Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

नाही है कोई ठिकाना (कहानी)
नाही है कोई ठिकाना (कहानी)
नाही है कोई ठिकाना (कहानी)
Ebook36 pages19 minutes

नाही है कोई ठिकाना (कहानी)

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

छोटकू बाबू साहेब कब से चटोरी के बाबा केसर से पता नहीं का खुसर - फुसर कर रहे थे कि चटोरी की माई लाजवंती एकदम बेचैन हुए आंगन से ओसारी और ओसारी से आंगन कर रही थी। लगा कि उसके पेट में मरोड़ होने लगी। चापाकल से टूटहिया प्लास्टिक की बाल्टी में पानी भर कर चली गई, घर के पिछूती!
वहां से आने के बाद भी वह हल्की नहीं हुई। माटी से हाथ मांज और हाथ - पैर धो फिर ओसारी में आई।
देखा, अब छोटकू बाबू साहेब खटिया से उठे हैं और हाथ जोड़कर बोले हैं, ‘‘भैया, हमारे घर में चिराग जलाना अब आपके ही हाथ में है। सही फैसला करिएगा। हमारे बाप - भाई के किये अहसान का बदला समझ के चुका देना।’’

छोटकू बाबू साहेब कब से चटोरी के बाबा केसर से पता नहीं का खुसर - फुसर कर रहे थे कि चटोरी की माई लाजवंती एकदम बेचैन हुए आंगन से ओसारी और ओसारी से आंगन कर रही थी। लगा कि उसके पेट में मरोड़ होने लगी। चापाकल से टूटहिया प्लास्टिक की बाल्टी में पानी भर कर चली गई, घर के पिछूती!
वहां से आने के बाद भी वह हल्की नहीं हुई। माटी से हाथ मांज और हाथ - पैर धो फिर ओसारी में आई।
देखा, अब छोटकू बाबू साहेब खटिया से उठे हैं और हाथ जोड़कर बोले हैं, ‘‘भैया, हमारे घर में चिराग जलाना अब आपके ही हाथ में है। सही फैसला करिएगा। हमारे बाप - भाई के किये अहसान का बदला समझ के चुका देना।’’

Languageहिन्दी
Release dateMay 17, 2018
ISBN9780463441282
नाही है कोई ठिकाना (कहानी)
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

Read more from वर्जिन साहित्यपीठ

Related to नाही है कोई ठिकाना (कहानी)

Related ebooks

Reviews for नाही है कोई ठिकाना (कहानी)

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    नाही है कोई ठिकाना (कहानी) - वर्जिन साहित्यपीठ

    cbook_preview_excerpt.htmlWjW~sÚJU`B]oz'(-&1Iz/Jp/ZE"$/9I}fٳl:g~ff 1:5otn=/߳O<~HB +aFNėqw cOɀV裈^ĥV9Sbt ݪVvpÂUNHk$ݫzs̞C"@c>r_l҅XjgFTZTzp YyGITbW ǙGhb"HPrO\縴&~ibn@ }rͣ R uQIp&rr($h=ǘ+Ғ  VW9 ly.T/,L1*Gc- )A);xQRm@1[zpFDܣ !̀CfiгV2d5Cp2oaS]?8brUλ0ey 'O h՚zh7#j4l;;ƀLeyw{=|'*s{G 3G 9Fk/BrQ/BWᤙI8;ҺH'RnD +WG*Ma,bٕknvQo6Vs!yVo}mm,FHS(N %~6S7og!w"tN/Tz*P11 ߼Dv=*m"l Zn=(`a.E0U{Zp):OXNT^Jv~$ 8 :QNެ1c7 +Z%6;&Egrb|dv8#4$fXxjC!5#?gneƯ`iγ@0 z2/C[R"&әo)F!PkVl{[a57LdZpooՃIIbH6v]DkwehGFn3&74ge=ϕٗaACS#w'_=rrRgJx0 ; W\@i!*wˢt-8lc ^N
    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1