मौत का साया
By प्रकाश भारती
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करीमगंज में छुट्टियाँ गुजार रहे अजय को करीब सात साल से लापता कुख्यात गैंगस्टर और वर्कर्स यूनीयन के सर्वेसर्वा मदन लाल सेठिया के दाएं हाथ दिनेश दत्त रहेजा का एक महीने में पता लगाने का काम सौंपा गया...। रहेजा विशालगढ़ से उस वक्त गायब हुआ जब सेठिया के खिलाफ इंक्वायरी कर रहे कमीशन ने उसे गवाही के लिए बुलाया था । रहेजा के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद अजय ने अनुमान लगाया - रहेजा के हाथ में जरूर सेठिया की कोई कमजोर नस थी...।
न्यु लुक क्लब के मालिक नफीस अहमद और उसके प्यादे सका से तगड़ी झड़प के बाद अजय को पता चला नफीस अहमद वर्कर्स यूनियन का करीमगंज ब्रांच का इंचार्ज और प्रोफेशनल किलर था...। अजय ने उस पर भी अनुमान जाहिर करते हुए बता दिया सेठिया से मिलने जाएगा...।
अगले रोज बिशालगढ़ पहुंचा...उसी होटल राजदूत में डेरा जमाया जहां से रहेजा गायब हुआ था...सेठिया से मिला...उस पर भी अपना अनुमान जाहिर करके उसे झटका देने में कामयाब हो गया...इंक्वायरी कमीशन के मेंबर मिस्टर गोयल से लम्बी चर्चा के दौरान उसका अनुमान यकीन में बदल गया - रहेजा के पास सेठिया के खिलाफ जरूर कोई तगड़ा सबूत था...साथ ही अजय इस निष्कर्ष पर पहुंचा - रहेजा देश में ही कहीं छिपा होना चाहिये...होटल लौटते वक्त उसने नोट किया सेठिया का गनमैन जोसफ एक आदमी के साथ काली कार में उसका पीछा कर रहा था...।
होटल में पुराने बैल कैप्टेन और रहेजा के रूम सर्विस वाले बेयरे ने पैसों की एवज जो जानकारी दी उससे रहेजा के गायब होने का रहस्य समझ आ गया...फिर बेसमेंट का मुआयना करने और वॉचमैन से पूछताछ के बाद अजय के दिमाग में रहेजा के गायब होने के तरीके का खाका बनने लगा...लांड्री से पता चला 16 अगस्त 1981 की शाम को होटल से धुलाई के कपड़ों का गठ्ठर लाने वाले दोनों आदमी यूनीयन के मेंबर थे...उन्हें अगले रोज नौकरी से निकाल दिया गया फिर उनकी हत्या कर दी गई...अजय को यकीन हो गया उस रोज कपड़ों के गठ्ठर में छिपकर रहेजा होटल से गायब हुआ था...एयरपोर्ट से छानबीन करनेपर मिली जानकारी ने यकीन दिला दिया रहेजा ने 16 अगस्त 1981 को शाम छह बजकर बाइस मिनट की विश्वासनगर की फ्लाइट पकड़ी थी...उसी दिन साढ़ेचार बजे विश्वासनगर जानेवाली फ्लाइट में सवार अजय ने देखा - टेक ऑफ से मिनट भर पहले जोसफ भी उसी प्लेन में आ पहुंचा था...।
विश्वासनगर...होटल इम्पीरियल में ठहरे अजय ने देखा जोसफ की मदद के लिए नफीस अहमद भी आ पहुंचा था...अजय उन दोनों को चकमा देकर अपने सॉलिड कांटेक्ट सिल्वर क्वीन क्लब के मालिक दयाशंकर से मिला..रहेजा को तलाश करने के बारे में विस्तारपूर्वक बता दिया...। अगले रोज दयाशंकर ने जानकारी दी - रहेजा वहां आया था और उसे बुकी किंग अडवानी के पास भिजवा दिया गया...उसे अडवानी के विराटनगर से सलीमपुर तक के लम्बे-चौड़े इलाके में कहीं छिपा होना चाहिए...?
