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अजीब कहानियाँ
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अजीब कहानियाँ

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About this ebook

इस पुस्तक में जो कहानियाँ टी. सिंह ने प्रस्तुत की हैं उनमें सामाजिक जीवन, परम्पराओं, विकास, पतन और उत्थान, जादू और कला, प्रेम और विश्वासघात से लेकर अन्य बहुत से ऐसे विषयों की प्रस्तुति है जो आपको गहराई तक प्रभावित करेगी।

कुछ कहानियाँ बहुत ही छोटी हैं तो कुछ कहानियाँ किसी लघु उपन्यास की तरह ही हैं, लेकिन हर कहानी में टी. सिंह की अद्भुत लेखन शैली झलकती है। हम उम्मीद करते हैं के आप खुद तो इन कहानियों को पढ़ेंगे ही लेकिन आप अपने बच्चों और छोटे भाई बहनो को भी ये कहानियाँ सुनाएंगे।

हम उम्मीद करते हैं के आप सिर्फ उनको ये कहानियाँ सुनाएंगे ही नहीं, इन कहानियों के माध्यम से आप तक पहुँचाया गया ज्ञान और अलिखित प्रेरणा और प्रेरक तत्वों के बारे में भी बताएँगे। हर कहानी कोई ना कोई शिक्षा देती है अब उस शिक्षा को अपने शब्दों में रखकर औरों तक पहुंचाना आपका काम है!

आईने के कण
जिसने पाप ना किया हो
दिखावा या ढोंग
कैसी परंपरा कैसा रिवाज
घृणित चेहरे
दूसरों की ख़ुशी
ऐसा होता है बाप
हरी चुन्नी
चुप्पी
घरवाली का कर्त्तव्य
ईश्वर का आगमन
पेशा धंधा
चिता पर उपस्थिति
देवता की मानते हैं
उस माँ की कहानी

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateApr 1, 2024
ISBN9798224813865
अजीब कहानियाँ

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    अजीब कहानियाँ - टी सिंह

    आईने के कण

    बहुत पहले की बात है। एक स्थान पर एक बहुत ही दुष्ट जादूगर रहता था। वो इतना क्रूर था के उसको राक्षस ही माना जाता था।

    वो अक्सर लोगों को बहुत दुःख देता था और उनको हमेशा ही तंग करता था। उसको ऐसा करते हुए बहुत ही आनंद प्राप्त होता था।

    एक दिन उसने एक जादुई आइना तैयार किया। उस आईने में देखने पर सुन्दर से सुन्दर चीज या चेहरा बहुत ही बदसूरत और भद्दा दिखाई देता था। इसके विपरीत उसी आईने में बदसूरत और भद्दी चीजें बहुत ही खूबसूरत दिखती थी।

    जैसे ही कोई सुन्दर इंसान उस आईने में अपना चेहरा देखता था वो बहुत ही भद्दा दिखाई देता था। देखने वाले इंसान की शकल बहुत ही बुरी तरह से विकृत दिखाई देती थी: कभी आईने में दिख रहे रूप का सर गायब होता था तो कभी पेट का हिस्सा गायब दिखता था। आईने में हाथ पाँव भी मुड़े टुडे और भद्दे दिखते थे। लोग उस आईने में ऐसे दिखते थे के उनको कोई पहचान ही ना सके।

    ये सबकुछ देखकर वो जादूगर बहुत खुश होता था लेकिन उसकी हंसी दुष्ट होती थी।

    उस जादूगर के बहुत से शिष्य भी थे और वो सभी एक से एक बढ़कर दुष्ट थे। वो सभी शिष्य उस आईने के लोगों को दिखाते थे और उनके बिगड़े हुए चेहरों को आईने में देखकर बहुत हँसते थे और लोगों को बहुत चिढ़ाया करते थे।

    एक बार उस जादूगर के शिष्यों ने एक नयी चाल के बारे में सोचा। वो शिष्य जानते थे के देवतागण और स्वर्ग की अप्सराएं इत्यादि खुद को बहुत ही सुन्दर मानते थे। जादूगर के शिष्यों ने उन देवताओं और अप्सराओं को वो आइना दिखाने की सोची।

    जादूगर के शिष्य उस आईने को लेकर ऊपर आसमान में उड़ चले। वो ऊपर और उपर उड़ते गए। आखिर वो इतनी ऊंचाई पर पहुँच गए के एक जगह पर वो आइना एक शिष्य के हाथ से छूट गया और वापिस जमीन पर आ गिरा।

    इतनी ऊंचाई से गिरने के कारण उस आईने के बहुत ही छोटे छोटे टुकड़े हो गए। वो आईने के बहुत ही छोटे छोटे टुकड़े हवा में उड़ने लगे। आईने के टुकड़े धूल के कणो के जितने छोटे हो गए थे।

    वो आईने के कण कुछ लोगों की आँखों में भी घुस गए। अब उन लोगों को दुनिया की हर चीज बुरी दिखने लगी। उस आईने के कण कुछ लोगों के अंदर तक घुस गए और इंसानो के दिल में जाकर बैठ गए। ये तो और भी बुरा हुआ था।

    लोगों के दिलों से प्रेम, दया, माया, ममता, सब गायब हो गए और लोगों के दिल कठोर हो गए। लोगों के दिल बर्फ की तरह ठन्डे और कड़े हो गए।

    उस टूटे के जो टुकड़े कुछ बड़े थे उन टुकड़ों को कुछ लोगों ने उठा लिया

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