कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 28)
By Raja Sharma
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विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की अठाईसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
Raja Sharma
Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.
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कथा सागर - Raja Sharma
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 28)
राजा शर्मा
Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma
Smashwords Edition
All rights reserved
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 28)
Copyright
दो शब्द
मरने के सात दिन बाद Marne Ke Saat Din Baad
चपरासी से अरबपति Chaprasi Se Arabpati
वो प्यारा साथी Wo Pyaara Sathi
परोपकार करने वाला Paropkaar Karne Wala
कुछ देर और रुकिए Kuch Der Aur Rukiye
दुष्ट राजकुमार Dusht Rajkumar
वो एक माँ Wo Ek Maa
वो अंधी लड़की Wo Andhi Ladki
काम, रोग, और मृत्यु Kam, Rog, Aur Mrityu
आईने पर विचार Aaine Par Vichaar
माँ नहीं समझी थी Maa Nahi Samjhi Thee
सबसे सुखद बातचीत Sabse Sukhad Baatcheet
रास्ता दिखाने वाला Rasta Dikhaaney Wala
कैलीन, वो लड़की Caline, Wo Ladki
कुछ और खाओगी Kuch Aur Khaogi
मनुष्य उदार हैं Manushya Udaar Hain
देवदूत बच्चे Devdoot Bachhey
मम्मी या डैडी Mummy Ya Daddy
बीस साल बाद Bees Saal Baad
वो देवदूत ही थी Wo Devdoot Hi Thi
दूसरी माँ Doosri Maa
करोड़पति और तीन भिखारी Crorepati Aur Teen Bhikhari
अधूरी रह गयी Adhuri Rah Gayi
सन्यासियों के बीच शहरवासी Sanyasiyon Ke Beech Shaharwasi
मैं अकेली Main Akeli
दो शब्द
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की अठाईसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
मरने के सात दिन बाद Marne Ke Saat Din Baad
उसने महसूस किया के कुछ गरम तरल पदार्थ उसके माथे से होता हुआ उसके गालों से नीचे जा रहा था. उसने अपने आप से पूछा,क्या गरम बारिश हो रही है?
उसने अपनी आंखें खोली और देखा के उसके आस पास लोग दौड़ रहे थे. ऐसा लग रहा था के सभी जल्दी में थे.
एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति (डॉक्टर) खड़ा था . उसकी सफेद मूछें थी और उसने एक लाल लाल धब्बों वाला सफेद चोगा पहन रखा था.
उसके साथ एक पुरुष (सहायक डॉक्टर) और दो स्त्रियां (नर्सें) नीले कपड़ों में थी. उनमें से एक स्त्री ने उस व्यक्ति की तरफ देखा और जोर से कुछ बोली. वो सुन नहीं सका उसने क्या कहा, परन्तु उसने महसूस किया के वो नीचे लेटा हुआ था.
उसका चेहरा गरम तरल पदार्थ के कारण गरम होता जा रहा था. उसकी कमीज गीली हो रही थी. उसको चक्कर आने लगे.
उसे ऐसे लगा के उसके आस पास सब कुछ घूम रहा था और खड़े हुए लोग धूमिल हो गए थे. एक क्षण के लिए उसके शरीर में बहुत जोर का कम्पन हुआ और उसके बाद सब सफेद हो गया.
उसके आस पास बहुत हल्ला था पर उसने कुछ नहीं सुना. लोग सभी तरफ से आ रहे थे. उसके कानो में बहुत जोर से दर्द हो रहा था.
जब एक जोर की आवाज़ हुई, उसको होश आ गया. उसने अपनी आंखें खोल कर अपने चारों तरफ देखा. उसने देखा के वो एक सफ़ेद जमीन पर था. दूर दूर तक सफेदी ही सफेदी थी.
उसके घुटनो को झाड़ियां छू रही थी. हलकी मधुर हवा चल रही थी. अचानक उसने देखा के उसकी आँखों के सामने एक नीला चित्र आ गया था. वो पिकासो का एक चित्र था.
आकाश एकदम नीला था.. वो आकाश की सुंदरता में डूब गया. अचानक एक पुरुष की आवाज़ ने उसका ध्यान भंग कर दिया.
उसके कानो में एक आवाज़ आयी, मिस्टर जॉनसन जेन जैकब्स? २८ बरस उम्र. जन्म ११ सितम्बर, १९८०. क्या आप ही हैं?
उसने मुड़कर देखा और पाया के एक युवक उसके पीछे खड़ा था. शायद वो सत्रह अठारह बरस का रहा होगा.
