हाथ रोककर माँ की तरफ देखकर पूछा, माँ, हमारे शिक्षक कहते हैं के बच्चे अपने माँ बाप से ही ज्यादातर चीजें सीखते हैं. क्या ये बात सच होती है, माँ?

    उसकी माँ अचानक संभल गयी पर फिर बेटे के सर पर हाथ फेर कर बोली, हाँ बेटा, तुम्हारे शिक्षक सच ही कहते हैं. तुम भी तो मुझसे और अपने पापा से बहुत सी बातें सीखते हो.

    बेटा अचानक उदास हो गया और आंखें नीची करके खाने की थाली को देखने लगा. उसकी माँ ने तुरंत ही पूछा, "क्या हुआ बेटा, तुम एकदम उदास क्यों हो गए?

    बेटे ने कहा, "माँ, आप पापा को थोड़ा समझा दीजिये. वो जब देखो दादी पर चिल्लाते रहते हैं और उनको ना जाने क्या क्या कहते रहते हैं.

    दादी तो पापा की मम्मी हैं ना? फिर वो दादी को इतना गुस्सा क्यों करते हैं? मैं आपसे बाद में ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहता. पापा से कहियेगा के दादी की इज्जत किया करें."

    माँ की तो जैसे सांस ही गले में अटक गयी और उसकी आँखों में आंसू आ गए. वो भरे गले से बोली, तुम ठीक कहते हो बेटा, और तुम्हारे शिक्षक भी बिलकुल ठीक कहते हैं.

    मित्रों,

    बहुत ही साधारण सा सिद्धांत है: अगर आप औरों से इज्जत पाना चाहते हैं तो आपको औरों की इज्जत करना भी आना चाहिए.

    आज जो व्यव्हार आप अपने माँ बाप से करते है, भगवान् ना करे कल को आपके बच्चे बड़े होकर आपसे

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