इक मधुशाला और
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About this ebook
खगोलशास्त्र के तारों की तरह, कवितायें भी हमारे जीवन की गहराइयों को छूने का सामर्थ्य रखती है। "इक मधुशाला और" एक ऐसी यात्रा का परिणाम है, जिसमें कवि ने अपने शब्दों के माध्यम से जीवन के सभी पहलुओं को छूने का प्रयास किया है। यह संग्रह विभिन्न भावनाओं का संगम है - प्रेम की मिठास, दर्द की गहराइयाँ, खुशी की अच्छाइयाँ, और मन के भीतर छिपी अनगिनत आवाज़ें। कवि की भावनाओं का यह संग्रह आपके हृदय को प्रफुल्लित कर देगा। जब शब्दों की खोज में कवि ने अपनी भावनाओं को रूप दिया, तो उनकी कविताएँ एक नए संवाद की मिसाल बन गई। यह संग्रह विचारों की गहराइयों में जा कर आपको एक नये दृष्टिकोण से जीवन को देखने का अनुभव देगा।
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Book preview
इक मधुशाला और - Pankaj Sharma
पंकज शर्मा
शीर्षक: इक मधुशाला और
लेखक: पंकज शर्मा
प्रकाशक: संज्ञान (थिंक टैंक बुक्स का उपक्रम)
पता: आर जेड २६/२७बी, अशोक पार्क, वेस्ट सागरपुर, नई दिल्ली - ११००४६
वेबसाइट: thinktankbooks.com
ईमेल: editorial@thinktankbooks.com
पंकज शर्मा इस पुस्तक के लेखक होने के मौलिक अधिकार का दावा करते हैं।
कॉपीराइट © २०२३ पंकज शर्मा
सर्वाधिकार सुरक्षित।
।SBN: 978-93-91607-03-6
मूल्य: २५० रूपए / ।NR 250
इस पुस्तक का अधिकतम खुदरा मूल्य केवल भारतीय उपमहाद्वीप के लिए है।
विक्रय मूल्य कहीं और भिन्न हो सकते हैं।
१ २ ३ ४ ५
सर्वप्रथम माँ शारदे, मेरा नमन स्वीकार हो ।
माँ ज्ञान की गंगा बहे, कवि रत्नों का सम्मान हो ।
अनुपम छटा हो माँ तेरी, संग वीणा की झंकार हो ।
चरणों में पंकज बन रहूँ, माँ यही तेरा वरदान हो ।
दो शब्द
कविता लिखना मेरे लिए एक अद्वितीय संवाद का माध्यम है, जिसके द्वारा मैं आपके साथ अपने मन की गहराइयों तक पहुँच पाता हूँ। कभी-कभी, शब्दों के जादू से मुक्त होकर, मैं भी अपनी कविताओं के प्रति नया दृष्टिकोण पा लेता हूँ। मेरी शब्दों की धारा आप तक पहुँचाने का यह माध्यम है, जिसके माध्यम से मैं अपनी भावनाओं, विचारों और सपनों को आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ।
इक मधुशाला और
मेरी भावनाओं का परिणाम है, जो मैंने अपनी जीवन यात्रा के दौरान अनुभव किए हैं। जीवन के हर पल में छिपी एक खासी बात होती है, और मैंने उन छिपी हुई बातों को अपनी कविताओं के माध्यम से निकालने का प्रयास किया है। जीवन के सफर में, हम सभी बदलावों का सामना करते हैं - प्यार, दुख, खुशी, संघर्ष, और भी बहुत कुछ। मेरी कविताएँ इन भावनाओं को छूने का प्रयास करती हैं और आपके हृदय में एक विशेष स्थान पाने की आकांक्षा रखती हैं।
मैं आशा करता हूँ कि यह कविताएँ आपके हृदय की सर्वोत्तम तरंगों को छूने में सफल हो पाएं। यदि यह संग्रह आपके जीवन को रंगत दे, तो मेरी प्रार्थना सफल समझी जाएगी।
धन्यवाद,
पंकज शर्मा
है छोटा सा मुकाम अपना,
बड़ा संगदिल जमाना है,
अगर देखो नज़ाक़त से,
मेरा दिल इक खज़ाना है ।
पिता को समर्पित
वो जो शख्स शाहकार-ए-अज़ीम था,
दुनिया में नज़र-ए-नसीब था,
गंधर्व (देवता) था इंसा नहीं,
यक़ीनन खुदा के करीब था,
वो जो शख्स शाहकार-ए-अज़ीम था ।
वो ज़र्रा है आफ़ताब भी,
वो प्यारा है महताब भी,
है उसकी वज़्म में सबकुछ,
वो हकीकत है और नायाब भी,
हद से ज्यादा सख्त है,
क्या करूँ... है बाप भी ।
इश्क़ किया और भूली नज़ाक़त,
प्यार किया और भूला रवायत,
फ़क़त इक हुस्न-ए-तब्बसुम के लिए,
भूल बैठा हूँ अदावत, इबादत, क़यामत,
क्यूँ न हो अब मेरी हज़ामत ।
परिचय
आज तेरे शहर में इक सिरफिरा,
प्यार का मारा हुआ और दिलजला,
पेश-ए-खिदमत करता है अपनी सादगी,
तुम मुझे अपना समझना दोस्तों,
अर्ज़ करता आपसे यह अजनबी ।
यूँ तो यहाँ इस वज़्म में, बैठे सभी गुलफाम है,
हम है पर फिर भी नहीं है,
गुम है और गुमनाम है,
आज के इस वज़्म में,
बैठे सभी गुलफाम है ।
आज के इस वज़्म में,
बैठे हुए कई नाम है,
वो अर्श है, मैं फर्श हूँ,
अदना सा इक मासूम सा,
नाचीज़ हूँ, नाकाम हूँ, ‘पंकज’ फकत इक नाम हूँ ।
तुझे देखा तो मेरे ज़हन में कुछ आया तो,
फलक पर पाँव रख चला करो, ये मश्वरा लो,
गुनाह होगा न कोई गर ज़मी पे देखना चाहो,
पर देखने से पहले तुझे मेरा पता तो हो ।
तोहफा
दूँ तोहफा आंसुओं का यार रख लो,
दिया हो न किसी ने जो अब तक,
वो तोहफा यार रख लो ।
कभी दर्द-ए-जिगर हो तो कभी गर्दिश में हों तारे,
यह तोहफा रौनकें बन कर किसी दिन काम आएगा,
दूँ तोहफा आंसुओं का यार रख लो ।
कभी कहते थे वो मुझसे,
कि मेरा जन्मदिन कल है ।
तभी मैंने कहा उनसे क़बूलो
यह मेरा तोहफा किसी दिन काम आएगा,
बहेंगे आँखों से आंसू तो मेरा नाम आएगा ।
दूँ तोहफा