Break The Rule
By joga singh
()
About this ebook
ब्रेक दा रूल किताब जीवन मे कामयाबी ओर खुशी के कुछ गूढ़ रहस्यों का पता लगाती है। यह यह पता लगाती है कि आखिर ज्यादातर लोग अभाव की जिंदगी क्यों जीकर चले जाते है? क्या यह संभव नही कि हर आदमी के सपने पूरे हो और हर आदमी एक पूर्ण जिंदगी जिए?
यह किताब समाज का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करती है और यह दर्शाती है कि हमारी मुख्य समस्या यह है कि हमे पता ही नही हमे क्या चाहिए? हम वास्तव में जिंदगी भर उन चीजों को आकर्षित करते रहते है जो हमे नही चाहिए।
यह किताब आपके दृश्टिकोण को एक नया मोड़ देगी। आप चीजो को एक नए दृश्टिकोण से देखने लगोगे। आप अपने जीवन मे सही चीजो को आकर्षित करने लगोगे। आपके जीवन मे एक गहरी समझ और नई सूझबूझ पैदा होगी।
इस नई सोच की वजह से आपके अंदर पुराने ढांचे के प्रति विद्रोहों पैदा होगा, आप अब नए नए फैसले लोगे। जहां, पहले आपके जीवन मे उम्मीद थी, अब उसकी जगह ऐक्शन आ जायेगी। इस ऐक्शन की वजह से आपके जीवन मे जीवन उपयोगी जानकारी आएगी।
यही नई जानाकरी आपके जीवन को पूरी तरह से बदल देगी। आपका जीवन रूपांतरित हो जाएगा। अब आपके जीवन मे वही चीजे आएंगी जो आप चाहते हो। आप अब वही करोगे जो आप वास्तव में करना चाहते हो।
कामयाबी क्या है? आप जीवन मे तब कामयाब माने जाते हो जब आप वह सब कर रहे होते हो जो आप जीवन मे वास्तव में करना चाहते हो। पैसा और खुशी तो फिर जीवन मे स्वतः आ जाते है।
जब जीवन की दिशा ठीक हो जाती है तो जीवन की दशा तो अपने आप सुधर जाती है। याद रहे, पैसा और खुशी बाय प्रोडक्ट है। जो चीज मायने रखती है वह तो कुछ और है
Related to Break The Rule
Related ebooks
1% का नियम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJeet ya Haar Raho Tayyar Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsLakhpati Kaise Bane: लखपति कैसे बनें Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAage Badho - (आगे बढ़ो) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKya Aap Aamir Banana Chahate Hai (क्या आप अमीर बनना चाहते है) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsVicharon Mein Chhipi Safalta: विचारों में छिपी सफलता Rating: 5 out of 5 stars5/5Zid Karo Aur Safalta Pao Rating: 5 out of 5 stars5/5Safalta Ke Sutra (सफलता के सूत्र) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJeevan Aur Vayavhar - (जीवन और व्यवहार) Rating: 5 out of 5 stars5/5JEET NISHCHIT HAI (Hindi) Rating: 4 out of 5 stars4/5Aap aur Aapka Vyavhar : आप और आपका व्यवहार Rating: 5 out of 5 stars5/5Gandhi Aur Ambedkar (गांधी और अंबेडकर) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsStress Management Rajal Neeti : Chintamukt Rahein, Khush Rahein (स्ट्रेस मैनेजमेंट राजल नीति : "चिंतामुक्त रहें, खुश रहें") Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKamyabi Aapki : कामयाबी आपकी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHow to stop worrying & start living in Hindi - (Chinta Chhodo Sukh Se Jiyo) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings@ Second Heaven.Com (@ सैकेंड हैवन.कॉम) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानी नए भारत की: Politics, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJitna Bada Jokhim Utni Badi Safalta - (जितना बड़ा जोखिम उतनी बड़ी सफलता) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSamridhshali Jeevan Jiyein (समृद्धशाली जीवन जिएं) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभीम-गाथा (महाकाव्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAatma Samman Kyun Aur Kaise Badhyein: Sure ways to build confidence and self-improvement Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsTere Naam Ka - (तेरे नाम का....) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKhushi Ke 7 Kadam: 7 points that ensure a life worth enjoying Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMANORANJAK KAHANIYON SE BHARPOOR KAHAVATE Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKarmabhoomi Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKamyabi Ke Badhate Kadam Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAap Bhi Leader Ban Sakte Hain - आप भी लीडर बन सकते हैं (Hindi Translation of The Leader In You) by Dale Carnegie Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलफ़्ज़नामा: काव्यांजलि 2.0, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAao shikhe yog Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsपुस्तकों और ई-पुस्तकों को स्वयं प्रकाशित करें Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for Break The Rule
0 ratings0 reviews
Book preview
Break The Rule - joga singh
Part One
Joga Singh
✽✽✽
Edited By
Ranbir Singh Raman
Break The Rule (Hindi Edition) Copyright © 2018 by Joga Singh.
