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चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ
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चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ
Ebook35 pages13 minutes

चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ

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About this ebook

"चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ " अपने नाम की तरह ही, चंद पंक्तियों में बयान है। हर लेखक/ लेखिका ने अपनी दास्ताँ को चंद शब्दों में, शायरी के रूप में प्रस्तुत किया है। कहीं प्यार तो कहीं नफरत, कहीं ख़ुशी तो कहीं ग़म, हर एहसास कैद है, चंद लफ़्ज़ों में। 

            

किस्से हुए, कहानियां हुई,

लेख लिखे गए, कविताएं रची गई,

पर कुछ अलग ही है नशा, उस दास्ताँ का

जो चंद लफ़्ज़ों में बयान हुई

 

Languageहिन्दी
Release dateSep 4, 2020
ISBN9781393916185
चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ

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    चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ - Komal Dadhwal

    अस्वीकरण

    यह साहित्य का काम है और केवल लेखों के संबंधित लेखकों के विचारों का प्रतिनिधित्व करता है। हमारे संपादकों ने सभी लेखकों के लेखों को संपादित करने और साहित्यिक चोरी की जांच करने की पूरी कोशिश की है। इस पुस्तक के सभी लेख अद्वितीय हैं और केवल इस पुस्तक में प्रकाशित हैं। यदि कोई साहित्यिक चोरी या त्रुटि पाई जाती है, तो केवल लेखक ही जिम्मेदार होगा, प्रकाशक नहीं।

    किताब के बारे में

    चंद लफ़्ज़ों की दास्ताँ अपने नाम की तरह ही, चंद पंक्तियों में बयान है। हर लेखक/ लेखिका ने अपनी दास्ताँ को चंद शब्दों में, शायरी के रूप में प्रस्तुत किया है। कहीं प्यार तो कहीं नफरत, कहीं ख़ुशी तो कहीं ग़म, हर एहसास कैद है, चंद लफ़्ज़ों में। 

    किस्से हुए, कहानियां हुई,

    लेख लिखे गए, कविताएं रची गई,

    पर कुछ अलग ही है नशा, उस दास्ताँ का

    जो चंद लफ़्ज़ों में बयान हुई

    लहू न हो तो कलम तर्जुमां नहीं होता

    हमारे दौर में आंसू जवां नहीं होता।

    वसीम सदियों की आंखों से देखिए मुझको

    वो लफ्ज हूं जो कभी दास्तां नहीं

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