औरत एक - चरित्र अनेक
By संजय सेठी
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About this ebook
यह पुस्तक विभिन्न महिला पात्रों के बारे में मनोरंजक, रोमांचकारी, रहस्यमय कहानियों के बारे में लिखी गई है जो उनकी मूल प्रवृत्ति से उभरती हैं। जब आप वासना, बेवफाई, लालच, अहंकार, प्रतिशोध और ईर्ष्या में डूबी महिलाओं से मिलेंगे तो ये मनोरम कहानियाँ आपको आश्चर्यचकित कर देंगी। आप अच्छी तरह से तैयार की गई कहानियों की इस अविस्मरणीय यात्रा में पूरी तरह स
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औरत एक - चरित्र अनेक - संजय सेठी
कामवासना
(Lust)
कामाग्नि
कभी-कभी पूरी जिंदगी को भस्म कर देती है। आइये देखें, इसका एक ज्वलंत उदारहण इस कहानी में।
टीना बचपन से ही बला की ख़ूबसूरत थी। उसका गोरा रंग, सुनहरे बाल, सलेटी आंखें और आकर्षक शरीर तो जैसे देखने वाले को दीवाना ही बना देते थे। ऊपर से उसकी सुरीली आवाज और बोलने का ढंग तो सुनने वाले के लिए किसी जादू से कम नहीं था। बात करते हुए उसकी आँखों की अदाएँ और उसके भोलेपन से शरमाना सामने वाले को सम्मोहित कर लेता था !
टीना और उसका परिवार उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के पास एक छोटे शहर में रहते थे। उस पूरे इलाके के लोग एवं जिस कॉलेज में वो पढ़ रही थी सभी अनायास ही उसपर लटटू थे और उसके चर्चे किये बिना नहीं रहते थे। इसी सबके चलते उसके माँ- बाप और बड़ा भाई और बड़ी बहन उसको आगाह करते रहते थे कि लोगों की निगाह से बचके रहा करो। और टीना भी उनको पूरा अश्वस्त करती क्योंकि उसको भी इन सब बातों का पूरा एहसास था। वैसे टीना खुद भी अपनी ख़ूबसूरती के चलते गुरूर में रहती और किसी को अपने पास फटकने नहीं देती थी।
जिस कॉलेज में टीना अंतिम वर्ष की छात्रा थी उसी कॉलेज के दूसरे सेक्शन में एक लड़का था राजन। राजन वहां के एक अमीर घराने का पला-बड़ा और खुबसूरत लड़का था। वो पढ़ाई में सुस्त और पिछले दो साल से फेल होता आया था। वो ही एक इकलोता स्टूडेंट था जो एक बहुत महंगी मोटरसाइकिल पे कॉलेज आता था। सब जानते थे कि वो एक बुरी संगत वाला लड़का था। राजन भी टीना को आते जाते देखता और उसके शरीर को निहारता और उसके करीब आने के बहाने खोजता रहता।
देखते ही देखते इनके फाइनल पेपर के दिन जल्दी आने को थे। फिर हर साल की तरह कैंपस में बड़ी-बड़ी कंपनियां आकर नौकरियों के लिए इंटरव्यू लेतीं जिसके लिए अभी से सभी छात्र-छात्राएं सपने सजोने लगे थे।
तभी एक दिन शाम को जब सभी बच्चे कॉलेज से अपने घर वापस जाने को थे तभी अचानक घनघोर घटा छा गई। काले बादलों ने जैसे पूरा आसमां घेर लिया। टीना भी अभी कॉलेज से निकली ही थी कि तेज़ बारिश शुरू हो गई। उसने घर की तरफ तेज़ कदम बढ़ाने शुरू कर दिए पर बारिश भी और जोरों से होने लगी। जब भी कड़ाकेदार बिजली गरजती तो वो अकेली सहम-सी जाती।
यूं ही तेज चलते हुए अगले मोड़ पर टीना का पैर फिसला और वो बहुत तेजी से गिरी। अरे ये क्या-उसकी कोहनी से तो खून निकलने लगा और उसकी सलवार घुटने से फट गई। अचानक सड़क पर गिरने से चोट इतनी तेज लगी कि वो उठ भी नहीं पा रही थी। घर जल्दी जाने की वजह से उसने छोटा कच्चा रास्ता चुन लिया था इसलिए उसे राह पे कोई और नज़र भी नहीं आ रहा था जिससे वो मदद मांग सके।
तभी अचानक उसको मोटरसाइकिल की एक जानी-पहचानी सी आवाज सुनाई दी। हां, वो राजन ही था और उसको देखकर पहली बार टीना को बुरा नहीं लगा। पलक झपकते ही राजन बाइक को किनारे रखकर उसके पास आया और अपनी जेब से रुमाल निकालते हुए बोला-अरे आपको इतनी चोट लगी है। उसने टीना की कोहनी को साफ करते हुए वहां रुमाल बांध दिया।
उसने सहारा देकर टीना को उठाना चाहा तो दोनों के मुंह इतने पास आ गए कि दोनों की सांसें टकरा गईं। राजन ने उसके मुंह पे लगा कीचड़ साफ किया तो टीना को उस स्पर्श से एक अलग ही एहसास हुआ क्योंकि आजतक कोई भी लड़का उसके इतना करीब नहीं आया था। वो शरमाई और हिम्मत जुटाकर उठने की कोशिश करने लगी पर बेबस थी।
राजन ने ओर जोर लगाके टीना को सहारा दिया कि तभी उसका भी पैर फिसला और वो टीना के जैसे ऊपर ही लुढ़क गया। इस झटके से उनके होंठ आपस में टकरा गए। अरे ये क्या, इतनी बारिश में दो तरबतर जवान जिस्म आपस में अचानक इतने करीब आ गये। ये क्या इत्तेफाक था या प्रकृति ही जैसे उनको मिलाने पे आमादा थी।
टीना के जिस्म में रोमांच की एक लहर दौड़ गई। उसका पूरा वक्षस्थल राजन के शरीर की आगोश में था। ये पल टीना के जीवन में पहली बार आए थे जिन्होंने उसके कोमल शरीर और भावनाओ को नया-सा एहसास दे दिया था।
परन्तु अगले ही पल न जाने क्या सोच टीना ने खुद को राजन से अलग किया।
राजन बोला कि घबराने की बात नहीं मैं आपको मोटरसाइकिल पर आपके घर छोड़ देता हूं। टीना को भी मालूम था कि अभी वो ठीक चलने की हालत में नहीं है तो उसने अपनी सहमति दे दी। राजन ने उसको उठाया एक बार फिर दोनों जिस्म मिले और वो उसको उठाकर अपनी बाइक तक ले आया। जैसे-तैसे उसको अपने पीछे बिठाकर बोला कि अभी शर्म मत करना और मुझे कसके पकड़कर बैठना। परिवार वालों के डर से वो घर से दूर ही उतर गई और लंगड़ाती हुई घर पहुंची.
उसका इलाज हुआ और तीन दिन वो घर में ही रही।
पर इन दिनों बार-बार उसको राजन की याद आती रही। उनका अचानक से लिपटना, फिर होठों का छू जाना, राजन का उसको प्यार से उठाना और दोनों के जिस्मों का जैसे लिपट सा जाना। ये लम्हे उसके दिमाग पर हावी हो गए क्योंकि किसी मर्द ने उसके जिस्म को पहली बार छूआ था। उसकी नस नस में उन्माद फैल गया। वो कमसिन