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मैं और मेरे एहसास (काव्य संग्रह)
मैं और मेरे एहसास (काव्य संग्रह)
मैं और मेरे एहसास (काव्य संग्रह)
Ebook97 pages27 minutes

मैं और मेरे एहसास (काव्य संग्रह)

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About this ebook

सबसे पहले मैं मेरा यह काव्य संग्रह “मैं और मेरे एहसास” के लिए श्रीमती सबा खान जी (भोपाल) का दिल से बहुत आभारी हूँ! सबा खान जी खुद लेखिका हैं...नौकरी भी करतीं हैं...बच्चों और पिछड़ी जातियों के लिये भी काम करती हैं...इतनी सारी व्यस्तता के बावजूद भी इस काव्य संग्रह के लिये इसकी ई फाइल तैयार करने में सबा खान जी ने खुशी खुशी मेरी बहुत ही मदद की है
मेरे परम मित्र श्री अशोक कटेसीया जी (मेरे कालेज के मित्र) और श्री रामजी भाई गोहिल जी (मेरे बचपन के मित्र), जिन्होंने मेरी जिन्दगी के हर मुश्किल वक्त में मेरा तन, मन और धन से साथ निभाया। मुझे संभाला। उसके लिए मैं उन दोनों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ!
सबसे पहले मैं मेरा यह काव्य संग्रह “मैं और मेरे एहसास” के लिए श्रीमती सबा खान जी (भोपाल) का दिल से बहुत आभारी हूँ! सबा खान जी खुद लेखिका हैं...नौकरी भी करतीं हैं...बच्चों और पिछड़ी जातियों के लिये भी काम करती हैं...इतनी सारी व्यस्तता के बावजूद भी इस काव्य संग्रह के लिये इसकी ई फाइल तैयार करने में सबा खान जी ने खुशी खुशी मेरी बहुत ही मदद की है
मेरे परम मित्र श्री अशोक कटेसीया जी (मेरे कालेज के मित्र) और श्री रामजी भाई गोहिल जी (मेरे बचपन के मित्र), जिन्होंने मेरी जिन्दगी के हर मुश्किल वक्त में मेरा तन, मन और धन से साथ निभाया। मुझे संभाला। उसके लिए मैं उन दोनों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ!

Languageहिन्दी
Release dateMay 10, 2018
ISBN9780463440339
मैं और मेरे एहसास (काव्य संग्रह)
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

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    मैं और मेरे एहसास (काव्य संग्रह) - वर्जिन साहित्यपीठ

    प्रकाशक

    वर्जिन साहित्यपीठ

    78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,

    नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043

    सर्वाधिकार सुरक्षित

    प्रथम संस्करण - मई 2018

    ISBN

    कॉपीराइट © 2018

    वर्जिन साहित्यपीठ

    कॉपीराइट

    इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता।

    मैं और मेरे एहसास

    (काव्य संग्रह)

    लेखक

    रमेश संघवी

    रमेशकुमार मनमोहनदास संघव

    98241 64623 rmsanghavi131@gmail.com

    पेशा:- रिटायर्ड कर्मचारी, बैंक ओफ बड़ौदा

    पता:- ऋषिकेश, सांई सोसाइटी, ब्लॉक नंबर 1, मणीनगर, अमरेली 365601 (गुजरात)

    सादर आभार

    सबसे पहले मैं मेरा यह काव्य संग्रह मैं और मेरे एहसास के लिए श्रीमती सबा खान जी (भोपाल) का दिल से बहुत आभारी हूँ! सबा खान जी खुद लेखिका हैं…नौकरी भी करतीं हैं…बच्चों और पिछड़ी जातियों के लिये भी काम करती हैं…इतनी सारी व्यस्तता के बावजूद भी इस काव्य संग्रह के लिये इसकी ई फाइल तैयार करने में सबा खान जी ने खुशी खुशी मेरी बहुत ही मदद की है

    मेरे परम मित्र श्री अशोक कटेसीया जी (मेरे कालेज के मित्र) और श्री रामजी भाई गोहिल जी (मेरे बचपन के मित्र), जिन्होंने मेरी जिन्दगी के हर मुश्किल वक्त में मेरा तन, मन और धन से साथ निभाया। मुझे संभाला। उसके लिए मैं उन दोनों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ!

    मेरे परम मित्र श्री रोहित भाई जीवाणी जी, जो बहुत ही विद्वान ज्योतिषी है, वास्तु शास्त्री है, अच्छे कवि भी है, जिन्होंने समय समय पर मेरा मार्गदर्शन किया है, उनका भी दिल से आभार व्यक्त करता हूँ !

    मेरे सारे फेसबुक मित्रों का भी दिल से आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने मेरी रचनाओं को सराहा। उनकी सराहना के कारण ही मैं गुजराती होने के बावजूद भी हिंदी में इतनी रचनाएँ कर पाया!

    गज़ल

    1.

    कहाँ है ठिकाना, कहाँ ढ़ूँढ़तें हैं !

    दिलों में चलो अब खुदा ढ़ूँढ़ते है !

    नहीं कोई यूँ ही सिसकता, सहमता,

    दिलों

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