गौतम: Maharshis of Ancient India (Hindi)
By Sri Hari
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सप्तर्षियों मे से ऐक हैं महर्षि गौतम। त्रोता युग और द्वापर युग में थे। देवेंद्र से वंचित अपनी पत्नी अहल्या को शाप दिया। और देवेन्द्र को भी शापदिया। अहल्या जब श्रीराम से शाप मुक्त हुई तब गौतम महर्षि हिमालय से वापस अपने आश्रम आते हैं। ऐसी कई रोचक कहानीयाँ इस पुस्तक में है।
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गौतम - Sri Hari
श्री रंग सदुरुवे नमः
भारतीय संस्कृति का परिचय छोटे बच्चों को कराने, उनमें अच्छे पुस्तकों को पढ़ने की अभिरुची को विकसित करने की उद्धेश्य से पुस्तकों को प्रकाशित करने भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था ने संकप्ल किया । इसलिए
रामायण और महाभारत का मुख्य पात्र के दो पुस्तक झृंखलाओं को कई भाषाओं मे प्रकाशित किया है । इसे विद्यालयों ने सार्वजनिक संस्थाओं ने ओर सर्कार ने स्वागत किया है । इसी दिशा में
महापूज्य महर्षियाँ नामक् छोटे पुस्तको के गुच्छे को इस संस्था द्वारा प्रकटित करना हमें अति प्रसन्नता हुई है ।
इस पुस्तक श्रृंखलाओं का उद्देश्य हमारी भव्य संस्कृती का निर्माता कुछ महर्षियों का परिचय कराना है । ऋषियों ने सत्य का साक्षत्कार कर के अपने अनुभवों को जनहित और लोक कल्याण करने की उद्देश्य से अपने वाकू और ग्रंथों द्वारा लोगों तक पहुँचाया । उन्होंने अपने आत्मानुभव और अत्मगुण से अपनी बुद्धि श्रेष्ठता का परिचय दिया । सामान्य मानव जैसे लौकिक ख्याती, धन संग्रह, पूजा आदी के लालच में ना पडकर लोका समस्ता सुखिनो भवंतु
समस्त विश्व में सुख प्रदान हो इस धार्मिक बुद्धि से अपने अनुभवों को अनुग्रहित किया । ऐसे महात्माओं में किन्हीं मुख्य पुरुषों का परिचय हमें इन छोटे पुस्तकों द्वारा मिलता है । इन्हें पढ़कर और विचार करने से बच्चों में सत्य निष्ठता, सदाचार और सद्गुण निर्माण होगा और देश के सभ्य नागरिक बनने में सहायक सिद्ध होग
यही हमारा आशय है ।
भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था की ओर से इसी किसम् के कई पुस्तकें प्रकाशित हो जिससे आत्मकल्याण और लोककल्याण करने सहायक सिद्ध हो । इन पुस्तकों को लिखने और परिष्कृत करने में सहायता करनेवाले विद्वद्जनों और पंडितों का मंगल कामना करते हैं ।
अष्ठंगा योग विज्ञान मंदिरम्
श्रावण शुक्लद्वितीय, रवीवा
बेंगलोर
22-07-2001
नारायण स्मरण
श्री श्री रंगप्रिय श्रीपाद श्रीः
महर्षि गौतम
श्रियै नमः
श्री गुरुभ्यो नमः
कश्यपोऽर्त्रिभरद्वाजो ।
विश्वामित्रश्च गौतमः ॥
जमदग्निर्वसिष्ठश्च ।
सप्तैते ऋषयः स्मृताः ॥
सप्तऋषियों में प्रमुख है महर्षि गौतम
चतुर्मुख ब्रह्म का एक कल्प में स्वायंभुव
आदी चौदह मनुएँ राज्यपालन करते हैं । इन के राज्यपालन