वो बहुत ही सुन्दर था. उसके भूरे बाल थे और चमकती हुई नीली आंखें थी. उसने साधारण कपडे लगाए हुए थे, एक शर्ट और नीली जींस.
उससे पूछने ही वाला था के वो कहाँ था परन्तु उस युवक ने कहा, क्या मिस्टर जॉनसन आप ही हैं?
उसने जवाब दिया, हाँ मैं ही हूँ.
उस युवक ने कहा, आज १० अप्रैल, २०१८ को आप औपचारिक तौर पर मृत घोषित किये जाते हैं.
वो उसको देखता ही रह गया और सोचने लगा के क्या वो कोई मजाक था. परन्तु वो अच्छा मजाक नहीं था.
सही में वो बिलकुल अच्छा नहीं था. कल्पना कीजिये आप अचानक ऐसे जगह अपनी आंखें खोलते हैं जहाँ कुछ भी नहीं है और अचानक एक लड़का आता है और घोषणा करता है के आप मृत घोषित किये जाते हैं.
उसको बहुत गुस्सा आया और वो अपने आप से ही प्रश्न पूछने लगा. युवक ने उसको कुछ देर देखा और फिर कहा, आप मर चुके हैं.
उसके शब्दों में कोई भावना नहीं थी. एकदम ठन्डे शब्द थे.
वो दंग होकर दो मिनट तक वहीँ खड़ा रहा. उसने अपने आप से कहा, "ये कहता है मैं मर गया हूँ. मैं इसके सामने खड़ा हूँ.
मेरा शरीर बिलकुल ठीक है और कोई घाव भी नहीं है. और मैं सांस ले रहा...." अचानक उसने महसूस किया के वो सांस नहीं ले रहा था.
उसने अपना हाथ अपनी छाती पर रखा और अपने ह्रदय की धड़कन महसूस करने लगा. कोई धड़कन नहीं थी.
उसने बहुत प्रयास किया. नहीं, कोई भी धड़कन नहीं थी. बहुत ही बुरा अनुभव था. उसको महसूस होने लगा के वो मर गया था.
उसको लगने लगा के उसके शरीर में शक्ति ही नहीं थी. उसका शरीर ढीला हो गया था. वो जमीन पर गिर गया.
नीचे जमीन नरम थी. उसने फिर से आकाश को देखा. बहुत ही सुन्दर दृश्य था. उसने अपनी आंखें बंद कर दी.
वो उन चीजों के बारे में सोचने लगा जो उसको प्यारी थी. वो सुबह की अपनी कॉफ़ी को याद करने लगा. उसको समुद्र का किनारा याद आया. उन दिनों के बारे में सोचते हुए उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी.
उसको याद आया के कैसे वो कभी सफल होता था कभी असफल और कैसे उसके दिन कभी बहुत अच्छे होते थे कभी बहुत बुरे.
कुछ दिन वो बहुत मौज करता था और कभी संघर्ष करना पड़ता था. उसको लगा के कैसा मजाक था के मरने से पहले उसने कभी महसूस ही नहीं किया था के समय कितना बहुमूल्य होता है.
वो अपने जीवन के बारे में सोचते सोचते एकदम शांत हो गया और उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे. वो वास्तव में ही मर गया था. वो तो सात दिन पहले ही मर गया था.
मित्रों,
इस कथा का तात्पर्य सिर्फ ये बताना है के मानव जीवन अमूल्य होता है और समय बहुमूल्य.
अपने जीवन काल में हमको समय का सदुपयोग करना चाहिए नहीं तो अंतिम समय में सिर्फ पश्चाताप और आंसू ही रह जाते हैं. मरते समय चेहरे पर मुस्कान हो तो माना जायेगा के जीवन सफल था.
चपरासी से अरबपति Chaprasi Se Arabpati
ये रोबर्ट कोउक के एक चपरासी से दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बनने की अविश्वसनीय कहानी है.
रोबर्ट कोउक हॉक नैन का जनम ६ अक्टूबर १९२३ के दिन जोहोर में जोहोर बरहु में हुआ था.
उनका जन्म एक चाइनीस माता पिता के घर में हुआ था जो बीसवीं शताब्दी में मलेशिया में बस गए थे. उनके पिता जी जरूरत की चीजों का व्यापार करते थे.
रोबर्ट कोउक ने अपनी स्कूल की शिक्ष सिंगापुर के रैफल्स इंस्टीटूशन से पूरी की थी. फिर उन्होंने स्नातक तक की