मंत्र साधना और गुरु की आवश्यकता
()
About this ebook
गुरु शब्द के अर्थ को बताया गया है कि :-
गुकारस्त्वंधकारश्च रुकारस्तेज उच्यते ।
अज्ञान तारकं ब्रह्म गुरुरेव न संशयः॥
गुरु शब्द के पहले अक्षर ‘गु' का अर्थ है, अंधकार जिसमें शिष्य डूबा हुआ है, और ‘रु' का अर्थ है, तेज या प्रकाश जिसे गुरु शिष्य के हृदय में उत्पन्न कर इस अंधकार को हटाने में सहायक होता है, और ऐसे ज्ञान को प्रदान करने वाला गुरु साक्षात ब्रह्म के तुल्य होता है ।
S Anil Shekhar
Just a common man....
Read more from S Anil Shekhar
शिव साधना विधि Rating: 4 out of 5 stars4/5अकाल मृत्यु तथा रोग नाशक मंत्र Rating: 3 out of 5 stars3/5लक्ष्मी साधना Rating: 4 out of 5 stars4/5गुरुपूजन की विधियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsश्री गणेश पूजन की विधियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related to मंत्र साधना और गुरु की आवश्यकता
Related ebooks
चमत्कार Rating: 3 out of 5 stars3/5कुंडलिनी और क्रिया योग (भाग-2) -2020 Rating: 2 out of 5 stars2/5त्रिमंत्र Rating: 5 out of 5 stars5/5कुंडलिनी और क्रिया योग (भाग-1) - 2020 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsTantra Shakti, Sadhna aur Sex (तंत्र शक्ति साधना और सैक्स) Rating: 4 out of 5 stars4/5श्रीहनुमत्संहितान्तर्गत अर्थपञ्चक Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsDevi Bhagwat Puran (देवी भागवत पुराण) Rating: 5 out of 5 stars5/5Shakti Sutra Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकुंडलिनी और क्रिया योग-2020 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsShabar Mantra (शाबर मंत्र : दुर्लभ, दुष्प्राप्य, गोपनीय मंत्रों पर अनमोल जानकारी) Rating: 4 out of 5 stars4/5महान संत योगी और अवतार (वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ) (भाग-1) - 2020 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHindu Manyataon Ka Vaigyanik Aadhar (हिन्दू मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsईश्वर और स्वयं की खोज (भाग-1)-2020 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsVrihad Vatsayayan Kamsutra (वृहद वात्स्यायन कामसूत्र) Rating: 3 out of 5 stars3/5वर्तमान तीर्थकर श्री सीमंधर स्वामी (s) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsManusmriti (मनुस्मृति) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSuryopanishada Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsईश्वर और आत्म-साक्षात्कार (वैज्ञानिक और आध्यात्मिक विश्लेषण) - 2020 Rating: 2 out of 5 stars2/5Kya Kahate Hain Puran (क्या कहते हैं पुराण) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगुरु-शिष्य Rating: 4 out of 5 stars4/5पाप-पुण्य (In Hindi) Rating: 4 out of 5 stars4/5Vishnu Puran Rating: 5 out of 5 stars5/5Ganesh Puran Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsVrihad Vatsayayan Kamasutra Rating: 3 out of 5 stars3/5Ramcharitmanas Rating: 4 out of 5 stars4/5Bhavishya Puran Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsGarud Puran (गरुड़ पुराण) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमृत्यु समय, पहले और पश्चात... (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsईश्वर और स्वयं की खोज Rating: 3 out of 5 stars3/5Chakshopanishada Rating: 5 out of 5 stars5/5
Reviews for मंत्र साधना और गुरु की आवश्यकता
0 ratings0 reviews
Book preview
मंत्र साधना और गुरु की आवश्यकता - S Anil Shekhar
समर्पण
पूज्यपाद सद्गुरुदेव डॉ.नारायण दत्त श्रीमाली जी
(परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानन्द जी )
मैं एक सामान्य सा व्यक्ति था ।
जो अपने जीवन के सफर में विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से गुजरता हुआ विभिन्न प्रकार के अवरोधों को पार करता हुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था ।
जीवन के एक मोड़ पर मुझे मेरे गुरू डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी मिले ....
जब एक समर्थ गुरु आपको मिलता है तो वह आपके जीवन की परिभाषा बदल देता है ......
वह आपके व्यक्तित्व को बदल देता है ......
वह आपके जीने का तरीका बदल देता है ......
कुल मिलाकर वह आपको औरों से अलग बना देता है ......
गुरूदेव ज्ञान के अथाह सागर थे ।
उस सागर में से कुछ बूँदे प्राप्त करने का सौभाग्य मुझे भी मिला ।
इस ग्रंथ में लिखे हुए शब्दों में जो भी आपको अच्छा लगे ...
वह उन्हीं का आशीर्वाद है ....
जो भी अस्पष्टता, न्यूनता या त्रुटि लगे ! वह मेरी अक्षमता है ।
गुरु के विषय पर प्रकाश डालने के लिए यह शब्द पुष्प गुरु चरणों में समर्पित करता हुआ आप लोगों के लिए प्रस्तुत है ।
इसमे दी गयी विधियाँ प्रारम्भिक साधकों के लिए है जो सामान्य गृहस्थ हैं । इसलिए विधियों को सरलतम रखा गया है ।
अनुभवी साधक अपने गुरु के निर्देशनुसार साधनाएं करें ।
सादर गुरु चरणों मे समर्पित
अनिल शेखर
03 जुलाई 2020
एक पत्थर की भी तकदीर बदल सकती है
एक पत्थर की भी तकदीर बदल सकती है,
शर्त ये है कि सलीके से तराशा जाए....
रास्ते में पडा !
लोगों के पांवों की ठोकरें खाने वाला पत्थर !
जब योग्य मूर्तिकार के हाथ लग जाता है, तो वह उसे तराशकर ,अपनी सर्जनात्मक क्षमता का उपयोग करते हुये, इस योग्य बना देता है, कि वह मंदिर में प्रतिष्ठित होकर करोडों की श्रद्धा का केद्र बन जाता है ।
करोडों सिर उसके सामने झुकते हैं......
रास्ते के