All Rights Reserved.
No part of this book may be reproduced in any form or by any electronic or mechanical means including photo copying, recording or by any information storage and retrieval systems, without permission in writing from the author Joga Singh. The only exception is by a reviewer, who may quote short excerpts in a review.
Edited By
Ranbir Singh Raman
Author
Joga Singh
More information is available on my website at www.breaktherule.org
इस किताब के बारे में
ब्रेकदा रूल किताब जीवन मे कामयाबी और खुशी के कुछ गूढ़ रहस्यों का पता लगाती है। यह यह पता लगाती है कि आखिर ज्यादातर लोग अभाव की जिंदगी क्यों जीकर चले जाते है? क्या यह संभव नही कि हर आदमी के सपने पूरे हो और हर आदमी एक पूर्ण जिंदगी जिए?
यह किताब समाज का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करती है और यह दर्शाती है कि हमारी मुख्य समस्या यह है कि हमे पता ही नही हमे क्या चाहिए? हम वास्तव में जिंदगी भर उन चीजों को आकर्षित करते रहते है जो हमे नही चाहिए।
यह किताब आपके दृश्टिकोण को एक नया मोड़ देगी। आप चीजो को एक नए दृश्टिकोण से देखने लगोगे। आप अपने जीवन मे सही चीजो को आकर्षित करने लगोगे। आपके जीवन मे एक गहरी समझ और नई सूझबूझ पैदा होगी।
इस नई सोच की वजह से आपके अंदर पुराने ढांचे के प्रति विद्रोहों पैदा होगा, आप अब नए नए फैसले लोगे। जहां, पहले आपके जीवन मे उम्मीद थी, अब उसकी जगह ऐक्शन आ जायेगी। इस ऐक्शन की वजह से आपकी जिन्दगी मे जीवन उपयोगी जानकारी आएगी।
यही नई जानाकरी आपके जीवन को पूरी तरह से बदल देगी। आपका जीवन रूपांतरित और पुनर्जागृत हो जाएगा। अब आपके जीवन मे वही चीजे आएंगी जो आप चाहते हो। आप अब वही करोगे जो आप वास्तव में करना चाहते हो।
कामयाबी क्या है? आप जीवन मे तब कामयाब माने जाते हो जब आप वह सब कर रहे होते हो जो आप जीवन मे वास्तव में करना चाहते हो। पैसा और खुशी तो फिर जीवन मे स्वतः आ जाते है।
जब जीवन की दिशा ठीक हो जाती है तो जीवन की दशा तो अपने आप सुधर जाती है। याद रहे, पैसा और खुशी बाय प्रोडक्ट है। जो चीज मायने रखती है वह तो कुछ और है।
लेखक के बारे में
ब्रेकदा रूल किताब के लेखक जोगा सिंह एक कॉलेज में इंग्लिश के प्रोफेसर है। वह जीवन मे तेजी से आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन हर कोशिश के बावजूद वो उतना आगे नही बढ पा रहे थे जितना वो चाहते थे।
उन्होंने भारतीय समाज व अपने मन का गहन अध्ययन किया और पाया कि हमारे दिमाग मे कुछ अड़चने या रुकावटे पैदा हो जाती है जिनको ब्रेक करना जरूरी है। इनको हम मेन्टल ब्लॉक्स कह सकते है। आदमी जब लंबे समय तक एक नकारात्मक माहौल में जीता है तो कुछ चीजें उसके दिमाग मे ऐसे जम जाती है जैसे चाय की पतीली के पैंदे पर चाय पत्ती जम जाती है।