जोसफ पहले ही होटल छोड़कर प्लेन से विराटनगर रवाना हो चुका था...विराटनगर लौटते अजय के साथ अकेला नफीस अहमद ही प्लेन में सवार हुआ...। विराटनगर में...अपने दोस्त इंस्पैक्टर रविशंकर से अजय को पता चला - जोसफ पिछली शाम जिस बस में सवार हुआ वो टीकमगढ़ से तीस मील आगे नजीराबाद तक जाती है...।
अजय रहेजा तक पहुँच सका ???
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मौत का साया - प्रकाश भारती
मौत का साया
प्रकाश भारती
* * * * * *
Title Name: Maut Ka Saya
Author: Prakash Bharti
Published by: Aslan Business Solutions
Aslan-Reads.png(Aslan Reads - An imprint of Aslan Business Solutions)
Borivali (East), Mumbai, Maharashtra, India
Email: hello@aslanbiz.com; Website: www.aslanbiz.com & www.aslanreads.com
Edition – I
ISBN: 978-81-951553-5-4
Copyright @ 1988 Prakash Bharti
No part of this book may be reproduced or transmitted in any form or by any means, electronic or mechanical, including photocopying, recording, or any information storage or retrieval system without prior permission in writing from the publisher.
* * * * * *
अंतर्वस्तु
प्रकाश भारती - मौत का साया
मौत का साया
* * * * * *
प्रकाश भारती - मौत का साया
–अगर तुम्हारे पास अक्ल नाम की कोई चीज होती तो तुम्हें समझ जाना चाहिए था कि हमारे बीच जो बाजी बिछी हुई है, उसमें पुलिस के दखल की कोई गुंजाइश नहीं है । हर खेल के कुछ उसूल होते हैं चाहे वो मौत का खेल ही क्यों न हो ।
अजय सर्द लहजे में बोला–हम एक–दूसरे के दुश्मन हैं । जब भी तुम्हें लगेगा मैं तुम्हारे लिए खतरा बन गया हूं, तुम मेरी जान लेने की कोशिश करोगे । इसी तरह जब मैं समझूँगा तुम मेरे रास्ते में आ रहे हो तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा । जहां तक पुलिस का सवाल है, फिलहाल वे लोग मेरे पीछे लगे हुए हैं । वे पता लगाना चाहते हैं मैं किस चक्कर में हूं । जबकि तुम अच्छी तरह जानते हो, मैं किस चक्कर में हूं । तुम्हारी जानकारी के लिए यह भी बता दूं कि मैं नहीं चाहता तुम्हें या जोसफ को पुलिस ठिकाने लगाए । अगर ऐसी स्थिति आती है तो यह काम मैं खुद ही करुंगा ।
(एक रोचक एवं तेज रफ्तार उपन्यास)
* * * * * *
मौत का साया
न्यू लुक...।
करीमगंज के शानदार नाइट क्लबों में से एक था । लेकिन अजय को क्लब से ज्यादा पसन्द आई थी–पॉप सिंगर बेला पाल । वह जितनी अच्छी सिंगर थी उतनी खूबसूरत भी थी । यही वजह थी कि पॉप म्युजिक का खास शौकीन न होते हुए भी अजय हफ्ते भर से बराबर वहां आ रहा था ।
छुट्टियाँ गुजारने करीमगंज आए अजय की वहां वो आखिरी रात थी । अगले रोज उसने वापस विराटनगर लौट जाना था ।
व्हिस्की की चुस्कियां लेता हुआ वह गीत–संगीत का पूरा लुत्फ़ उठा रहा था ।
बेला का गाना खत्म होने वाला था ।
अजय ने अपना गिलास खाली करके वेटर को संकेत किया ।
वह तुरंत आ पहुंचा ।
–एनादर ड्रिंक, सर ?
