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अगस्त्य: Maharshis of Ancient India (Hindi)
अगस्त्य: Maharshis of Ancient India (Hindi)
अगस्त्य: Maharshis of Ancient India (Hindi)
Ebook70 pages30 minutes

अगस्त्य: Maharshis of Ancient India (Hindi)

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महर्षि अगस्त्य का जन्म महाविष्णु की अनुग्रह से हुआ। वे सकल शास्त्रज्ञ, वेद-वेदाँगों के ज्ञानी थे। जब इल्वल-वातापि नाम के दो राक्षस राहगिरो को बिना कारण संहार करते थे उनका संहार अगस्य से हुआ। विंध्य पर्वत जब अपनी ऊँचाई को बढ़ा रहा था तब उस पर महर्षि अगस्त्य ने रोक लगाई। युद्ध भूमी पर श्रीराम को "आदित्य हृदय" का उपदेश किया। तमिल भाषा में अनेक रचनाँए की। "श्री ललिता सहस्रनाम" का रचैता महर्षि अगस्त्य हैं।

Languageहिन्दी
Release dateMay 23, 2019
ISBN9789389020304
अगस्त्य: Maharshis of Ancient India (Hindi)

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    अगस्त्य - Sri Hari

    श्री रंग सद्गुरुवे नमः

    भारतीय संस्कृति का परिचय छोटे बच्चों को कराने, उनमें अच्छे पुस्तकों को पढ़ने की अभिरुची को विकसित करने की उद्धेश्य से पुस्तकों को प्रकाशित करने भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था ने संकप्ल किया । इसलिए रामायण और महाभारत का मुख्य पात्र के दो पुस्तक झृंखलाओं को कई भाषाओं मे प्रकाशित किया है । इसे विद्यालयों ने सार्वजनिक संस्थाओं ने ओर सर्कार ने स्वागत किया है । इसी दिशा में महापूज्य महर्षियाँ नामक् छोटे पुस्तको के गुच्छे को इस संस्था द्वारा प्रकटित करना हमें अति प्रसन्नता हुई है ।

    इस पुस्तक श्रृंखलाओं का उद्देश्य हमारी भव्य संस्कृती का निर्माता कुछ महर्षियों का परिचय कराना है । ऋषियों ने सत्य का साक्षत्कार कर के अपने अनुभवों को जनहित और लोक कल्याण करने की उद्देश्य से अपने वाकू और ग्रंथों द्वारा लोगों तक पहुँचाया । उन्होंने अपने आत्मानुभव और अत्मगुण से अपनी बुद्धि श्रेष्ठता का परिचय दिया । सामान्य मानव जैसे लौकिक ख्याती, धन संग्रह, पूजा आदी के लालच में ना पडकर लोका समस्ता सुखिनो भवंतु समस्त विश्व में सुख प्रदान हो इस धार्मिक बुद्धि से अपने अनुभवों को अनुग्रहित किया । ऐसे महात्माओं में किन्हीं मुख्य पुरुषों का परिचय हमें इन छोटे पुस्तकों द्वारा मिलता है । इन्हें पढ़कर और विचार करने से बच्चों में सत्य निष्ठता, सदाचार और सद्गुण निर्माण होगा और देश के सभ्य नागरिक बनने में सहायक सिद्ध होग यही हमारा आशय है ।

    भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था की ओर से इसी किसम् के कई पुस्तकें प्रकाशित हो जिससे आत्मकल्याण और लोककल्याण करने सहायक सिद्ध हो । इन पुस्तकों को लिखने और परिष्कृत करने में सहायता करनेवाले विद्वद्जनों और पंडितों का मंगल कामना करते हैं ।

    अष्ठंगा योग विज्ञान मंदिरम्

    श्रावण शुक्लद्वितीय, रवीवा

    बेंगलोर

    22-07-2001

    नारायण स्मरण

    श्री श्री रंगप्रिय श्रीपाद श्रीः

    महर्षि अगस्त्य

    श्रियै नमः

    श्री गुरुभ्यो नमः

    भारत देश की महिमान्वित महर्षियों में महर्षि अगस्त्य भी एक है । इन्होने महाविष्णु कि अंश से जन्म लिया । इन के विषय में इतिहास-और पुराण में भी अनेक मुख्य अंश मिलती है । इन के आधार पर महर्षी अगस्त्य कि जीवन गाथा का वर्णन कर सकते हैं ।

    अगस्त्य की जन्म

    सूर्य वंश की प्रसिद्ध राजा थे इक्श्वाकु । इनका पुत्र था निमि । निमि के सिंहासन आरोह करने के पश्चात् अत्यंत लंबे समय तक चलनेवाला यज्ञ करने का संकल्प किया । उसने महर्षी वसिष्ठ से यज्ञ की संचालन करने की प्रार्थन की । लेकिन निमि की इस आह्वान को वसिष्ठ ने तिरस्कृत किया क्यों की उन्हें देवराज इंन्द्र द्वारा करनेवाले यज्ञ में जाने की निमंत्रण इस से पहले मिलचुकी थी । उन्होने राजा निमि से कद्य की वे देवराज की यज्ञ समाप्ति होने

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