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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 15)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 15)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 15)
Ebook113 pages55 minutes

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 15)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की पंद्रहवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateApr 11, 2018
ISBN9781370819898
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 15)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    राजा शर्मा

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 15)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 15)

    Copyright

    दो शब्द

    बेटा, तुम कुछ छोड़े जा रहे हो Beta, Tum Kuch Chode Ja Rahey Ho

    काला या सफ़ेद Kaala Ya Safed

    देवत्व का उपहार Devatva Ka Uphaar

    तीन 'मैं' Teen 'Main'

    माँ के हाथ Maan Ke Hath

    मुसीबत में Museebat Mein

    फिएरेलो लागार्डिया Fiorello LaGuardia

    जानवर भी नहीं भूलते Jaanvar Bhi Nahi Bhooltey

    कायरता एक आदत है Kaayarta Ek Aadat Hai

    सांता क्लॉज़ नहीं होता Santa Claus Nahi Hota

    माँ हमेशा रहती है Maan Hamesha Rehti Hai

    कुत्ते सब जानते हैं Kutte Sab Jaantey Hain

    अच्छाइयां लौट कर आती हैं Achhaiyan Lout Kar Aati Hain

    सपनो का पीछा कीजिये (सत्य कथा) Sapno Ka Peecha Keejiye

    ताँबे का सिक्का Tambey Ka Sikka

    बिना कारण कुछ नहीं होता Bina Kaaran Kuch Nahi Hota

    अरबपति संगीतकार जोशुआ बेल Joshua Bell

    मेरे साथ घूमने चलोगे Mere Sath Ghoomney Chalogey

    सिर्फ समय समझता है Sirf Samay Samajhta Hai

    अंतिम होना भी लाभकारी है Antim Hona Bhi Labhkari Hai

    चतुराई ज़रूरी है Chaturai Zaroori Hai

    सुनिए! रुकिए! उत्तर दीजिये! Suniye! Rukiye! Uttar Deejiye!

    विशवास और आँखों देखा Vishwaas Aur Ankhon Dekha

    कुरूपता और प्रेम Kuroopta Aur Prem

    अंदर के भेड़िये Andar Ke Bhediye

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की पंद्रहवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    बेटा, तुम कुछ छोड़े जा रहे हो Beta, Tum Kuch Chode Ja Rahey Ho

    एक शाम एक बेटा अपने बूढ़े पिताजी को खाना खिलाने के लिए एक प्रतिष्ठित रेस्टोरेंट में ले गया. उस नौजवान के पिताजी बहुत कमजोर थे. बेटे ने पिताजी को अपने सामने टेबल के दूसरी तरफ बिठा दिया. वेटर ने दोनों के लिए खाना परोस दिया.

    खाना खाते समय पिताजी के हाथ कांप रहे थे और उनका खाना उनके कपड़ों पर और टेबल पर इधर उधर गिर रहा था.

    उनके कपडे खराब हो गए थे. उस रेस्टोरेंट में बैठे हुए सभी लोग उस बूढ़े पिता को घृणा की दृष्टि से देख रहे थे. बेचारा बेटा बिलकुल शांत बैठा अपने पिता को खाते हुए देखता रहा.

    जब पिता ने खाना खा लिया, बेटे ने बहुत ही शांतिपूर्वक उनको सहारा देकर उठाया और उनको वाशरूम में ले गया.

    उसने उनके हाथ मुंह धुलवाए और एक गीले कपडे से उनके कपड़ों पर पड़े हुए खाने के दाग भी पोंछ दिए. उसने पिताजी के बाल भी कंघी किये और उनका चश्मा उनकी आँखों पर लगा दिया.

    बाप बेटा धीरे धीरे वाशरूम से बाहर निकले. बिल देने के बाद बेटे ने देखा के रेस्टोरेंट में बैठे हुए सभी लोग उन दोनों को ही देख रहे थे. वो सब सोच रहे थे के उस बेटे ने इतने बूढ़े बाप को रेस्टोरेंट में लाकर क्यों अपने आप को दुविधा में डाला था.

    जब बाप बेटा रेस्टोरेंट से बाहर जाने लगे, बाप ने बेटे से कहा, बेटा तुमको ऐसा नहीं लगता के तुम यहां कुछ छोड़े जा रहे हो?

    बेटे ने शांति पूर्वक कहा, नहीं पिताजी, कुछ भी नहीं छूटा है.

    बूढ़े बाप ने गुस्से से कहा, नहीं तुम कुछ छोड़े जा रहे हो! तुम इस रेस्टोरेंट में हर बेटे के लिए एक पाठ और हर बाप के लिए आशा छोड़े जा रहे हो.

    रेस्टोरेंट में बैठे सभी लोगों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगी. उनके सर शर्मिंदगी से नीचे झुक गए. उन्होंने समझ लिया था के वो समय उनके जीवन में आना भी निश्चित ही था.

    मित्रों,

    जिन लोगों ने कभी हमारी देखभाल की थी उन लोगों की देखभाल करना सबसे बड़ा सम्मान होता है.

    हम सब जानते

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