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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 26)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 26)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 26)
Ebook136 pages1 hour

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 26)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की छब्बीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJul 3, 2018
ISBN9780463660737
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 26)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 26)

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 26)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 26)

    Copyright

    दो शब्द

    न्याय की घंटी Nyay Ki Ghanti

    कथा जिसका अंत न हो Katha Jiska Ant Na Ho

    मैं गाऊं गीत ख़ुशी के Main Gaun Geet Khushi Ke

    विजेता विलियम के बेटे Vijeta William Ke Bete

    सोलह दिनों का राजा Solah Dino Ka Raja

    हक़ की बात Haq Ki Baat

    रेगुलस का वादा Regulus Ka Vada

    विलियम टेल की कहानी William Tell Ki Kahani

    डेमॉक्लीस की तलवार Damocles Ki Talwaar

    हाथ में हाथ Hath Mein Hath

    आओ एक कप चाय पी लो Aao EK Cup Chai Pee Lo

    वो सिपाही Wo Sipahi

    कन्फ्यूशियस और शिष्य Confucius Aur Shishya

    मैं ही बुरा था Main Hi Bura Tha

    सोने के दिल वाला Soney Ke Dil Wala

    प्यार में सीखा Pyar Mein Seekha

    साठ साल बाद Saath Saal Baad

    आप क्यों नहीं आये? Aap Kyon Nahi Aaye?

    प्यार की खोज Pyar Ki Khoj

    इंसानियत अभी बाकी है Insaniyat Abhi Baki Hai

    वो टैक्सी वाला Wo Taxi Wala

    बिकने के लिए Bikney Ke Liye

    बदले की राख Badley Ki Raakh

    घर तो घर होता है Ghar To Ghar Hota Ha

    अनजाना हाथ (सत्य घटना) Anjana Hath

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की छब्बीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    न्याय की घंटी Nyay Ki Ghanti

    इटली में एक अट्री नाम का छोटा सा शहर है. ये एक बहुत ही पुराना शहर है. शहर एक पहाड़ी की एक तरफ बना हुआ है.

    बहुत समय पहले, अट्री का राजा एक बहुत बड़ी घंटी शहर में ले कर आये. उन्होंने उस घंटी को शहर के केंद्र में एक ऊँचे से स्थान पर लटकाने का आदेश दिया.

    घंटी को ऊपर लटका देने के बाद एक रस्सी उस घंटी से बाँध कर नीचे तक लटका दी गयी. एक छोटा बच्चा भी उस रस्सी को खींच कर उस घंटी को बजा सकता था.

    राजा ने जनता के सामने घोषणा की, ये न्याय की घंटी है.

    घंटी को शहर के केंद्र में लटका देने के बाद एक समारोह का आयोजन किया गया. स्त्री पुरुष और बच्चों ने सभी ने उस समारोह में भाग लिया.

    घंटी देखने में बहुत ही सुन्दर थी. सूरज के प्रकाश में वो चमक रही थी. सभी लोग उस घंटी की आवाज़ सुनना चाहते थे.

    जब राजा शहर के केंद्र में स्वयं आये, लोगों ने सोचा के राजा उस घंटी को बजायेंगे. सभी लोग चुप चाप खड़े होकर प्रतीक्षा करने लगे. राजा ने तो घंटी की रस्सी को हाथ तक नहीं लगाया. राजा ने अपना एक हाथ ऊपर कर दिया.

    राजा ने बोलना शुरू किया, "मेरी प्यारी प्रजा, आप सभी लोग इस सुन्दर घंटी को देख रहे हैं. ये घंटी सिर्फ नितांत आवश्यकता की स्तिथि में ही बजेगी.

    यदि तुम में से किसी के साथ कुछ अन्याय होता है तो वो व्यक्ति आकर इस घंटी को बजा सकता है. सभी न्यायधीश उसकी बात सुनेंगे और उसको न्याय देंगे.

    अमीर, गरीब, छोटे, ;बड़े, सभी लोग न्याय मांग सकते हैं. किसी के साथ कुछ भी भेदभाव नहीं होगा. लेकिन इस घंटी को तभी बजाना है जब पूर्ण विश्वास हो के अन्याय हुआ है.

    कई वर्षों के दौरान उस घंटी को बहुत से लोगों ने न्याय मांगने के लिए बजाया. और सभी को न्याय मिला. कई अपराधियों को दंड भी मिला. वर्षों के प्रयोग के बाद घंटी की रस्सी पुरानी हो गयी और कमजोर हो गयी.

    रस्सी के नीचे का भाग तो बिलकुल ही खराब हो गया था. रस्सी नीचे से टूट टूट कर थोड़ी छोटी भी हो गयी थी. अब सिर्फ लम्बे लोग ही घंटी बजा सकते थे.

    न्यायधीशों ने एक दिन कहा, "अगर किसी बच्चे के साथ अन्याय हुआ तो वो बेचारा तो इस डोरी तक पहुँच ही नहीं सकेगा. और वो कभी भी घंटी नहीं बजा सकेगा.

    इस रस्सी के स्थान पर लम्बी रस्सी लगानी होगी ताकि वो रस्सी जमीन छू सके और एक छोटा बच्चा भी घंटी बजा सके."

    सभी ने बहुत तलाश की परन्तु पूरे शहर में लम्बी रस्सी ही नहीं मिली.

    अंत में एक आदमी अपने बगीचे से फूलों और पत्तियों से लदी हुई एक हरी लता ले आया और उसको टूटी हुई रस्सी के नीचे के भाग में बाँध दिया. रस्सी के निचले भाग से बंधी हुई वो लता जमीन छूने लगी.

    शहर के पास के एक पर्वत में एक बूढा योद्धा रहता था. जवानी में उसने बहुत से युद्ध लड़े थे परन्तु अब वो बूढा हो गया था. उसके पास एक शानदार घोडा भी था.

    बुढ़ापे में वो योद्धा कंजूस हो गया था उसने अपनी सभी चीजें बेचकर पैसे इकट्ठे कर लिए. वो एक छोटी सी झोपडी में रहने लगा और अपने पैसों की निगरानी करने लगा.

    उसने घोड़े को भी कम खाना देना शुरू कर दिया. भूख के कारण वो घोडा कमजोर होने लगा. एक दिन उसने सोचा के घोडा तो उसका दाना खाता है और पैसे खर्च होते हैं.

    उसने घोड़े को बेचने का विचार किया. कोई भी उस कमजोर घोड़े को खरीदने को तैयार नहीं हुआ. वो बूढा कंजूस उस घोड़े के मरने की कामना करने लगा.

    उसने घोड़े को खुला छोड़ दिया. बेचारा

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