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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 11)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 11)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 11)
Ebook113 pages56 minutes

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 11)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की ग्यारवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

LanguageEnglish
PublisherRaja Sharma
Release dateApr 8, 2018
ISBN9781370815562
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 11)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 11)

    राजा शर्मा

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 11)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 11)

    Copyright

    दो शब्द

    एक पहेली EK Paheli

    दिल बड़ा कीजिये Dil Bada Keejiye

    इतनी उदारता Itni Udaarta

    सुन्दर प्रतिक्रिया Sundar Pratikriya

    क्या आप भगवान् हैं Kya Aap Bhagwaan Hain

    ईराक जाने वाले Iraq Jaaney Wale

    ऐसे भी लोग हैं Aise Bhi Log Hain

    दो शिक्षक Do Shikshak

    अपने ड्राइवर के लिए Apne Driver Ke Liye

    सोना या चांदी Sona Ya Chandi

    बांसुरी चोर Bansuri Chor

    वास्तविक डर Vastavik Dar

    सोच का प्रभाव Soch Ka Prabhaav

    उसके पिता के लिए Uskey Pita Ke Liye

    ख़ुशी और भाग्य Khushi Aur Bhagya

    कितना आनंद होता Kitna Anand Hota

    ऐसा है जीवन Aisa Hai Jeevan

    वो कैसे खुश हैं Wo Kaise Khush Hain

    इतना लोभ ठीक नहीं Itna Lobh Theek Nahi

    शिक्षा या बुद्धि Shiksha Ya Buddhi

    आकाश देखते हैं Akash Dekhte Hain

    बेटे को उपहार Betey Ko Uphaar

    राजा और महात्मा Raja Aur Mahaatma

    जेंकाई की सुरंग Zenkai Ki Surang

    चेरी का पेड़ Cherry Ka Ped

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की ग्यारवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    एक पहेली EK Paheli

    एक दिन मेरी माँ ने मुझसे कहा, हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग कौन सा होता है? मैं काफी देर तक सोचता रहा.

    आने वाले कई वर्षों के दौरान मेरी माँ कई बार यही प्रश्न पूछती थी और मैं अलग अलग उत्तर देता रहता था.

    मैं जब करीब सात साल का था तो उन्होंने यही सवाल फिर से पुछा. मैंने कहा, माँ, मेरे कान ही मेरे सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं.

    माँ ने मुस्कुरा कर कहा, नहीं, दुनिया में लाखों लोग बहरे हैं. परन्तु तुम सोचते रहो, मैं किसी दिन फिर पूछूँगी.

    जब मैं लगभग ११ वर्ष का था तो माँ ने एक दिन फिर से वही प्रश्न पूछा. मैंने कहा, माँ, हमारी आंखें ही सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं.

    माँ ने फिर कहा, नहीं, ये गलत उत्तर है, परन्तु तुम जल्दी सीख रहे हो. दुनिया में लाखों लोग अंधे हैं और उन्होंने प्रकाश कभी देखा ही नहीं.

    आने वाले कई वर्षों तक मैं पढता रहा और ज्ञान प्राप्त करता रहा. माँ ने दो तीन बार फिर से वही प्रश्न पूछा पर मेरे उत्तर गलत थे.

    एक दिन मेरे दादाजी की मृत्यु हो गयी. घर में सभी लोग उनकी मृत्यु से शोक में डूबे हुए थे. मेरी माँ और पिताजी रो रहे थे. और भी सभी रिश्तेदार हमारे शोक में शामिल थे.

    मैंने उस दिन से पहले कभी भी अपने पिताजी को रोते हुए नहीं देखा था. दादाजी को जब विदाई देने का समय आया, मेरी माँ ने मुझसे कहा, क्या तुम्हें मालूम हुआ के हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग कौन सा है?

    दादाजी की अंत्येष्टि के समय पर ऐसा प्रश्न पूछना मुझे थोड़ा अजीब सा लगा. मैं तो सोचता था के ये मेरे और मेरी माँ के बीच एक पहेली थी जो बहुत वर्षों से चल रही थी.

    मेरी माँ ने जब मेरे चेहरे पर असमंजस के भाव देखे तो उन्होंने कहा, "ये प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है. इससे ये मालुम हो जायेगा के तुमने वास्तव में अपना जीवन जिया है.

    पिछले कई वर्षों में तुमने मुझे भिन्न भिन्न अंगों के नाम दिए पर मैंने तर्क के साथ उनको गलत प्रमाणित किया. परन्तु आज मुझे तुमको बताना ही होगा..."

    मेरी माँ ने मुझे बहुत ही प्यार से देखा. उनकी आँखों से आंसू गिर रहे थे. उन्होंने रोते रोते कहा, "मेरे बेटे, हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण

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