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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 38)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 38)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 38)
Ebook89 pages44 minutes

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 38)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की अड़तीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJul 29, 2018
ISBN9780463218020
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 38)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 38)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 38)

    Copyright

    दो शब्द

    क्या एक डॉलर काफी है? Kya Ek Dollar Kafi Hai?

    दो थालियां Do Thaliyaan

    सब त्याग दिया Sab Tyag Diya

    कुम्हार के घर Kumhar Ke Ghar

    पांच दीये Paanch Diye

    पाप का गुरु Paap Ka Guru

    अर्जुन का अहंकार Arjun Ka Ahankaar

    संतुष्टी का एहसास Santushti Ka Ehsaas

    एक शब्द से पश्चाताप Ek Shabd Se Pashchataap

    लालच Laalach

    चांदी का गिलास Chaandi Ka Glass

    घनिष्ठ मित्र Ghanishth Mitra

    फटा हुआ मोजा Fataa Hua Mojaa

    दुर्योधन स्वर्ग में Duryodhan Swarg Mein

    एक टुकड़ा और Ek Tukda Aur

    शराब बुरी चीज़ है Sharaab Buri Cheez Hai

    भलाई स्वभाव में Bhalai Swabhaav Mein

    सादगी भरा जीवन Saadgi Bhara Jeevan

    असहाय बूढ़ा पिता Asahaya Boodha Pita

    दिखावा Dikhaawaa

    खुदा का शुक्रिया Khudaa Ka Shukriya

    तुम सब अधर्मी हो Tum Sab Adharmi Ho

    अगर भगत सिंह अँगरेज़ होते? Agar Bhagat Singh Angrez Hotey?

    एक किताब जो जीवन बदल गयी Ek Kitab Jo Jeevan Badal Gayi

    चार तरह के लोग Char Tarah Ke Log

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की अड़तीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    क्या एक डॉलर काफी है? Kya Ek Dollar Kafi Hai?

    वो पांच या छे बरस की छोटी सी लड़की मिस्टर कोहन की कृतिम गहनों की दुकान में कई बार आ चुकी थी. नवंबर के पहले दिन से तो वो एक हफ्ते प्रतिदिन ही आयी थी..उसके कपडे साफ़ तो होते थे परन्तु बहुत ही पुराने थे.

    मिस्टर कोहन की दुकान पर पांच लड़कियां गहनों की बिक्री का काम करती थी.

    उन्होंने एक दिन उस छोटी लड़की को भगाने का प्रयास किया था, परन्तु मिस्टर कोहन ने उनको रोक दिया था, ये बेचारी छोटी सी लड़की हमारा क्या नुक्सान कर सकती है? बेचारी दुकान में सजाई हुई चीजों को ही तो देखती रहती है.

    दुकान में काम करने वाली लड़कियों ने उस दिन के बाद उस छोटी लड़की को कुछ नहीं कहा.

    वो हफ्ते में तीन या चार बार आती थी सभी अलमारियों में सजा कर रखे हुए सुन्दर गहनों को देखती थी और चली जाती थी. वो आते ही सबको गुड मॉर्निंग या गुड डे कहती थी और जाते हुए भी गुडबाई कहती थी.

    मिस्टर कोहन देखा करते थे के वो लड़की विभिन्न गहनों को बहुत ही ध्यान से देखती थी.. वो अंगूठियों को कभी नहीं देखती थी.

    मिस्टर कोहन के हिसाब से उनकी दुकान में सबसे सुन्दर तो अंगूठियां ही थी. वो उस छोटी लड़की से पूछना चाहते थे के वो बालियों, कड़ों, चूड़ियों, हारों, को

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