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Break The Rule
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About this ebook

ब्रेक दा रूल किताब जीवन मे कामयाबी ओर खुशी के कुछ गूढ़ रहस्यों का पता लगाती है। यह यह पता लगाती है कि आखिर ज्यादातर लोग अभाव की जिंदगी क्यों जीकर चले जाते है? क्या यह संभव नही कि हर आदमी के सपने पूरे हो और हर आदमी एक पूर्ण जिंदगी जिए?

यह किताब समाज का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करती है और यह दर्शाती है कि हमारी मुख्य समस्या यह है कि हमे पता ही नही हमे क्या चाहिए? हम वास्तव में जिंदगी भर उन चीजों को आकर्षित करते रहते है जो हमे नही चाहिए।

यह किताब आपके दृश्टिकोण को एक नया मोड़ देगी। आप चीजो को एक नए दृश्टिकोण से देखने लगोगे। आप अपने जीवन मे सही चीजो को आकर्षित करने लगोगे। आपके जीवन मे एक गहरी समझ और नई सूझबूझ पैदा होगी।

इस नई सोच की वजह से आपके अंदर पुराने ढांचे के प्रति विद्रोहों पैदा होगा, आप अब नए नए फैसले लोगे। जहां, पहले आपके जीवन मे उम्मीद थी, अब उसकी जगह ऐक्शन आ जायेगी। इस ऐक्शन की वजह से आपके जीवन मे जीवन उपयोगी जानकारी आएगी।

यही नई जानाकरी आपके जीवन को पूरी तरह से बदल देगी। आपका जीवन रूपांतरित हो जाएगा। अब आपके जीवन मे वही चीजे आएंगी जो आप चाहते हो। आप अब वही करोगे जो आप वास्तव में करना चाहते हो।

कामयाबी क्या है? आप जीवन मे तब कामयाब माने जाते हो जब आप वह सब कर रहे होते हो जो आप जीवन मे वास्तव में करना चाहते हो। पैसा और खुशी तो फिर जीवन मे स्वतः आ जाते है।

जब जीवन की दिशा ठीक हो जाती है तो जीवन की दशा तो अपने आप सुधर जाती है। याद रहे, पैसा और खुशी बाय प्रोडक्ट है। जो चीज मायने रखती है वह तो कुछ और है

Languageहिन्दी
Publisherjoga singh
Release dateJun 24, 2018
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    Break The Rule - joga singh

    Part One

    Joga Singh

    ✽✽✽

    Edited By

    Ranbir Singh Raman

    Break The Rule (Hindi Edition) Copyright © 2018 by Joga Singh.

    All Rights Reserved.

    No part of this book may be reproduced in any form or by any electronic or mechanical means including photo copying, recording or by any information storage and retrieval systems, without permission in writing from the author Joga Singh. The only exception is by a reviewer, who may quote short excerpts in a review. 

    Edited By

    Ranbir Singh Raman

    Author

    Joga Singh

    More information is available on my website at www.breaktherule.org

    इस किताब के बारे में

    ब्रेकदा रूल किताब जीवन मे कामयाबी और खुशी के कुछ गूढ़ रहस्यों का पता लगाती है। यह यह पता लगाती है कि आखिर ज्यादातर लोग अभाव की जिंदगी क्यों जीकर चले जाते है? क्या यह संभव नही कि हर आदमी के सपने पूरे हो और हर आदमी एक पूर्ण जिंदगी जिए?

    यह किताब समाज का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करती है और यह दर्शाती है कि हमारी मुख्य समस्या यह है कि हमे पता ही नही हमे क्या चाहिए? हम वास्तव में जिंदगी भर उन चीजों को आकर्षित करते रहते है जो हमे नही चाहिए।

    यह किताब आपके दृश्टिकोण को एक नया मोड़ देगी। आप चीजो को एक नए दृश्टिकोण से देखने लगोगे। आप अपने जीवन मे सही चीजो को आकर्षित करने लगोगे। आपके जीवन मे एक गहरी समझ और नई सूझबूझ पैदा होगी।

    इस नई सोच की वजह से आपके अंदर पुराने ढांचे के प्रति विद्रोहों पैदा होगा, आप अब नए नए फैसले लोगे। जहां, पहले आपके जीवन मे उम्मीद थी, अब उसकी जगह ऐक्शन आ जायेगी। इस ऐक्शन की वजह से आपकी जिन्दगी मे जीवन उपयोगी जानकारी आएगी।

    यही नई जानाकरी आपके जीवन को पूरी तरह से बदल देगी। आपका जीवन रूपांतरित और पुनर्जागृत हो जाएगा। अब आपके जीवन मे वही चीजे आएंगी जो आप चाहते हो। आप अब वही करोगे जो आप वास्तव में करना चाहते हो।

    कामयाबी क्या है? आप जीवन मे तब कामयाब माने जाते हो जब आप वह सब कर रहे होते हो जो आप जीवन मे वास्तव में करना चाहते हो। पैसा और खुशी तो फिर जीवन मे स्वतः आ जाते है।