उसने पूछा ।
–अभी नही । अजय बोला–
पहले मिस पाल से जाकर पूछो क्या वह मेरे साथ एक ड्रिंक लेना पसंद करेगी ?"
वेटर ने सिर हिला दिया ।
–बेकार है, सर ! वह नहीं मानेगी ।
–क्यों ?
–"कस्टमर्स के साथ मिक्सअप होना वह अवॉयड ही करती है ।
अजय ने बीस रुपए का नोट निकालकर मेज पर रख दिया ।
–तुम जाकर कोशिश तो करो ।
वेटर तनिक हिचकिचाया फिर नोट उठा लिया और पलटकर स्टेज की ओर बढ़ गया ।
अजय को लगभग पूरा यकीन था बेला आएगी । इस लिए नहीं कि वह खुद को इस कदर हैंडसम समझता था कि उसके बुलावे पर हर हसीना दौड़ी चली आएगी । बल्कि इसलिए कि वह हर रात उसी मेज पर आकर बैठता रहा था । और वो मेज स्टेज के पास ऐसी स्थिति में थी कि गाने के दौरान बेला की निगाहें उस पर पड़ ही जाया करती थी । और उस रात अजय ने उन निगाहों में साफ दिलचस्पी के भाव नोट किए थे । इसकी वजह शायद रोजाना एक ही मेज पर उसका अकेले बैठे रहना थी । जबकि ऐसे स्थानों पर कोई भी युवक आमतौर पर अकेला नहीं आता और अगर आता भी था तो ज्यादा देर अकेला नहीं रह पाता ।
बेला गाना खत्म करके स्टेज के पीछे जा चुकी थी ।
अजय ने वेटर को भी उधर ही जाते देखा ।
मुश्किल से दो मिनट बाद ही उसका यकीन सही साबित हो गया ।
स्टेज की बगल से गुजरकर बेला पाल उसकी मेज पर आ पहुंची ।
अजय खड़ा हो गया ।
–मेरा नाम अजय कुमार है, मिस पाल मुझे खुशी है मेरे बुलाने पर आप आ गई ।
वह मुस्कराता हुआ बोला–मैं आपको बताना चाहता था आपके गानों से मैंने बेहद एनज्वॉय किया है । आप मेरे साथ ड्रिंक लेंगी ?
बेला तनिक मुस्कराई ।
–ज़रूर ।
–"तशरीफ रखिए ।
बेला उसके सामने बैठ गई ।
अजय पुनः अपनी कुर्सी पर बैठ गया ।
वेटर आया और ड्रिंक्स का आर्डर लेकर चला गया ।
बेला के चेहरे पर हल्की–सी मुस्कराहट उसी तरह कायम थी । वह थोड़ा आगे झुक गई । इस प्रयास में उसकी फैंसी पोशाक के लोकट गले से उसके पुष्ट दूधिया वक्षों का थोड़ाभाग नुमायां होने लगा ।
–आप करीब एक हफ्ते से रोज रात अकेले यहाँ आ रहे हैं ।
उसने पूछा–जान सकती हूं, क्यों ?
–इसलिए कि आप बहुत अच्छी सिंगर हैं । और मुझे अच्छे गीत–संगीत से बेहद लगाव है ।
–तारीफ के लिए शुक्रिया । लेकिन मैं तो यहां तीन महीने से हूँ । अगर आप इतने ही शौकीन हैं तो मुझे ढूंढ़ने में इतना वक्त कैसे लगा दिया ?
