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Rochak Kahaniyan: Interesting short stories For children
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Rochak Kahaniyan: Interesting short stories For children
Ebook172 pages1 hour

Rochak Kahaniyan: Interesting short stories For children

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About this ebook

This book Interesting Tales for Children makes a strong case that well-chosen stories give children good role models and increase their empathy for others. It doesn't just hand children simplistic moral precepts, but give them the opportunity to think about and discuss moral choices.
Interesting Tales for Children is a compilation of 50 one-page short stories for children. Language used is elementary and simple. Each story comes with a caricature type illustration in black & white to retain interest of young readers. The moral at the end of the story summaries precisely what the child is supposed to learn!
These stories educate children about a family, tradition, ethos, social mores or share cultural insight or a combination of all these. Thoughtful stories not only provide enjoyment, they also shape and influence lives of children.
We have published following books in this series:
Legendary Tales for Children
Jungle Tales for Children
Folk Tales for Children
Interesting Tales for Children
Ramayana Tales for Children
These books don’t offer theoretical moral values or claim to preach to children. They show the way!!
#v&spublishers
Languageहिन्दी
Release dateNov 19, 2013
ISBN9789352151578
Rochak Kahaniyan: Interesting short stories For children

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    Rochak Kahaniyan - EDITORIAL BOARD

    चार

    1

    बला टली

    सोहन अपने खेत की रखवाली कर रहा था। तभी उसने देखा कि एक व्यक्ति अपने घोडे पर सरपट भागता हुआ आया और आगे निकल गया। थोडी ही देर बाद उसके पीछे-पीछे कोतवाल भी अपने सिपाहियों सहित पहुँचा। उसने सोहन से पूछा कि उसने किसी को घोड़ा ले जाते देखा है। सोहन समझ गया कि अभी जो घोड़े पर सरपट भाग रहा था। वह कोई चोर था, जिसे पकड़ने के लिए इतने सारे सिपाही उस के पीछे आये है। उसने कहा कि 'देखा तो है कोतवाल जी.' वह आगे कुछ कहता इससे पहले ही कोतवाल ने कहा कि तुम हमारे साथ चलो और बताओ कि वह किधर गया है। सोहन को उसके पिता खेत की रखवाली करने के लिए छोड़ गये थे। उसने सोचा कि चोरों को पकड़ना कोतवाल का "काम है, उसका काम तो खेत की रखवाली करना है, पर कोतवाल के आगे जो बात निकल गयी,सो निकल गयी। अब अपना काम आसान करने के लिए यह मेरे सामने मुश्किल खड़ी कर देगा। पिता भी नाराज होगें कि अपने हाथ का काम क्यो छोड़ा। आयी आफत:, को टालने के लिए कोतवाल से कहा, ‘मैने देखा'है उस घोड़े के बड़े-बड़े सींग से और वह आदमी उसके सींगों में रस्सी बाँध कर इसी तरफ से गया है, आप इसी रास्ते से तेजी से चले जायें। 'इतना कहते ही कोतवाल ने अन्दाजा लगाया कि लड़के ने घोड़ा नहीं देखा, गाय देखी है। उसने सोहन को छोड़ा और अपने सिपाहियों सहित चोर को तलाशने के लिए आगे बढ़ गया। अपनी बला दूसरों पर टालने वाले के साथ कोई सहयोग नहीं करता।

    2

    सेर को सवा सेर

    राजू पंसारी और मंगू फलवाले की दुकानें पास-पास थीं। एक दिन राजू को अलग से एक तराजू और बाट की जरुरत पड़ी। उसने मंगू से कहा, "मुझे कुछ देर के लिए तुम्हारा तराजू और बाट चाहिए। काम होते ही मैं तुम्हें लौटा दूँगा।' मंगू ने उसे अपना तराजू और बाट दे दिया। कुछ देर बाद जब मंगू ने अपना तराजू और बाट माँगा, तो राजू ने कहा, 'भैया, माफ करना, मैं तुम्हें तुम्हारा सामान नहीं लौटा पाऊँगा। उसे तो चूहे खा गये।' राजू की बात सुनकर मंगू को बहुत गुस्सा आया। लेकिन उसने गुस्सा दबाते हुए कहा, 'कोई बात नहीं। अब चूहे खा गये हैं, तो इसमें तुम्हारा क्या दोष? यह कहकर वह अपनी दुकान में चला गया।

    अगले दिन मंगू ने राजू से कहा, 'मैं तराजू और बाट खरीदने शहर जा रहा हूँ। कुछ और जरूरी सामान भी लाना है। क्या तुम अपने बेटे को मेरे साथ भेज सकतें हो? राजू ने अपने बेटे को मंगू के साथ भेज दिया। शाम को मंगू को अकेला लौटा देख राजू ने उससे पूछा, मेरा बेटा। कहाँ है? मंगू, ने कहा, क्या बताऊँ भैया,उसे सारस उठा कर ले गया।' उसकी बात सुनकर राजू को गुस्सा आ गया। वह गुस्से से भुनभुनाते हुए बोला, 'इतने बड़े लाड़के को भला सारस कैसे उठा कर ले जा सकता है? मंगू ने कहा, 'ठीक उसी तरह, जिस तरह इतने बड़े तराजू और बाट को चूहे खा सकते है।

    उसकी बात सुनकर राजू को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने मंगू को उसका सामान लौटा दिया और कहा, 'अब तो बता दो मेरा बेटा कहाँ है? मंगू, उसे अपने घर ले गया। वहाँ उसका बेटा आराम से भोजन कर रहा था। उसे सकुशल देखकर राजू ने मंगू को धन्यवाद दिया और अपनी गलती के लिए माफी माँगी।

    3

    खजाना

    एक बूढा किसान था, सुखिया। उसके तीन बेटे थे। सुखिया उन्हें अकसर खेती में हाथ बँटाने को कहता लेकिन वे बहुत आलसी थे। वे पिता की बात एक कान से सुनते और दुसरे से निकाल देते। सुखिया उनकी इस आदत से बहुत परेशान था। एक दिन उसने अपने बेटों से कहा, 'तुम लोगों के लिए मैंने अपने खेत में एक खजाना गाड़ रखा है। तुम तीनों खेत पर जाओ और उसे खोद कर खजाना निकाल लो।' दुसरे दिन तीनों बेटे जल्दी उठ गये और कुदालियाँ लेकर खेत पर पहुँच गये। सारा दिन खेत खोदते रहे लेकिन खजाना नहीं मिला। शाम को वे पिता से बोले, 'हमने सारा खेत खोद दिया, लेकिन खजाना कहीं नहीं मिला।'

    सुखिया ने कहा, 'थोडी मेहनत और करो, खजाना भी मिलेगा। "अगले दिन सुखिया ने खुदे हुए खेत में बीज डाल दिये और बेटों से कहा, 'तुम रोज खेत में समय पर पानी देते रहना, तो खजाना मिल जायेगा।' बेटे खजाने के लालच में पिता के कहे अनुसार काम करते रहे। देखते ही देखते खेत में हरी-भरी फसल लहलहाने लगी। लहलहाती फसल को देखकर सुखिया और

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