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Shri Vardhman Jin Puja श्री वर्द्धमान जिन पूजा
FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
Shri Vardhman Jin Puja श्री वर्द्धमान जिन पूजा
FromRajat Jain ? #Chanting and #Recitation of #Jain & #Hindu #Mantras and #Prayers
ratings:
Length:
16 minutes
Released:
May 13, 2022
Format:
Podcast episode
Description
Shri Vardhman Jin Puja श्री वर्द्धमान जिन पूजा ◆ श्रीमत वीर हरें भव-पीर, भरें सुख-सीर अनाकुलताई,
केहरि-अंक अरिकरदंक, नए हरि-पंकति-मौलि सुआई ||
मैं तुमको इत थापत हौं प्रभु, भक्ति समेत हिये हर्षाई, हे करुणा-धन-धारक देव, यहाँ अब तिष्टहु शीघ्र ही आई ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट आह्वाह्न्म |
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ: ठ: ठ: स्थापनम |
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट सन्निधिकरणम |
अष्टक
◆ क्षीरोदधि सम शुचि नीर, कंचन-भृंग भरों,
प्रभु वेग हरो भव-पीर, यातैं धार करों |
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा |
मलयागिर-चन्दन सार, केसर संग घसों |
प्रभु भव-आताप निवार, पूजत हिल हुलसों || श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा |
तंदुल-सित शशि सम शुद्ध लीनों थारी भरी |
तसु पुंज धरों अविरुद्ध, पावों शिव-नगरी ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान निर्वपामीति स्वाहा ।
सुरतरु के सुमन समेत, सुमन सुमन प्यारे |
सों मन्मथ-भंजन हेत, पूजों पद प्यारे ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।
रस-रज्जत सज्जत सद्य, मज्जत थार भरी |
पद जज्ज्त रज्जत अद्य, भज्जत भूख-अरी ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नेवैद्यम निर्वपामीति स्वाहा ।
तम-खंडित मंडित-नेह, दीपक जोवत हों |
तुम पदतर हे सुख-गेह, भ्रम-तं खोवत हों ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो || ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा ।
हरिचन्दन अगर कपूर, चूर सुगंध करा |
तुम पदतर खेवट भूरि, आठों कर्म जरा ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा ।
ऋतु-फल कल-वर्जित लाय, कंचन-थार भरों |
शिव-फल-हित हे जिनराय, तुम ढिग भेंट धरों ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा ।
जल फल वसु सजि हिम-थार, तन-मन मोद धरों |
गुण गाऊं भव-दधि तार, पूजत पाप हरों ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो || ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
केहरि-अंक अरिकरदंक, नए हरि-पंकति-मौलि सुआई ||
मैं तुमको इत थापत हौं प्रभु, भक्ति समेत हिये हर्षाई, हे करुणा-धन-धारक देव, यहाँ अब तिष्टहु शीघ्र ही आई ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट आह्वाह्न्म |
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्र! अत्र तिष्ठ: ठ: ठ: स्थापनम |
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्र! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट सन्निधिकरणम |
अष्टक
◆ क्षीरोदधि सम शुचि नीर, कंचन-भृंग भरों,
प्रभु वेग हरो भव-पीर, यातैं धार करों |
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा |
मलयागिर-चन्दन सार, केसर संग घसों |
प्रभु भव-आताप निवार, पूजत हिल हुलसों || श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा |
तंदुल-सित शशि सम शुद्ध लीनों थारी भरी |
तसु पुंज धरों अविरुद्ध, पावों शिव-नगरी ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान निर्वपामीति स्वाहा ।
सुरतरु के सुमन समेत, सुमन सुमन प्यारे |
सों मन्मथ-भंजन हेत, पूजों पद प्यारे ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।
रस-रज्जत सज्जत सद्य, मज्जत थार भरी |
पद जज्ज्त रज्जत अद्य, भज्जत भूख-अरी ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नेवैद्यम निर्वपामीति स्वाहा ।
तम-खंडित मंडित-नेह, दीपक जोवत हों |
तुम पदतर हे सुख-गेह, भ्रम-तं खोवत हों ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो || ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा ।
हरिचन्दन अगर कपूर, चूर सुगंध करा |
तुम पदतर खेवट भूरि, आठों कर्म जरा ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा ।
ऋतु-फल कल-वर्जित लाय, कंचन-थार भरों |
शिव-फल-हित हे जिनराय, तुम ढिग भेंट धरों ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो ||
ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा ।
जल फल वसु सजि हिम-थार, तन-मन मोद धरों |
गुण गाऊं भव-दधि तार, पूजत पाप हरों ||
श्रीवीर महा अतिवीर सन्मति नायक हो,
जय वर्धमान गुण-धीर सन्मति-दायक हो || ॐ ह्रीं श्रीवर्धमानजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
Released:
May 13, 2022
Format:
Podcast episode
Titles in the series (100)
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