–"दरअसल मैं विराटनगर रहता हूँ । हफ्ता पहले करोमगंज आया था । और इत्तफाक से पहली ही रात यहां चला आया । लेकिन यहां जो देखा और सुना वो इतना मजेदार लगा कि रोजाना आने पर मजबूर हो गया कल मैंने वापस जाना है । इसलिए सोचा, जाने से पहले बता दूँ कि आपका गाना मुझे बेहद पसन्द आया है ।
वेटर आया और ड्रिंक्स सर्व करके लौट गया ।
–तारीफ के लिए एक बार फिर शुक्रिया ।
बेला ने कहा और अपना गिलास उठा लिया ।
–चीयर्स ।
अजय अपना गिलास उठाकर बोला ।
–चीयर्स ।
बेला ने एक ही बार में खाली करके गिलास नीचे रख दिया ।
–आप जल्दी में लगती हैं ?
अजय ने अपने गिलास से घूँट लेकर पूछा–फिर से माइक पर जाना है ?
–हां ! और उससे पहले मैं इस लिबास को चेंज करके कुछ देर आराम करना चाहती हूं ।
–श्योर ।
अजय ने कहा–"अगर एतराज न हो तो मैं चाहता हूं, यहां से जाने से पहले भी आप एक और ड्रिंक मेरे साथ लें ।
बेला ने कई पल खामोशी के साथ उसे देखा फिर खड़ी हो गई ।
–ओ के । थैंक्यू फॉर दी ड्रिंक ।
–इट वाज माई प्लेजर ।
अजय बोला ।
बेला मुस्कराई और पलटकर मादक अंदाज में चलती हुई स्टेज की ओर बढ़ गई ।
अजय उसे देखता रहा जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गई । फिर उसने गिलास उठाकर ड्रिंक सिप किया । लेकिन अब वो उसे बे–मजा लगा । उसने जेब से 'प्लेयरज गोल्ड लीफ' का पैकेट निकालकर एक सिगरेट सुलगा लिया ।
तभी एक आदमी उसके पास आ खड़ा हुआ ।
आगन्तुक वेटर की वर्दी पहने था । लेकिन उसके मजबूत जिस्म और पेशेवर बॉक्सरों जैसे चेहरे से जाहिर था कि वेटर वह महज दिखावे के लिए ही था ।
–"तुमसे बॉस मिलना चाहता है । वह बोला ।
अजय समझ गया जरूर कोई गड़बड़ थी । लेकिन प्रगट में सामान्य बना रहा ।
–ठीक है । वह लापरवाही से बोला–
भेज दो ।"
–नहीं । तुम्हें चलना होगा ।
–कहाँ ।
–आफिस में ।
–वो कहाँ है ?
आगन्तुक ने हाल के पृष्ठ भाग की ओर सिर हिलाकर संकेत कर दिया ।
–उधर ।
–और बॉस कौन है ?
–मिलोगे तो पता चल जाएगा । आगन्तुक गुर्राता–सा बोला–
अब तुम चुपचाप चलते हो या फिर मैं उठाकर ले चलूँ ?"
अजय खड़ा हो गया ।
–मैं ही चलता हूँ, पहलवान तुम मुझे नहीं ले जा सकोगे ।
वह बोला–हां, इतना बता दो कि इस ज़बरदस्ती का मतलब क्या है ?
–बॉस तुमसे मिलना चाहता है । और यहाँ वही होता है जो बॉस चाहता है । चलो !
अजय उसके साथ चल दिया ।
मेजों के बीच से गुजरते हुए वे हाल के पृष्ठ भाग में जा पहुंचे ।
वहां बनी सीढ़ियां चढ़ने के बाद एक कारीडोर में पहुंच कर पहलवान रुक गया ।
अजय ने भी उसका अनुकरण किया ।
–बायीं ओर पहला दरवाजा ।
पहलवान बोला ।
अजय ने काफी मजबूत नजर आते बन्द द्वार पर निगाह डाली ।
–दरवाजा खोलो ।
पहलवान बोला–और अन्दर चले जाओ ।
–बिना दस्तक दिए ही ?
अजय ने उसे छेड़ा ।
–ज्यादा चालाक मत बनो । अन्दर जाओ !
