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Ganesh Stuti by Nazeer Akbarabadi गणेश स्तुति (नज़ीर अकबराबादी)

Ganesh Stuti by Nazeer Akbarabadi गणेश स्तुति (नज़ीर अकबराबादी)

FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers


Ganesh Stuti by Nazeer Akbarabadi गणेश स्तुति (नज़ीर अकबराबादी)

FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers

ratings:
Length:
11 minutes
Released:
Jul 21, 2022
Format:
Podcast episode

Description

Ganesh Stuti by Nazeer Akbarabadi नज़ीर अकबराबादी: गणेश जी की स्तुति

अव्वल तो दिल में कीजिए पूजन गनेश जी।
स्तुति भी फिर बखानिए धन-धन गनेश जी।
भक्तों को अपने देते हैं दर्शन गनेश जी।
वरदान बख़्शते हैं जो देवन गनेश जी।
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥1॥

माथे पै अर्द्ध चन्द्र की शोभा, मैं क्या कहूं।
उपमा नहीं बने है मैं चुपका ही हो रहूं।
उस छवि को देख देख के आनन्द सुख लहूं।
लैलो निहार दिल में सदा अपने वो जपूं।
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥2॥

इक दन्त को जो देखा किया खू़ब है बहार।
इस पै हज़ार चन्द की शोभा को डालूँ वार।
इनके गुणानुवाद का है कुछ नहीं शुमार।
हर वक्त दिल में आता है अपने यही विचार।
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥3॥

गजमुख को देख होता है सुख उर में आन-आन।
दिल शाद-शाद होता है मैं क्या करूं बखान।
इल्मो हुनर में एक हैं और बुद्धि के निधान।
सब काम छोड़ प्यारे रख मन में यही आन।
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥4॥

क्या छोटे-छोटे हाथ हैं चारों भले-भले।
चारों में चार हैं जो पदारथ खरे-खरे।
देते हैं अपने दासों को जो हैं बड़े-बड़ेI
अलबत्ता अपनी मेहर यह सब पर करें-करें।
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥5॥

इक दस्त में तो हैगा यह सुमिरन बहार दार?
और दूसरे में फर्सी अजब क्या है उसकी धार?
तीजे में कंज चौथे कर में हैं लिए अहार?
मत सोच दिल में और तू ऐ यार बार-बार॥
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥6॥

अच्छे विशाल नैन हैं और तोंद है बड़ी।
हाथों को जोड़ सरस्वती हैं सामने खड़ी॥
होवे असान पल में ही मुश्किल है जो अड़ी।
फल पावने की इनसे तो है भी यही घड़ी॥
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥7॥

मूसा सवारी को है अजब ख़ूब बेनजीर।
क्या खूब कान पंजे हैं और दुम है दिल पजीर॥
खाते हैं मोती चूर कि चंचल बड़ा शरीर।
दुख दर्द को हरे हैं तो दिल को बधावें धीर॥
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥8॥

घी में मिला के कोई जो चढ़ाता है आ सिन्दूर।
सब पाप उसके डालता कर दम के बीच चूर॥
फूल और विरंच शीश पै दीपक को रख कपूर।
जो मन में होवे इच्छा तो फिर क्या है उससे दूर॥
हर आन ध्यान औ' सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि और अन-धन गनेश जी॥9॥

जुन्नार है गले में एक नाग जो काला।
फूलों के हार डहडहे और मोती की माला॥
वह हैंगे अजब आन से शिव गौरी के लाला।
सुर नर मुनि भी कहते हैं वो दीन दयाला॥
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥10॥

सनकादि सूर्य चन्द्र खड़े आरती करें।
और शेषनाग गंध की ले धूप को धरें॥
नारद बजावें बीन चँवर इन्द्र ले ढरें।
चारों बदन से स्तुति ब्रह्मा जी उच्चरें॥
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥11।

जंगम अतीत जोगी जती ध्यान लगावें।
सुर नर मुनीश सिद्ध सदा सिद्धि को पावें॥
और संत सुजन चरन की रज शीश चढ़ावें।
वेदों पुरान ग्रंथ जो गुन गाय सुनावें॥
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥12॥

जो जो शरन में आया है कीन्हा उसे सनाथ।
भव सिन्धु से उतारा है दम में पकड़ के हाथ।
यह दिल में ठान अपने और छोड़ सबका साथ।
तू भी ‘नज़ीर’ चरणों में अपना झुका के माथ।
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी।
देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥13॥
हर आन ध्यान कीजिए सुमिरन गनेश जी। देवेंगे रिद्धि सिद्धि औ' अन-धन गनेश जी॥ ★
- नज़ीर अकबराबादी
Released:
Jul 21, 2022
Format:
Podcast episode

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