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परशुराम: Maharshis of Ancient India (Hindi)
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परशुराम: Maharshis of Ancient India (Hindi)
Ebook63 pages29 minutes

परशुराम: Maharshis of Ancient India (Hindi)

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श्री महाविष्णु के दस अवतारों मे एक है श्री परशुरामावतार । जमदग्नी और रेणुका के पुत्र परशुराम जन्म से ब्राह्मण थे पर क्षत्रिय गुणों से संपन्न थे। पिता जमदग्नी का एक क्षत्रिय राजा ने विनाकारण जब वध किया वे क्रोधित होकर सारे क्षत्रिय वंशजो संहार का संकल्प किया। इक्कीस बार उन्होंने भू प्रदक्षिणा की और क्षत्रियों का संहार किया। त्रेतायुग में श्री रामजी के साथ भी युद्ध किया और पराजित होकर तपस्या करने महेन्द्र पर्वत चलेगये। भीष्म पितामह इन के शिष्य थे। स दोनों युगों में दिखनेवाले परशुरामजी की चरित्र अत्यंत पावन हैं।

Languageहिन्दी
Release dateMay 24, 2019
ISBN9789389020366
परशुराम: Maharshis of Ancient India (Hindi)

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    परशुराम - Prof. T. N. Prabhakar

    श्री रंग सद्गुरुवे नमः

    भारतीय संस्कृति का परिचय छोटे बच्चों को कराने, उनमें अच्छे पुस्तकों को पढ़ने की अभिरुची को विकसित करने की उद्धेश्य से पुस्तकों को प्रकाशित करने भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था ने संकप्ल किया । इसलिए रामायण और महाभारत का मुख्य पात्र के दो पुस्तक झृंखलाओं को कई भाषाओं मे प्रकाशित किया है । इसे विद्यालयों ने सार्वजनिक संस्थाओं ने ओर सर्कार ने स्वागत किया है । इसी दिशा में महापूज्य महर्षियाँ नामक् छोटे पुस्तको के गुच्छे को इस संस्था द्वारा प्रकटित करना हमें अति प्रसन्नता हुई है ।

    इस पुस्तक श्रृंखलाओं का उद्देश्य हमारी भव्य संस्कृती का निर्माता कुछ महर्षियों का परिचय कराना है । ऋषियों ने सत्य का साक्षत्कार कर के अपने अनुभवों को जनहित और लोक कल्याण करने की उद्देश्य से अपने वाकू और ग्रंथों द्वारा लोगों तक पहुँचाया । उन्होंने अपने आत्मानुभव और अत्मगुण से अपनी बुद्धि श्रेष्ठता का परिचय दिया । सामान्य मानव जैसे लौकिक ख्याती, धन संग्रह, पूजा आदी के लालच में ना पडकर लोका समस्ता सुखिनोभवंतु समस्त विश्व में सुख प्रदान हो इस धार्मिक बुद्धि से अपने अनुभवों को अनुग्रहित किया । ऐसे महात्माओं में किन्हीं मुख्य पुरुषों का परिचय हमें इन छोटे पुस्तकों द्वारा मिलता है । इन्हें पढ़कर और विचार करने से बच्चों में सत्य निष्ठता, सदाचार और सद्गुण निर्माण होगा और देश के सभ्य नागरिक बनने में सहायक सिद्ध होग यही हमारा आशय है ।

    भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था की ओर से इसी किसम् के कई पुस्तकें प्रकाशित हो जिससे आत्मकल्याण और लोककल्याण करने सहायक सिद्ध हो । इन पुस्तकों को लिखने और परिष्कृत करने में सहायता करनेवाले विद्वद्जनों और पंडितों का मंगल कामना करते हैं ।

    अष्टाँग योग विज्ञान मंदिरम्

    श्रावण शुक्लद्वितीय, रवीवा

    बेंगलूर

    22-7-2001

    नारायण स्मरण

    श्री श्री रंगप्रिय श्रीपाद श्रीः

    महर्षि परशुराम

    श्रियै नमः

    श्री गुरुभ्यो नमः

    जब जब धर्म की क्षति होगि और अधर्म का विस्तार होगा तब तब धर्म कि रक्षा करने मैं जन्म लूँगा । मैं अपनि संकल्प मात्र से अवतरित हो सकता हूँ - इन वचनों को भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है । इस सत्य कथन की पुष्ठि भगवन् महाविष्णु ने अपनी इच्छा से अनेक अवतार लिये है हमें इतिहास और पुराणों से मिलती है । मत्स्य, कूर्म, वराह, नारसिंह, वामन, परशुराम, श्रीराम, श्रीकृष्ण बुद्ध और कल्कि यह भगवान् के दस मुख्य अवतार हैं जो दशावतार के नाम से प्रसिद्ध है ।

    इन अवतारों में भगवान् परशुराम का छठा अवतार है और भगवान् श्रीराम का सातँवा है ।

    भगवान् महाविष्णु के सभी अवतार अति विशिष्ठ है । उन

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