अगर आप इस चाय पत्ती को रोज खुर्च कर साफ नही करते तो चाय का स्वाद खराब हो जाएगा। ऐसे ही हमारे जीवन मे हजारो साल पुराने रूल या धारणाएं जम गई है और वो कोई नई जानकारी अंदर नही आने देती। ये मान्यताएं, धारणाए हमारे लिए एक सीमा बन जाती है।
इन मेंटल ब्लॉक्स को ब्रेक करना होगा। इसी नई और अदभुत थेरपी को उन्होंने ब्रेक दा रूल नाम दिया।
अध्याय-1
हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी यह है कि हम दूसरों के प्रति ईमानदार होना चाहते है। किसी आदमी ने आपको बुर्का दे दिया तो आप हमेशा कोशिश करोगे कि आप उसका दिया हुआ बुर्का ना उतारें। आप अपने प्रति ईमानदार ना होकर उस आदमी या गुरुके प्रति ईमानदार होने की कोशिश करोगे।
मान लो मेरा बेटा मेरी तरह व्यवहार करने लगे तो कैसा लगेगा? जैसे वह कहे कि पापा में वही जूते ख़रीदकर कर लाऊँगा जो आपने डाले है। वह अपने बालों का स्टाइल भी मेरा जैसा बना ले। वह कहे कि वह सब्जी भी वही खाएगा जो उसका पापा खाता है।
अगर वह मेरी नकल करने लगे तो यह मेरे लिए चिंता का विषय होगा क्योंकि मुझे लगेगा कि बेटा अपनी जिंदगी तो जी ही नही रहा, वह तो मेरी नकल कर रहा है। अब मेरे समय मे मनोरंजन का एक ही साधन था और वह था पेड़ो पर चढ़ना। हम स्कूल से आते तो हम बैग फैंककर पेड़ो पर चढ़ जाते और बहुत आनंदित होते।
अब अगर मेरा बेटा कहे कि मेरा पापा पेड़ो पर चढ़ता था इसलिए मैं भी पेड़ो पर चढ़ूंगा तो यह बहुत चिंता का विषय बन जएगा। तब जब पेड़ो पर हम चढ़ते थे तो किसी को अजीब नही लगता था क्योंकि तब वही जिंदगी का सच था। लेकिन अगर आज अगर मेरे कॉलेज के केम्पस में लोगो को मेरा बेटा पेड़ो पर चढ़ता नजर आए तो कैसा लगेगा?
मान लो लोग अगर पूछे कि आपका बेटा पेड़ो पर क्यों चढ़ता है? मैं कहूँ कि मैं पेड़ो पर चढ़ता था इसलिए मेरा बेटा भी चढ़ता है। यह मुझे बहुत प्यार करता है, यह मेरी इज्जत करता है। अब लोगो को आज बिल्कुल समझ नही आएगा कि बाप की तरह पेड़ो पर चढ़ना कैसे बाप की इज्जत करना हुआ?
उनके बेटे तो हर वक्त मोबाइल पर लगे रहते है। सोचो अगर बेटा बाप वाली हरकते करने लगे तो समझो वह पाषाण युग मे जी रहा है। अब मैं कॉलेज में रोज साइकिल पर जाता हूँ और बेटा देखे कि उसका पापा तो रोज साइकिल पर जाता है और वह भी साइकिल खरीद ले और सारा दिन बाजार में साइकिल पर घूमता नजर आए।
धीरे-धीरे लोग उसे पहचानने लगेंगे कि यह जोगा सिंह का बेटा है। धीरे धीरे उसकी पहचान मेरी वजह से हो जाएगी। उसकी अपनी पहचान जन्म ही नही लेगी क्योंकि उसने अपना कोई फैसला ही नही लिया। सोचो अगर ऐसा हो तो यह बाप के लिए कितना चिंता का विषय होगा।
लेकिन आप तो दिन-रात अपने गुरु जैसे बनने में लगे हो। उसी जैसी ड्रेस डालते हो, उसने जो खाने के लिए