21 Shreshtha Balman ki Kahaniyan: Madhya Pradesh (21 श्रेष्ठ बालमन ... प्रदेश)
()
About this ebook
Related to 21 Shreshtha Balman ki Kahaniyan
Related ebooks
21 Shreshth Balman ki Kahaniyan : Meghalaya (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां : मेघालय) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21 Shreshtha Balman ki Kahaniyan: Australia (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियाँ: ऑस्ट्रेलिया) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअधूरा इश्क़ अधूरी कहानी: Love, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsतीन दोस्त: हिमांशु पाठक की कहानियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsTitli ki Seekh (21 Prerak Baal Kahaniyan): तितली की सीख (21 प्रेरक बाल कहानियाँ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAnmol Kahaniyan: Short stories to keep children entertained Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमेरा भी एक गाँव है Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKiran Bedi : Making of the Top Cop Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानियाँ सबके लिए (भाग 8) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्यधारा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 10) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21 Shreshth Balman ki Kahaniyan : Himachal Pradesh (21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां : हिमाचल प्रदेश) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsROCHAK KAHANIYAN Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsOh! Priya Maheshwari Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsधीरज की कलम से...: Fiction, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 45) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsचाय कुल्हड़ में Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21 Shreshth Lok Kathayein : Haryana (21 श्रेष्ठ लोक कथाएं : हरियाणा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsLove Or Compromise Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ: लेखक परिचय, कहानी परिचय, कहानी तथा मुख्य बिन्दु व कथन सहित Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमेरे प्यारे पापा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKahaniya Bolti Hai Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsYogi Kathaamrt : Ek Yogi Ki Atmakatha Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsYouth the voice of India Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsDadinkowa Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsपीली साड़ी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsआओ याद करें Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक ही भूल Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsजीवन की कहानी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकैसे लिखूं मैं अपनी प्रेम कहानी ?: Fiction, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for 21 Shreshtha Balman ki Kahaniyan
0 ratings0 reviews
Book preview
21 Shreshtha Balman ki Kahaniyan - Om Prakash Kshatriya 'Prakash'
अनिल अग्रवाल
पिता का नाम : स्व. बी. एम. अग्रवाल
माता का नाम : स्व. श्रीमती अन्नपूर्णा अग्रवाल
संप्रति : संचालक अन्नपूर्णा स्टेशनरी
शिक्षा : बीएससी, पीजीडीसीए
प्रकाशित कृतियां :
1. बच्चों की स्मार्ट सिटी ( कविता संग्रह )
2. बच्चों करो समय प्रबंधन (प्रेरक पुस्तक)
3. मेरी प्यारी बेटी मिठ्ठी (कहानी संग्रह)
4. हिप हिप हुर्रे हो ( कविता संग्रह )
5. (कहानी संग्रह) (प्रकाशनाधीन)
सम्मान / पुरस्कार :
- बाल साहित्य कला सम्मान, 2015-16 ( कला मंदिर भोपाल)
- श्री शिवनारायण सूर्यवंशी बाल साहित्यकार सम्मान, 2016 ( बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केंद्र भोपाल )
- राष्ट्रीय गौरव सम्मान, 2017 (साहित्य समीर दस्तक, भोपाल )
- स्वतंत्रता सेनानी ओंकार लाल शास्त्री स्मृति पुरस्कार यात्रा वृतांत प्रतियोगिता, 2018 ( सलिला संस्था सलूंबर, राजस्थान )
- स्वर्गीय श्री कोमल चंद जी श्रीमती आशा लता जैन जी स्मृति पत्र लेखन प्रतियोगिता पुरस्कार, 2018
खुशबू वाले हाथ
‘पापा मुझे भी मोबाइल और मोटरबाइक दिलवाओ ना।’ रोहन अपने पापा से जिद करते हुए कह रहा था। रोहन जब से नवीं कक्षा में आया है, तब से दिन-प्रतिदिन उसकी फरमाइशें बढ़ती जा रही थीं।
मम्मी की तरफ देखकर रोहन ने फिर दोहराया, ‘मम्मी, मेरे कई दोस्त मोटरबाइक से स्कूल आते हैं। जितेंद्र के पापा बहुत बड़े बिल्डर हैं। उन्होंने कल ही उसे नया आई-फोन दिलवाया है। मम्मी अब आप ही पापा को समझाओ ना। मुझे भी एंड्रॉयड चाहिए ।’
मम्मी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसे समझाने का प्रयास किया, ‘बेटा! यह सब बेकार की चीजें हैं। तू अपना मन पढ़ाई में लगा ।’ पर रोहन को तो जैसे मोबाइल और मोटरबाइक का भूत सवार था ।
जब रोहन ज्यादा ही जिद करने लगा तो पापा ओमप्रकाश जी ने उसे समझाया, ‘बेटा तू तो जानता ही है, मैं टीचर हूँ। प्राइवेट स्कूल में पढ़ाता हूँ। कभी ट्यूशन भी मिल जाती है। पर बेटा इस महँगाई के दौर में हमारी आवश्यकताएं तो पूरी हो सकती हैं पर विलासिताएँ नहीं। एक बात और भी है, अभी तुम्हारी उम्र 18 वर्ष से कम है। तुम्हारा लाइसेंस भी नहीं बन सकता। मोटरसाईकिल चलाने के लिए यह आवश्यक है ।’
रोहन ने उदास होते हुए कहा, ‘पर पापा, जितेंद्र के पापा ने उसे बाइक..’
