दशावतार: अवतार कथाएँ
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परब्रह्म के द्वारा तीन प्रमुख देवों के माध्यम से सृष्टि की रचना पालन तथा संहार किया जाता है । ये तीन प्रधान देव ब्रह्मा , विष्णु तथा शिव हैं । ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं तथा शिव संहार । विष्णु सृष्टि का पालन तथा संरक्षण करते हैं अतः उनका दायित्व ब्रह्मा तथा शिव से अधिक है । अपने दायित्वों का निर्वाह तथा धर्म की रक्षा के लिये विष्णु समय समय पर विविध रूप धारण करते हैं । इन अवतारों का कारण अपने कृष्णावतार में स्वयं वे कहते हैं - 'जब जब संसार में धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म का उत्थान होने लगता है तब तब मैं स्वयं जन्म लेता हूँ ।' जब जब संसार मे धर्म की हानि होती है तब तब भगवान विभिन्न रूप धारण करते हैं । उनके अवतारों में दस अवतार विशेष महत्वपूर्ण हैं । इन्हीं दस अवतारों की कथाओं का संग्रह है - 'दशावतार'
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Book preview
दशावतार - डॉ. रंजना वर्मा
दशावतार
अवतार कथाएँ
BY
डॉ. रंजना वर्मा
pencil-logo
ISBN 9789355591357
© Dr. Ranjana 2021
Published in India 2021 by Pencil
A brand of
One Point Six Technologies Pvt. Ltd.
123, Building J2, Shram Seva Premises,
Wadala Truck Terminal, Wadala (E)
Mumbai 400037, Maharashtra, INDIA
E connect@thepencilapp.com
W www.thepencilapp.com
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DISCLAIMER: This is a work of fiction. Names, characters, places, events and incidents are the products of the author's imagination. The opinions expressed in this book do not seek to reflect the views of the Publisher.
Author biography
नाम - डॉ. रंजना वर्मा
जन्म - 15 जनवरी 1952, शहर जौनपुर में ।
शिक्षा - एम.ए. (संस्कृत, प्राचीन इतिहास) पी.एच.डी.(संस्कृत)।
लेखन एवम् प्रकाशन -
वर्ष 1967 से देश की लब्ध प्रतिष्ठ पत्र पत्रिकाओं में, हिंदी की लगभग सभी विधाओं में । कुछ रचनाएँ उर्दू में भी प्रकाशित ।
प्रकाशित कृतियाँ -
साईं गाथा (महाकाव्य)। अश्रु अवलि, सर्जना, समर्पिता, सावन, कैकेयी का मनस्ताप, वैदेही व्यथा, संविधान निर्माता, द्रुपद - सुता, सुदामा,(सभी खण्ड काव्य)। चन्द्रमा की गोद में (बाल उपन्यास), समृद्धि का रहस्य, जादुई पहाड़, मङ्गला, पोंगा पण्डित,(सभी बाल कथा संग्रह), मुस्कान (बाल गीत संग्रह), फुलवारी (शिशु गीत संग्रह)। जज़्बात, ख्वाहिशें, एहसास, प्यास, रंगे उल्फ़त, गुंचा, रौशनी के दिए, खुशबू रातरानी की, ख़्वाब अनछुए , शाम सुहानी, यादों के दीप, मंदाकिनी, आस किरन, बूँद बूँद आँसू (सभी ग़ज़ल संग्रह)। गीतिका गुंजन, सरगम साँसों की, रजनीगन्धा, भावांजलि (गीतिका संग्रह), सत्यनारायण कथा (पद्यानुवाद)। मुक्तक मुक्ता, मुक्तकाञ्जलि, मन के मनके (सभी मुक्तक संग्रह)। दोहा सप्तशती, दोहा मंजरी (दोहा संकलन)। एक हवेली नौ अफ़साने, रास्ते प्यार के, अमला, पायल, अतीत के पृष्ठ, अँजोरिया, मर्डर मिस्ट्री (उपन्यास)। सूर्यास्त, सिंधु-सुता, परी है वो ( कहानी संग्रह )। साँझ सुरमयी, गीत गुंजन, गीत धारा , मीत के गीत, आ जा मेरे मीत,(सभी गीत संग्रह)। बसन्त के फूल (कुण्डलिया संग्रह)। चुटकी भर रंग, जुगनू (दोनों हाइकु संग्रह)। चंदन वन (तांका संग्रह), इंद्रधनुष (चोका संग्रह), मेहंदी के बूटे (सेदोका संग्रह), नयी डगर (वर्ण पिरामिड संग्रह)।
'लौट आओ रुद्र' (उपन्यास का पूर्वार्द्ध) प्रेस में ।
सम्पादन -
मन के मोती, मकरंद , सौरभ, मौन मुखरित हो गया (चारो कविता संग्रह ), अँजुरी भर गीत (गीत संग्रह), शेष अशेष (स्मृति ग्रन्थ), हास्य प्रवाह (हास्य व्यंग्य कविताओं का संग्रह, थूकने का रहस्य, करामाती सुपारी (दोनों हास्य व्यंग्य संग्रह)।
प्रसारण -
गीत, वार्ता, तथा कहानियों का आकाशवाणी, फैज़ाबाद से समय समय पर प्रसारण ।
सम्मान -
श्रीमती राजकिशोरी मिश्र सम्मान, श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान स्मृति सम्मान, काव्यालंकार मानद उपाधि, छन्द श्री सम्मान, कुंडलिनी गौरव सम्मान, ग़ज़ल सम्राट सम्मान, श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, मुक्तक गौरव सम्मान, दोहा शिरोमणि सम्मान, सिंहावलोकनी मुक्तक भूषण सम्मान, दोहा मणि सम्मान।
सम्प्रति -
सेवा निवृत्त प्रधानाचार्या( रा0 बा0 इ0 कालेज जलालपुर, जिला अम्बेडकरनगर उ0 प्र0) से।
सम्पर्क सूत्र - ranjana.vermadr@gmail.com
Contents
दो शब्द
1. महामत्स्य अवतार
2. कच्छप अवतार
3. महावाराह अवतार
4. नृसिंह अवतार
5. वामन अवतार
6. परशुराम अवतार
7. श्री राम अवतार
8. श्री कृष्ण अवतार
9. बुद्ध अवतार
10. कल्कि अवतार
दो शब्द
प्रिय पाठकों !
