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शिव साधना विधि
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शिव साधना विधि
Ebook69 pages19 minutes

शिव साधना विधि

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भगवान शिव को सभी विद्याओं का जनक भी माना जाता है। वे तंत्र से लेकर मंत्र तक और योग से लेकर समाधि तक प्रत्येक क्षेत्र के आदि हैं और अंत भी। यही नही वे संगीत के आदिसृजनकर्ता भी हैं, और नटराज के रुप में कलाकारों के आराध्य भी हैं। वास्तव में भगवान शिव देवताओं में सबसे अद्भुत देवता हैं । वे देवों के भी देव होने के कारण ‘महादेव' हैं तो, काल अर्थात समय से परे होने के कारण ‘महाकाल' भी हैं । वे देवताओं के गुरू हैं तो, दानवों के भी गुरू हैं ।

Languageहिन्दी
Release dateDec 13, 2020
ISBN9781005226817
शिव साधना विधि
Author

S Anil Shekhar

Just a common man....

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    शिव साधना विधि - S Anil Shekhar

    रूद्राष्टक

    नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरूपम्।

    निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥

    निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।

    करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥

    तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।

    स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

    चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालुम्।

    मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि॥

    प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।

    त्रय:शूल निर्मूलनं शूलपाणिं, भजे अहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥

    कलातीत-कल्याण-कल्पांतकारी, सदा सज्जनानन्द दातापुरारी।

    चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद-प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

    न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजंतीह लोके परे वा नाराणम्।

    न तावत्सुखं शांति संताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वभुताधिवासम् ॥

    न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्।

    जरा जन्म दु:खौद्य तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो॥

    रूद्राष्टक इदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये,ये पठंति नरा भक्त्या तेषां शम्भु प्रसीदति ॥

    शिव कृपा प्राप्ति के लिए पाठ नियमित रूप से करें |

    मेरे आराध्य : जगद्गुरु : महादेव शिव : विवेचन

    भगवान शिव ने भगवती के आग्रह पर अपने लिए सोने की लंका का निर्माण किया था । विश्रवा ऋषि को आचार्य नियुक्त किया गया । गृहप्रवेश के बाद महादेव ने आचार्य से दक्षिणा मांगने को कहा। महादेव की माया से

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