इस पर पापा टोकते हुए समझाने लगे, ‘बेटा मैं ईमानदारी से अपना काम करता हूँ। कोई भी अनैतिक और गलत कार्य नहीं करता। बेटा मेरे हाथ में पैसा जरूर कम है पर मेरे हाथों में ईमानदारी की खुशबू है या यूँ कहूँ मेरे हाथ खुशबू वाले हाथ हैं ।’
रोहन आश्चर्य से अपने पापा को देखते हुए बोला, ‘पापा यह खुशबू वाले हाथ क्या होते हैं?’
‘बेटा ऐसा है, मेरी जो कमाई है वह पवित्र है, ईमानदारी की है। उसमें बेईमानी की बू नहीं है।’ बोलते-बोलते पापा ने घड़ी की तरफ देखा, ‘अरे! मेरा विद्यालय जाने का समय हो रहा है। और हाँ, यह बात तुम्हारे दादा जी अच्छे से समझायेंगे। तुम यह प्रश्न अपने दादा जी से पूछना ।’ ऐसा कहकर पापा स्कूल जाने की तैयारी करने लगे ।
तभी रोहन दौड़ते हुए दादाजी के कमरे में गया। वहाँ दादा जी अखबार पढ़ रहे थे। रोहन उदास स्वर में दादा जी से कहने लगा, ‘दादाजी ! आपसे एक बात पूछनी है।’
दादाजी ने अखबार को एक तरफ रख दिया। फिर रोहन को उदास देखकर पूछा, ‘क्या हो गया भाई ? आज इतने उदास क्यों दिख रहे हो ?’
रोहन अपनी उत्सुकता रोक नहीं पाया। उसने दादाजी से पूछा, ‘दादा जी यह खुशबू वाले हाथ क्या होता है?’
दादाजी यह सुन कर मुस्कुराए । अपना चश्मा उतार कर रोहन को अपने पास बैठा लिया। फिर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए मुस्कुराते हुए बोले, ‘बेटा इस बात को समझना है तो पहले तुम्हें एक कहानी सुननी होगी।’
कहानी का नाम सुनते ही रोहन का चेहरा खिल गया, ‘कहानी, अरे वाह! मजा आ गया। बहुत दिन हो गए आपसे कहानी नहीं सुनी।’ यह कहते हुए रोहन दादा जी से लिपट गया।
दादा जी कहने लगे, ‘बेटा बहुत समय पहले की बात है। तब मैं गांव में रहता था। वहां खेती करता था। बेटा खेती करना बहुत मेहनत का काम है। उस समय सब कुछ हाथ से करना पड़ता था । गुड़ाई, बुवाई, कटाई, फिर अनाज को बैलगाड़ी में रखकर शहर में बेचने जाना । फिर भी सुख था, संतोष था। मेरे इस काम में तुम्हारी दादी और तुम्हारे पापा ओम भी हाथ बटाते थे।’
रोहन ने आश्चर्य से पूछा, ‘और मम्मी ?’
दादाजी हँसते हुए कहने लगे, ‘उस समय तेरे पापा की शादी नहीं हुई थी। तब वह छोटा ही था। बेटा मेहनत और ईमानदारी के पैसों से घर मजे से चलता था ।’
रोहन ने पूछा, ‘तब दादा जी, फिर हम शहर कैसे आए?’
