परशुराम: Maharshis of Ancient India (Hindi)
()
About this ebook
श्री महाविष्णु के दस अवतारों मे एक है श्री परशुरामावतार । जमदग्नी और रेणुका के पुत्र परशुराम जन्म से ब्राह्मण थे पर क्षत्रिय गुणों से संपन्न थे। पिता जमदग्नी का एक क्षत्रिय राजा ने विनाकारण जब वध किया वे क्रोधित होकर सारे क्षत्रिय वंशजो संहार का संकल्प किया। इक्कीस बार उन्होंने भू प्रदक्षिणा की और क्षत्रियों का संहार किया। त्रेतायुग में श्री रामजी के साथ भी युद्ध किया और पराजित होकर तपस्या करने महेन्द्र पर्वत चलेगये। भीष्म पितामह इन के शिष्य थे। स दोनों युगों में दिखनेवाले परशुरामजी की चरित्र अत्यंत पावन हैं।
Read more from Prof. T. N. Prabhakar
रामायण के महाफात्र: Epic Characters of Ramayana (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमहापूज्य महर्षि: Maharshis of Ancient India (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलक्ष्मण: Epic Characters of Ramayana (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related to परशुराम
Related ebooks
Mahabharat Ke Amar Patra : Pitamah Bhishma - (महाभारत के अमर पात्र : पितामह भीष्म) Rating: 5 out of 5 stars5/5अत्री: Maharshis of Ancient India (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsVeer Abhimanyu (वीर अभिमन्यु) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsRamayan Ke Amar Patra : Mahasati Sita - रामायण के अमर पात्र : महासती सीता: Mythology Novel, Fiction Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsदुर्वास: Maharshis of Ancient India (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsGanesh Puran Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsChanakya Aur Chandragupt - (चाणक्य और चंद्रगुप्त) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमहाभारत के महापात्र: Epic characters of Mahabharatha (Hindi) Rating: 3 out of 5 stars3/5हनुमान लीला कथाएँ Rating: 5 out of 5 stars5/5वेदों का सर्व-युगजयी धर्म : वेदों की मूलभूत अवधारणा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMahabharat - (महाभारत) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगौतम: Maharshis of Ancient India (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPurano Ki Kathayen Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअगस्त्य: Maharshis of Ancient India (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsवर्तमान तीर्थकर श्री सीमंधर स्वामी (s) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsVishnu Puran Rating: 5 out of 5 stars5/5Devi Bhagwat Puran (देवी भागवत पुराण) Rating: 5 out of 5 stars5/5Shrimad Bhagwat Puran Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPujniye Prabho Hamare - (पूजनीय प्रभो हमारे...) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMahabharat Ki Kathayan Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsManusmriti (मनुस्मृति) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMahan Chanakya: Jivani , Niti, Sahitya aur Samgra Sahitya Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsपैसों का व्यवहार Rating: 2 out of 5 stars2/5Bhagwan Shri Ganesh Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsत्रिमंत्र Rating: 5 out of 5 stars5/5Yug Purush : Samrat Vikramaditya (युग पुरुष : सम्राट विक्रमादित्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsश्रीहनुमत्संहितान्तर्गत अर्थपञ्चक Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMahavakyam Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsविश्वामित्र: Maharshis of Ancient India (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsवेदव्यास: Maharshis of Ancient India Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for परशुराम
0 ratings0 reviews
Book preview
परशुराम - Prof. T. N. Prabhakar
श्री रंग सद्गुरुवे नमः
भारतीय संस्कृति का परिचय छोटे बच्चों को कराने, उनमें अच्छे पुस्तकों को पढ़ने की अभिरुची को विकसित करने की उद्धेश्य से पुस्तकों को प्रकाशित करने भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था ने संकप्ल किया । इसलिए
रामायण और महाभारत का मुख्य पात्र के दो पुस्तक झृंखलाओं को कई भाषाओं मे प्रकाशित किया है । इसे विद्यालयों ने सार्वजनिक संस्थाओं ने ओर सर्कार ने स्वागत किया है । इसी दिशा में
महापूज्य महर्षियाँ नामक् छोटे पुस्तको के गुच्छे को इस संस्था द्वारा प्रकटित करना हमें अति प्रसन्नता हुई है ।
इस पुस्तक श्रृंखलाओं का उद्देश्य हमारी भव्य संस्कृती का निर्माता कुछ महर्षियों का परिचय कराना है । ऋषियों ने सत्य का साक्षत्कार कर के अपने अनुभवों को जनहित और लोक कल्याण करने की उद्देश्य से अपने वाकू और ग्रंथों द्वारा लोगों तक पहुँचाया । उन्होंने अपने आत्मानुभव और अत्मगुण से अपनी बुद्धि श्रेष्ठता का परिचय दिया । सामान्य मानव जैसे लौकिक ख्याती, धन संग्रह, पूजा आदी के लालच में ना पडकर लोका समस्ता सुखिनोभवंतु
समस्त विश्व में सुख प्रदान हो इस धार्मिक बुद्धि से अपने अनुभवों को अनुग्रहित किया । ऐसे महात्माओं में किन्हीं मुख्य पुरुषों का परिचय हमें इन छोटे पुस्तकों द्वारा मिलता है । इन्हें पढ़कर और विचार करने से बच्चों में सत्य निष्ठता, सदाचार और सद्गुण निर्माण होगा और देश के सभ्य नागरिक बनने में सहायक सिद्ध होग
यही हमारा आशय है ।
भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था की ओर से इसी किसम् के कई पुस्तकें प्रकाशित हो जिससे आत्मकल्याण और लोककल्याण करने सहायक सिद्ध हो । इन पुस्तकों को लिखने और परिष्कृत करने में सहायता करनेवाले विद्वद्जनों और पंडितों का मंगल कामना करते हैं ।
अष्टाँग योग विज्ञान मंदिरम्
श्रावण शुक्लद्वितीय, रवीवा
बेंगलूर
22-7-2001
नारायण स्मरण
श्री श्री रंगप्रिय श्रीपाद श्रीः
महर्षि परशुराम
श्रियै नमः
श्री गुरुभ्यो नमः
जब जब धर्म की क्षति होगि और अधर्म का विस्तार होगा तब तब धर्म कि रक्षा करने मैं जन्म लूँगा । मैं अपनि संकल्प मात्र से अवतरित हो सकता हूँ
- इन वचनों को भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है । इस सत्य कथन की पुष्ठि भगवन् महाविष्णु ने अपनी इच्छा से अनेक अवतार लिये है हमें इतिहास और पुराणों से मिलती है । मत्स्य, कूर्म, वराह, नारसिंह, वामन, परशुराम, श्रीराम, श्रीकृष्ण बुद्ध और कल्कि
यह भगवान् के दस मुख्य अवतार हैं जो दशावतार
के नाम से प्रसिद्ध है ।
इन अवतारों में भगवान् परशुराम का छठा अवतार है और भगवान् श्रीराम का सातँवा है ।
भगवान् महाविष्णु के सभी अवतार अति विशिष्ठ है । उन