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जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है!
जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है!
जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है!
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जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है!

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कभी पृथ्वी का स्वर्ग कहे जाने वाले पृथ्वी के उस सुन्दर हिस्से का रूप कुछ इस तरह से बदल गया था जैसे किसी चित्रकार ने प्रकृति का एक बहुत ही खूबसूरत चित्र बनाकर उसपर खून के छींटे मार दिए हों!

युगों से एक साथ प्रेम से रह रहे दो धर्मो के लोगों के बीच राजनीतिक चालों और पैसों के घिनौने खेल के कारण इतना मतभेद उत्पन्न हो गया था के हर दिन ही उस इलाके के किसी ना किसी हिस्से में कुछ लाशें गिरने लगी।

इलाके को छोड़कर देश के दूसरे हिस्सों में शरणार्थियों सा जीवन बिताने वाले विस्थापित लोगों की ये एक ऐसी मार्मिक कहानी है जो आपकी आँखों में आंसू लाने के साथ साथ आपको ये सोचने के लिए मजबूर कर देगी के आज की इस दुनिया में जहां पृथ्वी एक सामूहिक घर जैसा ही बन गयी है वहां एक ऐसी जगह भी है जो करीब तीन दशकों से रक्तरंजित और पीड़ित है। जी हाँ, हम कश्मीर और विस्थापित लोगों की बात कर रहे हैं।

आपने बहुत सी कहानियां और फिल्में देखी होंगी इस विषय पर लेकिन आज भी लाखों सुरक्षाकर्मियों की मौजजूदगी और सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद कश्मीर एक ऐसी जमीन है 'जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है..."

शुक्रिया

प्रोफेसर राजकुमार शर्मा

जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है!
कॉपीराइट
तालिका
दो शब्द
भयानक काल
प्रताड़ना
आदिल अली और माधव जी
यादें और आगे
बेटी और दामाद
सच्चाई से सामना
अगले कदम
कुछ निश्चित नहीं

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateSep 18, 2022
ISBN9781005058203
जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है!

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    जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है! - प्रोफेसर राजकुमार शर्मा

    जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है!

    प्रोफेसर राजकुमार शर्मा

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    Smashwords Edition

    सभी अधिकार सुरक्षित

    तालिका

    जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है!

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    तालिका

    दो शब्द

    भयानक काल

    प्रताड़ना

    आदिल अली और माधव जी

    यादें और आगे

    बेटी और दामाद

    सच्चाई से सामना

    अगले कदम

    कुछ निश्चित नहीं

    दो शब्द

    कभी पृथ्वी का स्वर्ग कहे जाने वाले पृथ्वी के उस सुन्दर हिस्से का रूप कुछ इस तरह से बदल गया था जैसे किसी चित्रकार ने प्रकृति का एक बहुत ही खूबसूरत चित्र बनाकर उसपर खून के छींटे मार दिए हों!

    युगों से एक साथ प्रेम से रह रहे दो धर्मो के लोगों के बीच राजनीतिक चालों और पैसों के घिनौने खेल के कारण इतना मतभेद उत्पन्न हो गया था के हर दिन ही उस इलाके के किसी ना किसी हिस्से में कुछ लाशें गिरने लगी।

    इलाके को छोड़कर देश के दूसरे हिस्सों में शरणार्थियों सा जीवन बिताने वाले विस्थापित लोगों की ये एक ऐसी मार्मिक कहानी है जो आपकी आँखों में आंसू लाने के साथ साथ आपको ये सोचने के लिए मजबूर कर देगी के आज की इस दुनिया में जहां पृथ्वी एक सामूहिक घर जैसा ही बन गयी है वहां एक ऐसी जगह भी है जो करीब तीन दशकों से रक्तरंजित और पीड़ित है। जी हाँ, हम कश्मीर और विस्थापित लोगों की बात कर रहे हैं।

    आपने बहुत सी कहानियां और फिल्में देखी होंगी इस विषय पर लेकिन आज भी लाखों सुरक्षाकर्मियों की मौजजूदगी और सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद कश्मीर एक ऐसी जमीन है 'जहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है..."

    शुक्रिया

    प्रोफेसर राजकुमार शर्मा

    भयानक काल

    कश्मीर, पृथ्वी पर स्वर्ग, कवियों और लेखकों के कार्यों में बहुत प्रशंसित और सुशोभित, और कई मुगल सम्राटों के लिए प्रेरणा का स्रोत, अचानक कुछ दशकों के आतंकरक्तपात, हत्याओं और मुठभेड़ों को साक्षी के रूप में देख और भोग चुका था।

    भारत के इस खूबसूरत राज्य में हर जगह, हर घर, और हर व्यक्ति, मानो अचानक संदेह के घेरे में आ गया था।

    वातावरण में अदृश्य भय था, और लोगों की आँखों में घबराहट के कई अलग-अलग चित्र दिखाई दे रहे थे।

    इस खूबसूरत घाटी के निवासी मौत और तबाही के इतने अभ्यस्त हो गए थे कि उन्हें हत्याओं और मुठभेड़ों की खबर सुनकर अब और आश्चर्य नहीं होता था। हालांकि, हाल की दो घटनाओं, जो अभूतपूर्व नहीं थीं, ने एक परिवार को हैरान कर दिया था।

    कश्मीरियों के लिए आश्चर्य, सदमा, विस्मय और अभूतपूर्व जैसे

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