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वेदव्यास: Maharshis of Ancient India
वेदव्यास: Maharshis of Ancient India
वेदव्यास: Maharshis of Ancient India
Ebook58 pages25 minutes

वेदव्यास: Maharshis of Ancient India

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About this ebook

महाभारत का रचैताश्री वेदव्यास हैं। वेदों का चार भागों मे विभाजन कर के उन्होंने यह नाम प्राप्त किया। ऋषी पराशर के पुत्र वेदव्यास का महाभारत के चरित्र में अत्यंत प्रमुख पात्र है। विपदा या संकट की स्थिति में व्यासजी वहाँ त्वरित उपस्थित होते और उसे सुलझाते थे। ये श्री महाविष्णु का अवतार होने का यह भी पुराणों में उल्लेख है।

Languageहिन्दी
Release dateMay 24, 2019
ISBN9789389020397
वेदव्यास: Maharshis of Ancient India

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    वेदव्यास - Sri Hari

    श्री रंग सद्गुरुवे नमः

    भारतीय संस्कृति का परिचय छोटे बच्चों को कराने, उनमें अच्छे पुस्तकों को पढ़ने की अभिरुची को विकसित करने की उद्धेश्य से पुस्तकों को प्रकाशित करने भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था ने संकप्ल किया । इसलिए रामायण और महाभारत का मुख्य पात्र के दो पुस्तक झृंखलाओं को कई भाषाओं मे प्रकाशित किया है । इसे विद्यालयों ने सार्वजनिक संस्थाओं ने ओर सर्कार ने स्वागत किया है । इसी दिशा में महापूज्य महर्षियाँ नामक् छोटे पुस्तको के गुच्छे को इस संस्था द्वारा प्रकटित करना हमें अति प्रसन्नता हुई है ।

    इस पुस्तक श्रृंखलाओं का उद्देश्य हमारी भव्य संस्कृती का निर्माता कुछ महर्षियों का परिचय कराना है । ऋषियों ने सत्य का साक्षत्कार कर के अपने अनुभवों को जनहित और लोक कल्याण करने की उद्देश्य से अपने वाकू और ग्रंथों द्वारा लोगों तक पहुँचाया । उन्होंने अपने आत्मानुभव और अत्मगुण से अपनी बुद्धि श्रेष्ठता का परिचय दिया । सामान्य मानव जैसे लौकिक ख्याती, धन संग्रह, पूजा आदी के लालच में ना पडकर लोका समस्ता सुखिनो भवंतु समस्त विश्व में सुख प्रदान हो इस धार्मिक बुद्धि से अपने अनुभवों को अनुग्रहित किया । ऐसे महात्माओं में किन्हीं मुख्य पुरुषों का परिचय हमें इन छोटे पुस्तकों द्वारा मिलता है । इन्हें पढ़कर और विचार करने से बच्चों में सत्य निष्ठता, सदाचार और सद्गुण निर्माण होगा और देश के सभ्य नागरिक बनने में सहायक सिद्ध होग यही हमारा आशय है ।

    भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था की ओर से इसी किसम् के कई पुस्तकें प्रकाशित हो जिससे आत्मकल्याण और लोककल्याण करने सहायक सिद्ध हो । इन पुस्तकों को लिखने और परिष्कृत करने में सहायता करनेवाले विद्वद्जनों और पंडितों का मंगल कामना करते हैं ।

    अष्ठंगा योग विज्ञान मंदिरम्

    श्रावण शुक्लद्वितीय, रवीवा

    बेंगलोर

    22-7-2001

    नारायण स्मरण

    श्री श्री रंगप्रिय श्रीपाद श्रीः

    महर्षि वेदव्यास

    श्रियै नमः श्री गुरुभ्यो नमः

    व्यासजी का जनन

    एक बार ब्रह्मर्षि वसिष्ठजी के पोते महर्षि पराशर गंगा को पार करके कहीं जा रहे थे । गंगा के तट पर एक मछुआरों की बस्ती थी । उनका नायक था दाशराज ।

    एक बार मछुआरों ने एक बड़ी मछली पकड़ ली । उसे काटने पर दो बच्चे बाहर आये । एक था बालक और दूसरी बालिका । इस आश्चर्यजनक घटना को दाशराज ने उस

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