पहलवान ने कहा और उसे आगे धकेल दिया ।
अजय को गुस्सा तो आया लेकिन वह जब्त कर गया ।
वह दरवाजा खोलकर भीतर दाखिल हुआ ।
शानदार ऑफिस के अनुरूप सजे कमरे में डेस्क के पीछे एक करीब पैंतालीस वर्षीय आदमी मौजूद था । औसत कद और कसरती जिस्म वाला वह आदमी शक्ल सूरत से ही धूर्त नजर आता था ।
–यह आ गया, बॉस ।
दरवाजे में खड़ा पहलवान बोला ।
तभी अजय को एक और चीज दिखाई दी । डेस्क के ठीक सामने एक बड़ी खिड़की थी । वहां से क्लब के हाल का सारा दृश्य साफ नजर आ रहा था । अजय को याद आया हाल में बैठकर खिड़की की ओर देखने पर धुँधले कांच के एक काफी बड़े आयताकार टुकड़े पर म्यूरल्स बने प्रतीत होते थे । जाहिर था कि वो वन–वे ग्लास है ।
–मैं भी देख रहा हूं ।
डेस्क के पीछे बैठा आदमी अधिकार पूर्वक बोला–तुम बाहर ठहरो । जब जरूरत होगी, तुम्हें बुला लूंगा ।
–ओ के बॉस ।
पहलवान बाहर निकल गया और दरवाजा बन्द कर दिया ।
उस आदमी ने बारीकी से अजय का मुआयना किया, फिर बोला–बैठो ।"
–यह हुक्म है या गुज़ारिश ।
–"जो चाहो समझ लो । और अगर बैठने में तोहीन मालूम होती है तो खड़े भी रह सकते हो ।
अजय उसके ठीक सामने एक कुर्सी पर बैठ गया ।
–सुनो । वह उस आदमी से अपने ढंग से पेश आने का मन ही मन फैसला करता हुआ बोला–
मेरा ख्याल है, तुम मुझे कोई लेक्चर देना चाहते हो । लेकिन कुछ भी कहने से पहले मेरी बात गौर से सुन लो । अगर दोबारा कभी मुझसे मिलना चाहो तो शरीफ आदमियों की तरह इनवीटेशन भिजवाकर बुलाना । अपने किसी ऐसे लंगूर को मेरे पास मत भेजना जो सीधा मेरे सिर पर जा चढ़े हुक्म दनदनाए और फिर धक्का–मुक्की करने लगे । इस किस्म की बेहूदगी मुझ जरा भी पसन्द नहीं है । समझे ? अब, अपने बारे में बताओ । तुम कौन हो ?"
–मैं नफीस अहमद हूं ।
उस आदमी ने कुछ इस ढंग से कहा मानों वह कोई महान हस्ती था ।
–नाइस नेम । देखने में भी वाकई नफीस लगते हो । लेकिन मुझसे क्या चाहते हो ? तुम्हारे आटोग्राफ लूँ ?
आशा के विपरीत नफीस अहमद को जरा भी गुस्सा नहीं आया ।
–'थंडर' के रिपोर्टर होने के साथ–साथ तुम आदमी भी दिलचस्प हो, अजय कुमार ।
–बहुत खूब ! मेरे बारे में भी पूरी जानकारी है । कहीं तुम्हें कोई ऐसी गुप्त विद्या तो नहीं आती जिससे बिना बताए दूसरों का हाल मालूम किया जा सकता है ?
–यहाँ आते हुए आज तुम्हें पूरा एक हफ्ता हो गया है । अजय के कथन पर ध्यान न देकर वह बोला–
हर रात तुम उसी मेज पर बैठते हो–अकेले । जबकि यह ऐसा क्लब नहीं है जहां कोई आदमी अकेला आता हो...।"
–क्या तुम हमेशा अकेले आदमियों की ताक में रहते हो ?
