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Sanskritik Rashtravad Ke Purodha Bhagwan Shriram : सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा भगवान श्रीराम
Sanskritik Rashtravad Ke Purodha Bhagwan Shriram : सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा भगवान श्रीराम
Sanskritik Rashtravad Ke Purodha Bhagwan Shriram : सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा भगवान श्रीराम
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Sanskritik Rashtravad Ke Purodha Bhagwan Shriram : सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा भगवान श्रीराम

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श्रीराम हमारे लिए एक ऐसा व्यक्तित्व हैं जिन्हें हम भारतवासियों ने बहुत समय से भगवान के रूप में माना और समझा है। उनके दिव्याचरण, धर्मानुकूल मर्यादित व्यवहार और चरित्र के दिव्य गुणों के कारण हमने उन्हें इस प्रकार का सम्मान प्रदान किया है। इस पुस्तक में हमने जो सोचा है- उसे कर डालो, शासक का कठोर होना जरूरी,वनवास में भी पुरुषार्थ करते रहो, दिए गये वचन को पूरा करो, जीवन शक्ति का करो सदुपयोग, राक्षसों के संहारक बनों, तुम्हें देखते ही देशद्रोही भाग खड़े हों, राक्षस को जीने का अधिकार नहीं, सदुपदेश पर करो अमल, अपनाओ श्रीराम के चरित्र को,राम भगवान क्यों बने?, संपूर्ण भारत को बना दो श्री राम का मंदिर, अपना लो श्रीराम की उदारता, सिंहावलोकन : हमने क्या सीखा? नामक कुल 14 अध्यायों में 14 वर्ष वनवासी जीवन जीने वाले भगवान श्रीराम के जीवन के आदर्शों को आज के भागमभाग और दौड़-धूप के जीवन में अपनाकर अपना जीवन कल्याण करने हेतु, पुस्तक रूप में प्रस्तुत किया है। यदि इन अध्यायों के मर्म पर विचार किया जाए तो श्रीराम आज भी हमारे व्यक्तित्व विकास में सहायक हो सकते हैं।
मेरा विचार है कि पाठक वृन्द और विशेष रूप से आज का युवा वर्ग यदि इस पुस्तक का इसी दृष्टिकोण से अध्ययन करेगा कि श्रीराम के जीवन से हम क्या शिक्षा ले सकते हैं या कैसे श्रीराम हमारे व्यक्तित्व विकास में सहायक हो सकते हैं? तो निश्चय ही हमारे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के कण-कण में रमे श्रीराम हमारा कदम-कदम पर मार्गदर्शन करते हुए दिखाई देंगे। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि यदि हमने श्रीराम के चरित्र को हृदयंगम कर लिया तो निश्चित ही यह पुस्तक आज के युवा वर्ग के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होगी।
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateDec 7, 2021
ISBN9789354868573
Sanskritik Rashtravad Ke Purodha Bhagwan Shriram : सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा भगवान श्रीराम

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