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यूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध)
यूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध)
यूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध)
Ebook51 pages23 minutes

यूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध)

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About this ebook

याद
झील वाली लड़की
उन चार महीनो के बाद
फिर से सामान्य
वो वास्तव में ही थी
और फिर वो सुन्दर दिन

उसको घर के लोगों ने एक रेस्टोरेंट में एक लड़की से मिलने भेजा था। उसने ना तो उस लड़की की कोई तस्वीर ही देखी थी और ना ही उससे कभी मिला था। उसको तो बस यही कहा गया था के वो उस रेस्टोरेंट में जाकर उसका इंतजार करे और वो लड़की खुद ही उसके मेज के पास आ जाएगी!

जब उसने उस लड़की को देखा तो उसके होश ही उड़ गए लेकिन अंदर ही अंदर वो खुश भी हो गया था क्योंकि वो एक ऐसी लड़की थी जिसको झील के किनारे के लोग भूतनी कहते थे और उसे देखने से डरते थे, लेकिन उस दिन जब रेस्टोरेंट में राज खुले तो सब कुछ आसान और साफ़ हो गया।

ये एक ऐसी कहानी है जो सामान्य कहानियों से काफी हट कर लिखी गयी है और ये आपको जरूर ही कुछ नए प्रकार के अनुभव देगी।

शुभकामना

सुनयना कुमार

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateNov 1, 2022
ISBN9781005683610
यूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध)

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    यूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध) - सुनयना कुमार

    दो शब्द

    उसको घर के लोगों ने एक रेस्टोरेंट में एक लड़की से मिलने भेजा था। उसने ना तो उस लड़की की कोई तस्वीर ही देखी थी और ना ही उससे कभी मिला था। उसको तो बस यही कहा गया था के वो उस रेस्टोरेंट में जाकर उसका इंतजार करे और वो लड़की खुद ही उसके मेज के पास आ जाएगी!

    जब उसने उस लड़की को देखा तो उसके होश ही उड़ गए लेकिन अंदर ही अंदर वो खुश भी हो गया था क्योंकि वो एक ऐसी लड़की थी जिसको झील के किनारे के लोग भूतनी कहते थे और उसे देखने से डरते थे, लेकिन उस दिन जब रेस्टोरेंट में राज खुले तो सब कुछ आसान और साफ़ हो गया।

    ये एक ऐसी कहानी है जो सामान्य कहानियों से काफी हट कर लिखी गयी है और ये आपको जरूर ही कुछ नए प्रकार के अनुभव देगी।

    शुभकामना

    सुनयना कुमार

    Chapter 2

    वो कल्पना थी

    तुम, यहां…? मैं हतप्रभ रह गया! उस इंसान का असंभव अविस्मरणीय चेहरा मेरी आंखों के सामने चमक उठा। मैं उसको इतने वर्षो के बाद देख रहा था लेकिन मैंने उसको अपनी कल्पना में हमेशा ही ज़िंदा रखा था और कभी भी भूल नहीं पाया था।

    उस दिन उस जगह पर उसको देखकर मेरा हैरान होना स्वाभाविक ही था क्योंकि ऐसा भी हो सकता था की तो मैंने कभी कल्पना तक नहीं की थी। कुछ सेकंड के लिए मुझे नहीं पता था कि मैं कल्पना कर रहा था या जो कुछ हो रहा था वो वास्तविक था।

    हाँ, मैं हूँ...मैं ही हूँ... क्या यकीन नहीं हो रहा है तुमको? उसने उतनी ही शांति से कहा जितना मैं उसके बारे में तब से जानता था जब हम एक दूसरे के काफी करीब थे।

    मैं उस दिन ब्लाइंड डेट (बिना देखे किसी लड़की या लड़के से मुलाकात करना) पर था।

    मुझे मेरी मम्मी ने जबरदस्ती उस लड़की से मिलने भेजा था उस रेस्टोरेंट में हालाँकि मैं किसी

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