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Hakikat Se Nok Jhok
Hakikat Se Nok Jhok
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Ebook117 pages23 minutes

Hakikat Se Nok Jhok

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हकीकत से नोक-झोंक' ये जिंदगी की कड़वी हकीकत से वाक़िफ़ करवाती है और आपको उन हकीकत को स्वीकार कर जिंदगी के अगले पड़ाव पर जाने के लिए प्रेरित करती है।

Languageहिन्दी
Release dateMar 8, 2022
ISBN9798201362263
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    Hakikat Se Nok Jhok - Sonali Gupta

    अस्वीकरण

    इस पुस्तक में लिखी गई कविताएँ एवं शायरी केवल लेखक की हैं। यदि कोई साहित्यिक चोरी पाई जाती है, तो प्रकाशन उस के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।

    अनुक्रमणिका

    ––––––––

    कविताएँ

    कुछ बातें

    लेखक परिचय

    अभिस्वीकृति

    कविताएँ

    सपने

    कल रात मैंने एक सपना देखा,

    उस सपने में था मेरा एक और सपना,

    उस सपने में थी मेरी एक गुड़िया,

    वो गुड़िया थी जादुई... करती थी वो जादू,

    फिर से आ गया एक और सपना,

    जिसमें था मेरा गुड्डा...

    करता था वो कॉमेडी...

    जिससे होती थी हसीन ज़िन्दगी,

    फिर आया एक और सपना,

    उस सपने में हो गयी,

    गुड्डा गुड़िया की शादी...

    फिर क्या...हो गयी उनकी बर्बादी,

    यह सपना टूटा, हम इस कदर रूठें,

    वो सपना ना था...थी वो हकीकत,

    वो शादी थी मेरी,

    जो कर रही थी मेरी बर्बादी।

    दो पल

    वो पल अजीब था जिस पल में तुम थे,

    ये पल अजीब है जिस पल में हम है,

    वो पल खुशियों के साथ नाराज़गी भी थी,

    इस पल सिर्फ खुशियाँ ही खुशियाँ है,

    वो पल में थी थोड़ी नादानी,

    इस पल में बहुत सारी समझदारी,

    वो पल में था प्यार, थोड़ी सी तकरार,

    इस पल में है खुद के सपनों से प्यार,

    इस तरह वो पल इस पल करते हुए,

    हो गया ज़िंदगी का आखिरी पल,

    जिसमें उदासी है, ख़ामोशी है,

    और सिर्फ तन्हाई ही तन्हाई है।

    मजदूर

    जो लफ़्ज़ों से बयां हो जाए उसका मोल नहीं,

    जो आँसुओं से बयां हो जाए उसका तोल नहीं।

    वो दुनिया ही क्या जिसमें कोई झोल नहीं,

    वो महफ़िल ही क्या जिसमें शोर नहीं।

    खपकर जिसने बहाया खून पसीना,

    उसकी झोली खाली है।

    आँखों में आँसू और दिल में दर्द छुपे,

    उस मजदूर का कोई बोल नहीं।

    जो जिन्दा है वो भूका है,

    जो मर गया उसपर मेवा है।

    नफ़रत है उसके जीने पर,

    प्रेम आया उसके मरने पर।

    इस अतरंगी दुनिया में प्यासे को भोजन,

    और भूके को पानी पिलाया जाता है,

    धनी को इज़्ज़त,

    और गरीब को धिक्कारा जाता है।

    तुच्छ है लोग जो समझते नहीं प्रेम की बोली,

    ये मानव नहीं सिर्फ नाम की है एक मात्र गोली।

    अर्पण

    ठहर सा गया था दिल,

    जब खबर सुनी तेरे जाने की,

    आखिर एक सितारा चला गया,

    एक हौसलों का किनारा चला गया,

    तेरी यादों को हम रखेंगे इस दिल में,

    तुझे

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