दादा जी ने कहा, ‘अरे भाई पहले सुनो तो सही, वही तो बता रहा हूँ।’ तुम्हारे पापा ने जब कॉलेज में एडमिशन लिया तब हमने शहर आने का निर्णय लिया था। क्योंकि गाँव में तो कॉलेज था नहीं। इस कॉलोनी से तुम्हारे पापा का कॉलेज भी पास ही था और कुछ ही दूरी से गाँव के लिए बस भी मिल जाती थी। तो इसी कॉलोनी में मकान लेने का निश्चित हुआ ।
‘जिस घर में हम रहते हैं, पहले उसके मालिक शर्मा जी थे। शर्मा जी से मुलाकात हुई, वो परिवहन विभाग में बाबू थे। बहुत ही सज्जन और ईमानदार। उनका तबादला दूसरे शहर हो गया था। इसलिए वे इस मकान को बेच रहे थे। मुझे आज भी याद है उन्होंने मुझसे कहा था ।’
‘देखिए भाई साहब! वैसे तो मेरे इस मकान को खरीदने के लिए कई लोग आए पर मुझे आपकी सादगी पसंद आई। मैंने यह तय कर लिया है कि यह घर आपको ही दूँगा । पर मैं चाहता हूँ कि आप इसकी कीमत खुशबू वाले हाथों से दें।’
‘बेटा रोहन, मैं उनका आशय समझ गया। मैंने उन्हें आश्वस्त किया आप निश्चिंत रहें। मेरे एक-एक पैसे में मेहनत और ईमानदारी की खुशबू है। बरकत है। आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी और इस तरह यह घर हमें मिला ।’
तब रोहन ने उत्साहित होकर पूछा, ‘अरे वाह! दादा जी ! आप ग्रेट हो ।’
‘बेटा मेहनत और ईमानदारी के बल पर तुम्हारे पापा को प्राइवेट स्कूल में नौकरी मिल गई। तुम्हारे पापा की शादी हुई। फिर तुम हमें मिले ।’
रोहन दादाजी की बातें सुनकर प्रसन्न हो रहा था। उसका मन गर्व से भर गया था। इतने में ही मम्मी की आवाज सुनाई दी, ‘बेटा रोहन क्या कर रहे हो ? स्कूल का समय हो रहा है। जल्दी तैयार हो जाओ ।’
रोहन ने झट से उत्तर दिया, ‘बस आया मम्मी ।’
दादाजी ने चश्मा पोंछते हुए कहा, ‘अब तुम समझ गए होंगे कि जब कोई व्यक्ति बेईमानी, रिश्वत और अनैतिक कार्यों से दूर रहता है। मेहनत और ईमानदारी से कार्य करता है तो उसके हाथ खुशबू वाले होते हैं।’
‘हाँ दादा जी, मुझे आपकी कहानी बहुत पसंद आई।’ रोहन समझदारी दिखाते हुए बोला। तब दादा जी ने कहा, ‘अच्छा बेटा, अब जाओ। तुम्हारे स्कूल जाने का समय हो रहा है ।’
‘जी दादा जी’, कहते हुए रोहन ने दादा जी को दवाई और पानी का गिलास दिया। फिर स्कूल जाने की तैयारी करने लगा।
फिर वह तैयार होकर स्कूल गया। स्कूल के रास्ते में ही उसे जितेंद्र और समीर पैदल जाते हुए दिखे।
रोहन ने जितेंद्र को देख कर पूछा, ‘अरे आज तुम पैदल स्कूल जा रहे हो।’
जितेंद्र कुछ नहीं बोला। पर उसके दोस्त समीर ने कहा, ‘कल ही जितेंद्र के घर पर इनकम टैक्स का छापा पड़ गया है। उसके घर का सारा सामान जप्त कर लिया गया है। उसके पापा को पुलिस पकड़ कर ले गई है।’
रोहन यह जानकर स्तब्ध हो गया। स्कूल पहुँचते ही रोहन की नजर सामने सुविचार बोर्ड पर गई । जिस पर लिखा था, ‘ईमानदारी अपने साथ बहुत सारे अच्छे गुण ले कर आती है और जीवन में किसी भी बुरी स्थिति का पूरे आत्मविश्वास के साथ सामना करने में सक्षम बनाती है ।’
दिन भर रोहन के मन में द्वंद चलता रहता है। मगर अंत में उसने निश्चय कर लिया कि मेरे पिताजी और दादाजी ईमानदारी और मेहनत से अपना जीवन जीते हैं। मुझे उनसे मोटरबाइक और मोबाइल की मांग नहीं करनी चाहिए।
शाम को जब रोहन स्कूल से घर पहुँचा तो उसके घर के आँगन में सुंदर - सी साइकिल खड़ी देखकर खुशी से चिल्लाया, ‘मम्मी यह साइकिल किसकी है?’