    जब जीवन की दिशा ठीक हो जाती है तो जीवन की दशा तो अपने आप सुधर जाती है। याद रहे, पैसा और खुशी बाय प्रोडक्ट है। जो चीज मायने रखती है वह तो कुछ और है।

    लेखक के बारे में

    ब्रेकदा रूल किताब के लेखक जोगा सिंह एक कॉलेज में इंग्लिश के प्रोफेसर है। वह जीवन मे तेजी से आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन हर कोशिश के बावजूद वो उतना आगे नही बढ पा रहे थे जितना वो चाहते थे।

    उन्होंने भारतीय समाज व अपने मन का गहन अध्ययन किया और पाया कि हमारे दिमाग मे कुछ अड़चने या रुकावटे पैदा हो जाती है जिनको ब्रेक करना जरूरी है। इनको हम मेन्टल ब्लॉक्स कह सकते है। आदमी जब लंबे समय तक एक नकारात्मक माहौल में जीता है तो कुछ चीजें उसके दिमाग मे ऐसे जम जाती है जैसे चाय की पतीली के पैंदे पर चाय पत्ती जम जाती है।

    अगर आप इस चाय पत्ती को रोज खुर्च कर साफ नही करते तो चाय का स्वाद खराब हो जाएगा। ऐसे ही हमारे जीवन मे हजारो साल पुराने रूल या धारणाएं जम गई है और वो कोई नई जानकारी अंदर नही आने देती। ये मान्यताएं, धारणाए हमारे लिए एक सीमा बन जाती है।

    इन मेंटल ब्लॉक्स को ब्रेक करना होगा। इसी नई और अदभुत थेरपी को उन्होंने ब्रेक दा रूल नाम दिया।

    अध्याय-1

    हमारे अंदर सबसे बड़ी कमी यह है कि हम दूसरों के प्रति ईमानदार होना चाहते है। किसी आदमी ने आपको बुर्का दे दिया तो आप हमेशा कोशिश करोगे कि आप उसका दिया हुआ बुर्का ना उतारें। आप अपने प्रति ईमानदार ना होकर उस आदमी या गुरुके प्रति ईमानदार होने की कोशिश करोगे।

    मान लो मेरा बेटा मेरी तरह व्यवहार करने लगे तो कैसा लगेगा? जैसे वह कहे कि पापा में वही जूते ख़रीदकर कर लाऊँगा जो आपने डाले है। वह अपने बालों का स्टाइल भी मेरा जैसा बना ले। वह कहे कि वह सब्जी भी वही खाएगा जो उसका पापा खाता है।

    अगर वह मेरी नकल करने लगे तो यह मेरे लिए चिंता का विषय होगा क्योंकि मुझे लगेगा कि बेटा अपनी जिंदगी तो जी ही नही रहा, वह तो मेरी नकल कर रहा है। अब मेरे समय मे मनोरंजन का एक ही साधन था और वह था पेड़ो पर चढ़ना। हम स्कूल से आते तो हम बैग फैंककर पेड़ो पर चढ़ जाते और बहुत आनंदित होते।

    अब अगर मेरा बेटा कहे कि मेरा पापा पेड़ो पर चढ़ता था इसलिए मैं भी पेड़ो पर चढ़ूंगा तो यह बहुत चिंता का विषय बन जएगा। तब जब पेड़ो पर हम चढ़ते थे तो किसी को अजीब नही लगता था क्योंकि तब वही जिंदगी का सच था। लेकिन अगर आज अगर मेरे कॉलेज के केम्पस में लोगो को मेरा बेटा पेड़ो पर चढ़ता नजर आए तो कैसा लगेगा?

    मान लो लोग अगर पूछे कि आपका बेटा पेड़ो पर क्यों चढ़ता है? मैं कहूँ कि मैं पेड़ो पर चढ़ता था इसलिए मेरा बेटा भी चढ़ता है। यह मुझे बहुत प्यार करता है, यह मेरी इज्जत करता है। अब लोगो को आज बिल्कुल समझ नही आएगा कि बाप की तरह पेड़ो पर चढ़ना कैसे बाप की इज्जत करना हुआ?

    उनके बेटे तो हर वक्त मोबाइल पर लगे रहते है। सोचो अगर बेटा बाप वाली हरकते करने लगे तो समझो वह पाषाण युग मे जी रहा है। अब मैं कॉलेज में रोज साइकिल पर जाता हूँ और बेटा देखे कि उसका पापा तो रोज साइकिल पर जाता है और वह भी साइकिल खरीद ले और सारा दिन बाजार में साइकिल पर घूमता नजर आए।

    धीरे-धीरे लोग उसे पहचानने लगेंगे कि यह जोगा सिंह का बेटा है। धीरे धीरे उसकी पहचान मेरी वजह से हो जाएगी। उसकी अपनी पहचान जन्म ही नही लेगी क्योंकि उसने अपना कोई फैसला ही नही लिया। सोचो अगर ऐसा हो तो यह बाप के लिए कितना चिंता का विषय होगा।

    लेकिन आप तो दिन-रात अपने गुरु जैसे बनने में लगे हो। उसी जैसी ड्रेस डालते हो, उसने जो खाने के लिए

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