भारतीय धर्मग्रन्थों एवं पुराणों के वर्णन के अनुसार तीन देव प्रमुख हैं जिनके द्वारा परब्रह्म सृष्टि की रचना पालन तथा संहार करते हैं । ये तीन प्रधान देव ब्रह्मा , विष्णु तथा शिव हैं ।
ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं तथा शिव संहार । विष्णु सृष्टि का पालन तथा संरक्षण करने के कारण उनका दायित्व इन सब में अधिक है । इसीलिये उन्हें सर्वश्रेष्ठ भी कहा गया है ।
अपने इन्हीं दायित्वों का निर्वाह के लिये विष्णु विविध रूप धारण करते हैं । इन अवतारों का कारण अपने कृष्णावतार में स्वयं वे कहते हैं-
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत !
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम ।।"
जब जब संसार में धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म।का उत्थान होने लगता है तब तब मैं स्वयं जन्म लेता हूँ ।
गो० तुलसीदासजी ने भी अपने सर्वपूज्य ग्रन्थ 'श्रीरामचरितमानस' में लिखा है -
"जब जब होय धरम की हानी ।
बाढ़इ असुर अधम अभिमानी ।।
तब तब धरि प्रभु विविध सरीरा ।
हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा ।।"
जब जब धरती पर अन्यायी , अत्याचारी , नीच प्रकृति वाले अभिमानी असुर बढ़ जाते हैं तब तब प्रभु विविध शरीर धारण करके पृथ्वी पर अवतरित हो कर सज्जनों के कष्टों का निवारण करते हैं ।
पुराण आदि धर्म ग्रन्थों में विष्णु भगवान के दस अवतारों का वर्णन मिलता है । जिनमें भगवान विष्णु द्वारा नौ अवतार ग्रहण किये जा चुके हैं । दसवां कल्कि अवतार अभी उनके द्वारा धारण किया जाना है ।
उनके दस अवतार निम्नवत हैं :-
1 - मत्स्यावतार
2 - कच्छप अवतार
3 - वाराह अवतार
4 - नृसिंह अवतार
5 - वामन अवतार
6 - परशुराम अवतार
7 - राम अवतार
8 - कृष्ण अवतार
9 - बुद्ध अवतार
10 - कल्कि अवतार
विचार करने पर स्पष्ट होता है कि ये अवतार मानव जाति के विकास क्रम को भी प्रगट करते हैं । यथा - जलचर (मत्स्य), उभयचर (कच्छप), थलचर (वाराह), मिश्रित (नृसिंह), वामन , परशुराम आदि ।
आगे इन्हीं दस अवतारों के सम्बंध में बताने का प्रयास किया गया है । आशा है प्रस्तुत पुस्तक पाठकों को भगवान विष्णु द्वारा जन कल्याण के लिये ग्रहण किये गये अवतारों के सम्बंध में अवगत कराने के उद्देश्य की पूर्ति करने में सक्षम होगी ।
निवेदिका
डॉ. रंजना वर्मा
1. महामत्स्य अवतार
सतयुग में पृथ्वी पर राजा सत्यव्रत का राज्य था ।वह बहुत प्रतापी तथा प्रजा में अत्यंत प्रिय था । सारी प्रजा को अपनी संतान के समान प्रेम करता था सबके दुख सुख का ध्यान रखता था । जैसे राजा प्रजा का पालन करता था उसी प्रकार प्रजा भी उससे अत्यधिक प्रेम करती थी । उनकी दृष्टि में राजा स्वयं ईश्वर ही था अतः उनके समस्त दुखों को दूर करने तथा उन्हें सुखी रखने का दायित्व भी राजा का ही