अजय उसकी बात काटता हुआ बोला–अगर ऐसा है तो माफी चाहूँगा । क्योंकि मुझे आदमी नहीं औरतें पसन्द हैं कड़क और जवान ।
इस दफा उसकी आंखें तनिक सुर्ख़ हो गईं और चेहरा तन गया ।
–ज्यादा होशियारी मत दिखाओ ।
वह कड़े स्वर में बोला–मैं जानना चाहता हूं तुम किस फेर में हो ? यहां क्या करने आते हो ?
–"अभी तक तो एनज्वाय करने आता रहा हूं । पहली ही रात यहां आया तो तुम्हारी सिंगर इतनी पसंद आ गई कि रोज–रोज आने पर मजबूर हो गया ।
–मैंने देखा था । तुम उससे भी बातें कर रहे थे । किस बारे में बात की थी ?
–बताया तो है, मुझे कड़क और जवान औरतें पसन्द हैं । और गाने वाली तो और भी ज्यादा पसन्द है ।
कहकर अजय ने पूछा–क्या इस शहर में किसी आदमी का किसी लड़की से बातें करना जुर्म है ?
–उससे बातें करने के अलावा और कोई इरादा तुम्हारा नहीं है ?
–उसके बारे में और इरादे भी मेरे हो सकते हैं । लेकिन तुम्हें इससे क्या मतलब है ? यह मेरे और उसके बीच का मामला है ।
–मैं उसे अपना मामला भी बना सकता हूँ ।
–क्यों बेकार कबाब में हड्डी बनते हो, मियाँ ?
अजय मखौल उड़ाने जैसे लहजे में बोला ।
–मुझे गुस्सा मत दिलाओ, अजय ।
–मैं तुम्हें कुछ नहीं दिला रहा हूं । और जहां तक गुस्से की बात है वो तो तुम्हारे उस लंगूर की वजह से मुझे आना चाहिए । मैं आराम से बैठा एनज्वाय कर रहा था वह मुझे यहां पकड़ लाया । और अब तुम बेसिर–पैर की सुनाकर खामख्वाह बोर किए जा रहे हो । मैं पूछता हूं, क्यों बिलावजह मेरे गले पड़ रहे हो ?
नफीस अहमद अपने गुस्से पर काबू पाने की कोशिश करता प्रतीत हुआ ।
–मैं बता चुका हूं, यह क्लब ऐसी जगह नहीं है जहां कोई आदमी अकेला आए और अगर आ जाता है तो आने के बाद भी अकेला ही रहे । और कभी ऐसा हो भी जाता है तो फिर ऐसा आदमी एक बार आने के बाद दोबारा नही आता । क्योंकि वह एक ही दफा में समझ चुका होता है कि वह इस जगह के लिए फिट नहीं है । जब तुम लगातार पांच रोज तक यहां आते रहे तो तुम्हारे बारे में पता लगवाना पड़ा । और मालूम हुआ कि तुम विराटनगर से आए 'थंडर' के प्रेस रिपोर्टर हो । अब मैं जानना चाहता हूं, तुम हफ्ते भर से यहां क्यों आ रहे हो ।
–"मैं बता चुका हूं मेरे यहां आने की वजह तुम्हारी सिंगर है ।
–विराटनगर से यहां तुम सिर्फ एक लड़की से मिलने की ख़ातिर आए हो ?
उसे खामाखाह फिक्रमंद पाकर अजय हंस पड़ा ।
–ओह, अब समझा ।
वह उसे डराने के विचार से बोला–तुम कोई गैरकानूनी धंधा करते हो और तुम्हें डर है कि कहीं अपने अखबार के जरिए तुम्हारी पोल खोलने तो मैं यहां नहीं आया हूं ।
–मैं न तो कोई गैरकानूनी धंधा करता हूं । और न ही तुमसे या किसी और से डरता हूं ।
–तो फिर मेरी फिक्र मत करो, नफीस अहमद । मैं यहां सिर्फ छुटिटयां गुज़ारने आया था और कल वापस चला जाऊँगा ।
अजय ने कहा, फिर अचानक उसका स्वर चुनौतीपूर्ण हो गया–लेकिन अगर तुमने मजबूर किया तो यकीन मानो मैं अपना इरादा बदल दूंगा और फिर तुम्हारा पुलंदा बाँधकर ही यहां से लौटुंगा ।
नफीस अहमद ने खोजपूर्ण निगाहों से उसे घूरा ।
–ठीक है ।
अन्त में उसने कहा और अपना हाथ डेस्क के नीचे घुसेड़ दिया ।
अगले ही क्षण बिना कोई आवाज किए दरवाजा खुला और पहलवान ने भीतर झांका ।
–यस बॉस ?
