प्रेरणा कथाएं: भाग दो
By Raja Sharma
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मौखिक कथा वाचन लगभग विश्व के हर राष्ट्र में सदियों से चलता आया है और प्राचीन धार्मिक, नैतिक, और मौलिक कथायें लगभग हर समाज में प्रेरणा के स्रोत के रूप में रही हैं।
इस संकलन में प्रस्तुत कथायें भारतीय समाज के अलग अलग समय और वर्गों से ली गयी हैं और प्रत्येक कथा साहित्य का एक अनमोल रत्न है ।
प्रेरणा कथाएं: भाग दो
Copyright
भूमिका
चुनौतियों का सामना कीजिये
थोडी सी अच्छाई
धैर्य और लगन
निन्दा मत करो
पिता का कर्ज
बहुमूल्य उपदेश
बुरा समय हमेशा नहीं रहता
भगवान की इच्छा
भावना और व्यापार
मन्दिर और पुजारी
मेहनत से कामाना सीखिये
विनम्र हो जाओ
शब्दों का महत्व
समय को पहचानो
सहयोग का मूल्य
सुकरात की कसौटी
हजरत मोहम्मद और क्षमा
Raja Sharma
Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.
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प्रेरणा कथाएं - Raja Sharma
प्रेरणा कथाएं: भाग दो
राजा शर्मा
Copyright
Prerna Kathayein: Bhag Do
Raja Sharma
Copyright@2013 Raja Sharma
Smashwords Edition
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भूमिका
मौखिक कथा वाचन लगभग विश्व के हर राष्ट्र में सदियों से चलता आया है और प्राचीन धार्मिक, नैतिक, और मौलिक कथायें लगभग हर समाज में प्रेरणा के स्रोत के रूप में रही हैं।
इस संकलन में प्रस्तुत कथायें भारतीय समाज के अलग अलग समय और वर्गों से ली गयी हैं और प्रत्येक कथा साहित्य का एक अनमोल रत्न है ।
चुनौतियों का सामना कीजिये
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये! एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा, देखिये प्रभु,आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है आपको खेती बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा! परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा!
किसान ने गेहूं की फ़सल बोई, जब धूप चाही, तब धूप मिली, जब पानी तब पानी! तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी, समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी ! किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते हैं, बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे.
फ़सल काटने का समय भी आया ,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया! गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था, सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी, बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा, प्रभु ये क्या हुआ?
तब परमात्मा बोले," ये तो होना ही था, तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया. ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया, इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा