Panchatantra (Hindi): Animal-based Indian fables with illustrations & Morals, in Hindi
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About this ebook
Key Features:
Written in simple and lucid language
Each story is supplemented by a moral
Word meaning for vocabulary building
Practice exercise given for better understanding
Panchatantra is commonly available in an abridged form for children. It is an ideal book worth going through many times over. Honestly speaking, it is of far more practical importance for elders to read this book since it is they who always come in contact with people having good, doubtful or bad intensions and motives.
A must read for students of all age groups. #v&spublishers
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Book preview
Panchatantra (Hindi) - EDITORIAL BOARD
मगरमच्छ
विषय सूची
1. एक मुर्ख मित्र
2. छोटे चूहे और बड़े हाथी
3. शेर और खरगोश
4. शंदिली और तिल के बीज
5. बिना अक्ल का गधा
6. पक्षियों का जोड़ा और समुद्र
7. सुनहरी बीट वाली चिड़िया
8. नीला सियार
9. ब्राह्मण का स्वप्न
10. तीन ठग
एक मुर्ख मित्र
एक बार एक बहुत धनवान राजा था। उसके पास एक पालतू बन्दर था। वह उसे बहुत चाहता था। वह अपने बन्दर से
बार-बार कहता था कि, मेरे मित्र, तुमसे अच्छा मेरा कोई और साथी नहीं है। प्रतिदिन सुबह को बन्दर, राजा के साथ उसके शाही बगीचे में सैर को जाता था।
प्रतिदिन की भांति, एक खूबसूरत सुबह को राजा अपने बगीचे में टहल रहा था, तभी अन्दर ने घास में छिपे हुए एक साँप को देखा जो राजा को काटने की तैयारी में था। बन्दर अपने मालिक को बचाना चाहता था इसलिए उसने जल्दी से एक योजना बनायी, सही समय पर बन्दर ने साँप को, झपट कर पकड़ लिया और उसके टुकड़े-टुकड़े कर डाले। इस प्रकार राजा की जान बचा ली। जब राजा को इस बात का पता चला तो वह वहुत प्रसन्न हुआ। राजा को अपने बन्दर की चपलता और सतर्कता पर बड़ा गर्व था, उसने शीघ्र ही बन्दर को अपने मंत्रियो के विरोध के बावजूद अपना निजी अंगरक्षक नियुक्त कर लिया।
राज्य के मन्त्रियों ने राजा के इस निर्णय का काफी विरोध किया। उनका कहना था कि बन्दर सिर्फ एक जानवर है, और वह मनुष्यों की भक्ति अंगरक्षक का कार्य नहीं कर सकता। राजा ने फिर भी उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया। राजा ने कहा कि 'बन्दर उसे बहुत प्यार करता है और वह बहुत वफादार है। यही किसी अंगरक्षक का सबसे महत्त्वपूर्ण गुणा होता है। क्या तुम सब लोगों ने नहीं देखा कि उसने किस प्रकार मेरी जान बचायी?" राजा के इन शब्दों ने उन सब लोगों को चुप कर दिया जो एक अन्दर को अंगरक्षक नियुक्त करने के विरुद्ध थे।
ऐसा कई महीनों चलता रहा। एक दिन जब राजा अपने शयनकक्ष में आराम कर रहा था उसने बन्दर को आवाज दी और कहा कि 'मैं बहुत थका हुआ हूँ, और कुछ घण्टों के लिए सोने जा रहा हूँ, मैं कोई परेशानी नहीं चाहता हूँ, न कोई अन्दर आये और न ही कोई मुझे परेशान करे, समझ गए तुमा'
‘हाँ मालिक, मैं आपके आदेश का पालन करूंगा, बन्दर ने कहा।’
शीघ्र ही राजा सो गया और बन्दर सतर्कता से अपना कार्य करने लगा। वह राजा के विस्तर के पास खड़ा हो गया और सतर्कता से चौकसी करने लगा।
कुछ समय बाद एक मक्खी राजा के शयनकक्ष में घुस आयी। कुछ समय तक कक्ष मैं चारों और उड़ने के बाद सोते हुए राजा के चेहरे के पास आकर भिनभिनाने लगी। राजा ने उसे भगाया और करवटें बदलने लगा। उसकी शान्तिपूर्ण नीद में खलल पड़ रहा था।
बन्दर को राजा का आदेश अच्छी तरह से पता था, वह तुरन्त ही क्रियाशील हो गया। यह मक्खी को उड़ाने की कोशिश करने लगा, लेकिन वह मक्खी बारबार आकर राजा के चेहरे के पास भिनभिनाने लगती। कुछ कोशिशों के बाद बन्दर मक्खी को भगाने में सफल हो गया। वह अपनी कार्यवाही पर खुशा हो गया और खुद पर मुस्कराने लगा।
थोडी देर बाद मक्खी उसकी अवहेलना करते हुए वापस आ गयी। इससे बन्दर उग्र हो गया तथा अब उसने मक्खी को समाप्त करने का ही निश्चय कर लिया। उसने राजा की तलवार उठायी और मंडराती हुई मक्खी को खोजने लगा। फिर अचानक अन्दर ने देखा कि वह राजा की गर्दन पर बैठी है मक्खी को मारने के लिए उसने पूरी ताकत से मक्खी पर तलवार दे मारी। उसने सोचा कि अब मक्खी के दो टुकड़े करने में सफल हो जायेगा। दुर्भाग्य से तलवार मक्खी को नहीं लगी और राजा की गर्दन कट गयी और राजा मर गया। उसकी प्रजा अपने राजा की मृत्यु से काफी दुखी हुईं और प्रजाजन इस दुर्घटना" पर विलाप करने लगे।
शिक्षा: कभी-कभी एक मूर्ख दोस्त, एक बुद्धिमान दुश्मन से ज्यादा हानिकारक होता है।
शब्दावली
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(1) बन्दर ने ....................... को दबोच कर मार डाला।
(2) राजा ने ..................... को अपना निजी अंगरक्षक नियुक्त किया।
(3) बन्दर ने राजा को................... से मार डाला।
(4) मुर्ख दोस्त, ....................... से ज्यादा हानिकारक होता है।
छोटे चूहे और बड़े हाथी
एक बार किसी समय पर एक गाँव भूकम्प से पूरी तरह तबाह हो गया था। गाँव के सारे मकान नष्ट हो गये थे और गाँव खण्डहर में बदल गया था। इस प्रकार सभी गांव-वासी गाँव से पलायन करने को मजबूर हो गये और वह रहने के लिए अन्यत्र किसी स्थान को खोजने लगे।
खाली गाँव चूहों का आवास बन गया। जल्दी ही उनकी संख्या सैकडों-हजारों में बढ गयी।
गाँव एक झील के किनारे बसा हुआ था। एक हाथियों का झुण्ड प्रतिदिन झील में पानी पीने के लिए आया करता था। की गाँव अब खण्डहर हो चुका था इसलिए प्रत्येक सुबह हाथी गाँव से होकर ही झील की ओर जाने लगे। जब हाथी झील की ओर जाते थे तब प्रतिदिन उनके पैरों के नीचे सैकडों चूहे कुचल जाते थे। इससे चूहों को भारी दिक्कत होती थी। तब चूहों ने इस समस्या का हल खोजने के लिए एक सभा का आयोजन किया। काफी विचार-विमर्श के बाद चूहों के राजा का हाथियों के राजा से मिलकर समस्या को बताने का निश्चय किया गया।
अगले दिन चूहों का राजा स्वयं ही हाथियों के राजा से मिला। चूहों का राजा बोला, 'श्रीमान् हम उस खण्डहर हो चुके गाँव में रहते हैं और हर बार जब आप यहाँ से होकर गुजरते है तब हाथियों के पैरों के नीचे आकर