–अजय कुमार को वापस इनकी मेज पर पहुंचा दो और बार मैन को बोल देना आज रात इनके तमाम ड्रिंक्स का हिसाब क्लब के खाते में डाल दे ।
अजय खड़ा हो गया ।
–इस मेहरबानी के लिए शुक्रिया । लेकिन मैं मुफ्तखोरा नहीं हूं । अपने ड्रिंक्स का बिल खुद ही चुका दूंगा ।
उसने कहा और दरवाजे की ओर बढ़ गया ।
–तुमने सुन लिया, राका ?
–यस, बॉस ।
पहलवान बोला ।
–और, अजय, तुम मेरी सिंगर से दूर ही रहना ।
–अच्छा ?
अजय ने पूछा–क्या वह भी तुम्हारी मिल्कियत है ?
–तुमने सुना ! मैंने कहा है, बेला से दूर ही रहना ।
–सुन चुका हूं ।
अजय ने उसे घूरते हुए कहा–और सोच रहा हूं क्या मुझे कल वापस लौटने का अपना इरादा बदलना होगा ।
फिर पलटकर दरवाजे से गुजरता हुआ बोला–आओ, राका पहलवान । मुझे वापस मेरी मेज पर पहुंचा दो ।
राका चुपचाप उसके साथ चल दिया ।
दोनो वापस हाल में पहुंचे । अजय अपनी मेज पर बैठ गया ।
–तुम आज्ञाकारी बच्चे हो, राका ।
वह बोला–अब एक और आज्ञा मानो और फौरन यहाँ से दफा हो जाओ ।
राका ने खा जाने वाले भाव में उसे घूरा लेकिन बिना कुछ बोले चला गया । उसने कोई एक मिनट तक वेटर से बातें की फिर हाल के पृष्ठ भाग में जाकर गायब हो गया ।
वेटर फौरन अजय के पास पहुंचा ।
–एनादर ड्रिंक, सर ।
–यस ।
अजय ने जवाब दिया ।
वेटर उल्टे पैरों वापस लौट गया ।
मुश्किल से मिनट भर बाद ही वह आया और ड्रिंक सर्व कर गया ।
अजय धीरे–धीरे चुस्कियां लेने लगा । लेकिन नफीस अहमद को वह चाहकर भी अपने दिमाग से नहीं निकाल पाया ।
थोड़ी देर बाद बेला पाल स्टेज पर आई और गाना शुरू कर दिया ।
अजय पुनः गीत–संगीत का लुत्फ उठाने की कोशिश करने लगा ।
लगातार तीन गाने सुनाने के बाद बेला स्टेज से उतरी तो अजय भी उठकर उसके पास आ पहुंचा ।
–तीनों गाने लाजवाब थे, मिस पाल ।
वह बोला ।
–थैंक्यू, मिस्टर कुमार ।
–मेरे साथ ड्रिंक लेने का अपना वादा याद है न ?
–जरूर । मैं चेंज करके अभी आती हूँ ।
–जाने से पहले एक बात बता दो ।
अजय ने पूछा–यह नफीस अहमद क्या चीज है ?
बेला ने गौर से उसे देखा ।
–तुम नहीं जानते ?
–नहीं ! मैंने तो यह नाम भी थोड़ी देर पहले ही सुना है ।
–"तुम करीमगंज