Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

Yah Jo Kadi Hai
Yah Jo Kadi Hai
Yah Jo Kadi Hai
Ebook83 pages34 minutes

Yah Jo Kadi Hai

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

मेरे लिए कविता भावों की अभिव्यक्ति है। आज के युग में छंद और अलंकारों का महत्व नहीं रह गया है। गद्य कविता या मुक्तक ने स्थान ले लिया है। ऐसे में तुक मिल जाना केवल ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने का उपक्रम मात्र है।
इस संग्रह में मैंने प्रयास किया है कि विविध विषयों के मोतियों को पिरोकर एक सुंदर माला बनाऊँ। कड़ी-कड़ी जोड़कर जीवन को अपनी दृष्टि से अवलोकित करने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ यह तो पाठक और समीक्षक ही तय करेंगे।
कुछ कविताएँ ज्वलंत विषयों पर आधरित हैं। संभव है कुछ दूसरों की मानसिकता या सोच से मेल न खाएँ। मैंने ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः ’ का अनुसरण करने की चेष्टा की है। कहीं प्रेम से सराबोर पंक्तियाँ हैं तो कहीं कथित आधुनिकता को परे ढकेल पुरातन संस्कृति एवं ग्राम्य वातावरण की पक्षधर पंक्तियाँ। कुछ कविताएँ प्रकृति की अनुपम छटा को चित्रित करती हैं।

मेरे लिए कविता भावों की अभिव्यक्ति है। आज के युग में छंद और अलंकारों का महत्व नहीं रह गया है। गद्य कविता या मुक्तक ने स्थान ले लिया है। ऐसे में तुक मिल जाना केवल ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने का उपक्रम मात्र है।
इस संग्रह में मैंने प्रयास किया है कि विविध विषयों के मोतियों को पिरोकर एक सुंदर माला बनाऊँ। कड़ी-कड़ी जोड़कर जीवन को अपनी दृष्टि से अवलोकित करने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ यह तो पाठक और समीक्षक ही तय करेंगे।
कुछ कविताएँ ज्वलंत विषयों पर आधरित हैं। संभव है कुछ दूसरों की मानसिकता या सोच से मेल न खाएँ। मैंने ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः ’ का अनुसरण करने की चेष्टा की है। कहीं प्रेम से सराबोर पंक्तियाँ हैं तो कहीं कथित आधुनिकता को परे ढकेल पुरातन संस्कृति एवं ग्राम्य वातावरण की पक्षधर पंक्तियाँ। कुछ कविताएँ प्रकृति की अनुपम छटा को चित्रित करती हैं।

Languageहिन्दी
Release dateJul 31, 2018
ISBN9780463379561
Yah Jo Kadi Hai
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

Read more from वर्जिन साहित्यपीठ

Related to Yah Jo Kadi Hai

Related ebooks

Related categories

Reviews for Yah Jo Kadi Hai

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    Yah Jo Kadi Hai - वर्जिन साहित्यपीठ

    &cbook_preview_excerpt.htmlXnF~>خ8@K ! FKo [qUZ-AXV I>Iw]R]!ȝٝ曟ӯן*,լTy* JUMoRGZ7ۯ_hTS-/n`#M蝖gWZi阎p-9S;/Մ| ͙9<+8PD[Svҡم}?؎YGΡoꨡh iB54K=#dd\d9}ITۙG+E Se5O{P =ֶ;=&Ay3'Kc24`p`g`sC8wྣ {Ӓ,ic$ce(RU 9$%lH9KgrfFœQ2|-)^S 3G?72Ʈ Nty vp2TN+U imş gd>1, & Sn^Kȸ5ėC `x]_[(LIqAQ&DjCGWea^&s@ӛdB1MB"rV;X 2JF_-fEk+L,SfT6զ睜> jQ:t,wX/ )6FXo`F5C~o(e k S#Fm2 [nv?9j]#ytJ[B܊QNaQ;G F/mh8BQ y`2R@F]FgGDvt498 #m%z*3?n]&B"䫶:vF6s崙i1][^ %ȴpZB9qe'9Ae"+[k1p:8vR`W3m텀g$3pfP2Jק#$AL2u%|˓E*1(D&tܡTz:G6zݩt㊁W#Ho3;sZlGS[Q%41#F$+z+EpʵWP2+wlW/~`\(!m1v$"N-}e)iꡔA T"΂&jŠ<:U*ԽɕZQlOD#0|gȨrRKnٝlVۛ)NV:Y%)0SSTα]pi}1fK b̋?rѨa
    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1