Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

एराना की गाथाएँ: योद्धा का श्राप: एराना की गाथाएँ (Tales of Erana)
एराना की गाथाएँ: योद्धा का श्राप: एराना की गाथाएँ (Tales of Erana)
एराना की गाथाएँ: योद्धा का श्राप: एराना की गाथाएँ (Tales of Erana)
Ebook60 pages35 minutes

एराना की गाथाएँ: योद्धा का श्राप: एराना की गाथाएँ (Tales of Erana)

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

जो भी असुरों के साथ मिलकर काम करने की सोचता है, सावधान हो जाए! हमारे हीरो ने एक चुड़ैल के साथ अपवित्र सौदा किया और यह सबक पाया कि जादू किसी को बख़्शता नहीं है।

काले जादू के देश की भूली-बिसरी कहानियाँ।

एराना की गाथाएँ सीरीज़ की फ़ंतासी कहानी।

Languageहिन्दी
PublisherBadPress
Release dateAug 9, 2020
ISBN9781071558959
एराना की गाथाएँ: योद्धा का श्राप: एराना की गाथाएँ (Tales of Erana)

Related to एराना की गाथाएँ

Related ebooks

Reviews for एराना की गाथाएँ

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    एराना की गाथाएँ - A L Butcher

    एराना की दुनिया असमानताओं से भरी है, यहाँ जादू पर पाबंदी है और जादू करते पाए जाने पर मौत की सज़ा दी जाती है; लेकिन इस दुनिया में कानून तोड़ने वाले भी बहुत हैं, कानून सख्त है और अज्ञान राजनेताओं के हाथ का खिलौना है – और जादू का चलन भी बहुत है। अनकही कहानियों, मिथकों और लोककथाओं के माध्यम से जादू अपने हाथ फैलाता ही रहता है, यह पुराने ज़माने के भूले-बिसरे खंडहरों और गुफाओं में छिपा रहता है। पुरानी कहानियाँ बार-बार कही जाती हैं, एक कान से दूसरे कान होते हुए ये अक्सर भुला भी दी जाती हैं... लेकिन सब लोग इन्हें नहीं भूलते।

    ****

    लईफ़ आग जलाकर उसके पास बैठ गया। उसके पैर गीले थे और उन पर आग का ताप अच्छा लग रहा था। हमेशा की तरह उसने सोचा, काश उसके पास इतने पैसे होते कि वह अच्छे जूते खरीद सकता जो उसके नाप के होते। उसे उम्मीद थी कि आज के बाद वह बेहतरीन फ़र लगे हुए ड्रेक चमड़े के जूते खरीद सकेगा जो उसने कारीगरों के मुहल्ले में देखे थे। अपने पैरों की उंगलियाँ सिकोड़ते-फैलाते हुए और पैरों के तलवे पर उभरे छालों पर उंगलियाँ फिराते हुए उसके होठों पर मुस्कान आ गई। अब उसे बासी रोटियों के लिए नानबाई के और पुराने कपड़ों के लिए एनक्लेव के दुकानदारों के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे। हालांकि खुद एनक्लेव की दुकानें बहुत अच्छी हालत में नहीं थीं और उनमें अधिकतर माल चोरी का होता था। मानवों की गरीब बस्तियाँ भी वामनों के एनक्लेव से बेहतर हालत में होती थीं, लेकिन आजकल एनक्लेव की बदनाम गलियों में बहुत से मानव भी होते थे और कभी-कभी तो ट्रोल भी दिखाई दे जाते थे।

    अब उसे इस आशा में नहीं जीना होगा कि उसके भूतपूर्व मानव मालिक उसपर दया करेंगे और उससे अच्छा बर्ताव करेंगे। उसके भाग निकलने से पहले ऐसा शायद ही कभी हुआ हो। कोई भी कितनी मार सह सकता है, लईफ़ को मार-पीट पसंद नहीं थी और वह वहाँ से भाग निकला था। शायद लईफ़ का भी कभी अपना नौकर होगा! वैसे तो आधा वामन होने के कारण उसे अपनी प्रॉपर्टी  खड़ी करने का अधिकार नहीं था, लेकिन फिर भी उसने देखा था कि पैसा हो तो सबकुछ संभव है, पैसा हो तो लोग इन बातों पर ध्यान नहीं देते और हो सकता है वह उसके पीछे लगे चुड़ैल-खोरों को पैसे देकर उनसे पीछा भी छुड़वा ले। आज के ज़माने में सही कीमत में कानून को भी खरीदा जा सकता है।

    अपने भूरे बालों में से हाथ फिराते हुए लईफ़ मुस्कराया; वह अपनी खुद की जलाई आग के पास बैठा था, अब उसे किसी को 'मालिक' नहीं बुलाना होगा और उसके चारों ओर संभावनाएँ बिखरी पड़ी थीं। अगर वह पकड़ा भी गया, तो या तो उसे एनक्लेव लौटना होगा, या फिर उसे ताँबे और नमक की खदानों में गुलामी करनी होगी या उसे मौत की सज़ा होगी – वैसे कई लोगों का कहना था की फाँसी होने पर मौत जल्दी आती है। उसने सोचा, आज़ादी वही है जिसमें

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1