एक थी माया
()
About this ebook
मैं भागते हुए मंदिर के बाहर आया और दूर अँधेरे में माया को खोजने की नाकाम कोशिश की ...पर वक़्त और माया, दोनों ही रेत की तरह हाथ से निकल गए थे ................!
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
Read more from वर्जिन साहित्यपीठ
श्रीरामचरितमानस: एक वृहद विश्लेषण Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रेम प्रसून (काव्य संग्रह) Rating: 5 out of 5 stars5/5कड़वे सच Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक दिन सभी स्त्रियाँ नग्न हो जाएंगी Rating: 4 out of 5 stars4/5बड़ी उम्र की स्त्रियों का प्रेम Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsचिंगारियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगाज Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsआप मैं और शैडो Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमैं और मेरे एहसास (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबिक रही हैं बेटियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsनाही है कोई ठिकाना (कहानी) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसब तुम्हारा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsघमंडी सियार व अन्य कहानियाँ (बालकथा संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलोकतंत्र और रेलगाड़ी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsयहाँ सलाह मुफ्त में मिलती है Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsवर्जिन: काव्य संग्रह Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमानवीय संवेदना की धुरी पर एक खोया हुआ आदमी (लघुकथा संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअनुभूतियाँ (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअपनी-अपनी व्यथा (लघुकथा संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsव्यथा मेरी? (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमैं अद्वितीय हूँ (कविता संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमेरी कलम रो रही है (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलघुकथा मंजूषा 3 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभकोल (कहानी) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्य मञ्जूषा (काव्य संकलन) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबच्चे सोचते हैं (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsथोड़ा सा पानी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगुलदस्ता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानियों में बचपन Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related to एक थी माया
Related ebooks
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 7) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsDo Lafzon ki kahani Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअसमंजित अतृप्ता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 34) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 21) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानियाँ सबके लिए (भाग 10) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsरहस्य और रोमांच Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलघुकथा मंजूषा 4 Rating: 4 out of 5 stars4/5अनिश्चितता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकचरा बीनने वाला (एक प्रेम कथा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsएक अजनबी के साथ सात दिन (प्रेम कहानियाँ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsछोटी कहानियाँ बड़ों के लिए Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsतुम्हारी कमी है, माँ (उपन्यास) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमेरी पाँच कहानियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsGreat Love Story Rating: 1 out of 5 stars1/5यूँ हुई शादी (प्रेम और सम्बन्ध) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsआत्म तृप्ति Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 44) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगुदगुदाते पल (कहानी संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsपूरब और पश्चिम Rating: 5 out of 5 stars5/5अनकही बातें: Fiction, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 17) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21 Shreshth Lok Kathayein : Uttar Pradesh (21 श्रेष्ठ लोक कथाएं : उत्तर प्रदेश) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsGora - (गोरा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकब सुधरोगे तुम...?: एक नया राज: झिलमिलाती गलियाँ, #3 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 10) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानियाँ सबके लिए (भाग 7) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानियाँ सबके लिए (भाग 8) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsDhhai Centimeter Emotionally Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSUPERHIT JOKES Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for एक थी माया
0 ratings0 reviews
Book preview
एक थी माया - वर्जिन साहित्यपीठ
प्रकाशक
वर्जिन साहित्यपीठ
78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,
नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रथम संस्करण मार्च 2018
ISBN
कॉपीराइट © 2018
वर्जिन साहित्यपीठ
कॉपीराइट
इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता।
एक थी माया
(कहानी)
लेखक
विजय कुमार सप्पत्ति
संपादन
वृषाली गोटखिंडीकर एवं ललित मिश्र
वर्जिन साहित्यपीठ
विजय कुमार सप्पत्ति
मोबाइल: 09849746500
ईमेल: vksappatti@gmail.com
सम्प्रति: चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर
मैं सर झुकाकर उस वक़्त बिक्री का हिसाब लिख रहा था कि उसकी धीमी आवाज सुनाई दी, अभय, खाना खा लो
। मैंने सर उठाकर उसकी तरफ देखा। मैंने उससे कहा, माया, मैं आज डिब्बा नहीं लाया।
दरअसल सच तो यही था कि मेरे घर में उस दिन खाना नहीं बना था। गरीबी का वो ऐसा दौर था कि बस कुछ पूछो मत। वह मेरे पढने का वक़्त था, इसलिए मैं उस मेडिकल शॉप में सेल्समेन का काम करता था।
वह सामने खड़ी