चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ
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"चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ " अपने नाम की तरह ही, चंद पंक्तियों में बयान है। हर लेखक/ लेखिका ने अपनी दास्ताँ को चंद शब्दों में, शायरी के रूप में प्रस्तुत किया है। कहीं प्यार तो कहीं नफरत, कहीं ख़ुशी तो कहीं ग़म, हर एहसास कैद है, चंद लफ़्ज़ों में।
किस्से हुए, कहानियां हुई,
लेख लिखे गए, कविताएं रची गई,
पर कुछ अलग ही है नशा, उस दास्ताँ का
जो चंद लफ़्ज़ों में बयान हुई
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चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ - Komal Dadhwal
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किताब के बारे में
चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ
अपने नाम की तरह ही, चंद पंक्तियों में बयान है। हर लेखक/ लेखिका ने अपनी दास्ताँ को चंद शब्दों में, शायरी के रूप में प्रस्तुत किया है। कहीं प्यार तो कहीं नफरत, कहीं ख़ुशी तो कहीं ग़म, हर एहसास कैद है, चंद लफ़्ज़ों में।
किस्से हुए, कहानियां हुई,
लेख लिखे गए, कविताएं रची गई,
पर कुछ अलग ही है नशा, उस दास्ताँ का
जो चंद लफ़्ज़ों में बयान हुई