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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 42)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 42)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 42)
Ebook137 pages1 hour

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 42)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की बयालीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateSep 18, 2018
ISBN9780463360064
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 42)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 42)

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 42)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 42)

    Copyright

    दो शब्द

    चीनी छात्रों का बलिदान Cheeni Chatron Ka Balidaan

    सर्वश्रेष्ठ गुण Sarwashrestha Gun

    देश का किसान Desh Ka Kisan

    धर्मात्मा को खोजो Dharmatma Ko Khojo

    युवती ने सीख दी Yuvati Ne Seekh Di

    विरोधी भी प्रशंसा करते थे Virodhi Bhi Prashansa Kartey The

    भूरे कोट में आदमी Bhoorey Coat Mein Aadmi

    सफलता सूत्र Safalta Sutra

    महत्वपूर्ण बातें Mahatvpoorn Baatein

    सिमटी-सी बालिका Simti Si Balika

    गिलहरी Gilahari

    ठग ज्योतिषी Thug Jyotishi

    सभी ऊंट इकट्ठे नहीं बैठते Sabhi Oonth Ikatthe Nahi Baithte

    जीवन भ्रमजाल है Jeevan Bhramjaal Hai

    यदि और ऊपर नहीं तो Yadi Aur Upar Nahi To

    वो लड़की Wo Ladki

    खान Khaan

    करना नहीं यकीन Karna Nahi Yakeen

    आइंस्टीन का पत्र Einstein Ka Patra

    हमको भाय बोला Humko Bhaya Bola

    ऐसा हो दोस्त Aisa Ho Dost

    फिर नहीं मिलेंगे Phir Nahi Milengey

    सारी सब्जी उड़ेल दी Sari Sabzi Udel Di

    वे फ़रिश्ते थे Wey Farishtey The

    मैं घर में रहूं या संन्यास ले लूँ? Main Ghar Mein Rahun Ya Sanyas Le Loon?

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की बयालीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    चीनी छात्रों का बलिदान Cheeni Chatron Ka Balidaan

    पुराने समय में भारत के नालंदा विश्वविद्यालय में दूर दूर से छात्र पढ़ने के लिए आते थे. चीन के बौद्ध भिक्षु ह्वेनसांग भी उसी विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे थे.

    वहां पढ़ने के दौरान उन्होंने पहली बार भारत भ्रमण किया था. उन्होंने बहुत सी पुस्तकें, ग्रन्थ, और पांडुलिपियां एकत्रित की थी.

    अध्ययन के बाद जब वो चीन वापिस जाने लगे, उसी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अन्य चीनी छात्र भी उनके साथ जाने की इच्छा व्यक्त करने लगे. ह्वेनसांग ने उनको भी अपने साथ ले लिया और चीन की यात्रा पर चल दिए.

    उनके पास वो पुस्तकें और ग्रन्थ भी थे जो उन्होंने भारत में एकत्रित किये थे. वो उन सभी पुस्तकों को चीन ले जाकर वहां की छात्रों को भी पढ़ाना चाहते थे. रस्ते में एक स्थान पर उनको एक नदी पार करने के लिए एक नाव से यात्रा करनी पड़ी.

    ह्वेनसांग और अन्य छात्र उस नाव में बैठ गए. बीच नदी में बहुत भयंकर तूफ़ान आ गया और उनकी नाव डगमगाने लगी. नाव में वजन अधिक होने के कारण उसका डूबना लगभग तय था.

    नाविक ने सभी से कहा, हमको इस नाव का वजन थोड़ा कम करना होगा नहीं तो ये नाव डूब जाएगी.

    सभी गंभीर चिंता में डूब गए. नाविक ने कहा, आप ये किताबें और ग्रन्थ नदी में फेंक दीजिये. नाव काफी हलकी हो जाएगी.

    ह्वेनसांग उन दुर्लभ पुस्तकों और ग्रंथों के महत्त्व को जानते थे और वो ये भी जानते थे के उन पुस्तकों से चीन में छात्रों को बहुत कुछ सिखाया जा सकता था. फिर भी उन्होंने उन किताबों और ग्रंथों को नदी में फेंकने का निर्णय ले लिया.

    वो किताबें नदी में फेंकने ही वाले थे के एक चीनी छात्र ने कहा, आप इन पुस्तकों को पानी में मत फेंके. मैं चाहता हूँ के आप इन पुस्तकों को चीन लेजाकर छात्रों को पढ़ाएं.

    इतना कहकर वो चीनी छात्र नदी में कूद गया. उसने अपनी जान दे दी. उसको देखकर और भी छात्र नदी में कूद गए और अपने जीवन बलिदान कर दिए.

    ह्वेनसांग उन दुर्लभ पुस्तकों को लेकर चीन पहुँच गए परन्तु वो जानते थे के उन पुस्तकों को वहाँ तक पहुंचाने में कितने चीनी छात्रों ने अपने जीवन को बलिदान कर दिया था.

    उन्होंने उन दुर्लभ पुस्तकों के माध्यम से चीन में ज्ञान का प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया.

    मित्रों,

    किसी भी देश की प्रगति वहां के पुराने शिक्षक के कारण ही होती है. पुराने शिक्षकों ने धीरे धीरे छात्रों को पढ़ा लिखा कर ज्ञान का प्रसार प्रचार किया होता है और बहुत वर्षों के बाद उसके परिणाम दिखते हैं.

    ज्ञान वास्तव में बहुत ही मूल्यवान होता है. इतिहास में ऐसे बहुत से प्रमाण मिलते हैं के ज्ञान प्राप्ति के लिए लोगों ने बहुत बड़े बड़े बलिदान दिए थे.

    ज्ञान के प्रचार और प्रसार से किसी भी देश और समाज की दिशा, प्रगति, और भविष्य निर्धारित होता है.

    चीन की आज की प्रगति कोई एक या दो वर्षों की प्रगति नहीं है. उनकी प्रगति के पीछे हज़ारों वर्षों का संघर्ष और ह्वेनसांग जैसे शिक्षकों की लगन और परिश्रम की कहानियां है.

    सर्वश्रेष्ठ गुण Sarwashrestha Gun

    एक बार काशी के राजा और कौशल के राजा अपने अपने रथों पर कहीं जा रहे थे. संजोगवश एक रास्ते पर उन दोनों के रथ एक दूसरे के आमने सामने आ गए.

    दोनों ही राजा इस दुविधा और असमंजस में थे के किसके रथ को पहले निकलने देना चाहिए.

    कुछ ही समय में समस्या गंभीर हो गयी. दोनों ही राजाओं ने अपने अपने सलाहकारों से परामर्श किया.

    ये निर्णय लिया गया के जो राजा उम्र में बड़ा होगा उस राजा के रथ को ही पहले निकलने दिया जाएगा. संजोग से दोनों ही राजाओं की उम्र भी बराबर थी.

    फिर ये निर्णय लिया गया के जिसका राज्य बड़ा होगा उसका रथ पहले निकलेगा. फिर संजोग से दोनों ही राज्य, काशी और कौशल, समान थे, कोई छोटा बड़ा नहीं था. ये प्रयास भी असफल हो गया.

    इसी दौरान, दोनों ही राजाओं के साथ उपस्थित चाटुकार और चापलूस मंत्रियों ने अपने अपने राजा के गुणों की प्रशंसा करनी शुरू

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