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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 45)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 45)
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 45)
Ebook133 pages1 hour

कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 45)

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About this ebook

विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की पैंतालीसवीँ पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

बहुत धन्यवाद

राजा शर्मा

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateOct 28, 2018
ISBN9780463446690
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 45)
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    कथा सागर - Raja Sharma

    www.smashwords.com

    Copyright

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 45)

    राजा शर्मा

    Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 45)

    Copyright

    दो शब्द

    मरे हुए लोगों का रास्ता Marey Hue Logon Ka Rasta

    छोटी बहन के लिए Choti Bahan Ke Liye

    जीवन देश को समर्पित Jeevan Desh Ko Samarpit

    वो खुशकिस्मत थी Wo Khushkismat Thee

    पुल पर बूढ़ा Pul Par Boodha

    ऐसे ही एक दिन Aise Hi Ek Din

    वो तुम्हें मिलेगी Wo Tumhein Milegi

    मुझे विश्वास दिलाइये Mujhe Vishwaas Dilaiye

    समस्या से भागो मत Samasya Se Bhago Mat

    चौथा बेटा Choutha Beta

    शायद भटक जाती Shayad Bhatak Jati

    वो दो भाई Wo Do Bhai

    सब चले गए Sab Chaley Gaye

    स्वर्ग में जगह Swarg Mein Jagah

    जड़ पकड़ लो Jad Pakad Lo

    इंसाफ Insaaf

    चित्त की दुर्बलता Chitt Ki Durbalta

    माँ की बेटी को सलाह Ma Ki Beti Ko Salah

    ऐसे भी राजा थे Aise Bhi Raja The

    महान बनने का मंत्र Mahaan Bananey Ka Mantra

    कार्रवाई की जाएगी Karyavahi Ki Jayegi

    कौन है सबसे महान Kaun Hai Sabse Mahaan

    महीने के पैंतालीस Mahine Ke Paintaalis

    ठंडा स्पर्श Thanda Sparsh

    दो शब्द

    विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.

    इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की पैंतालीसवीँ पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.

    कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.

    बहुत धन्यवाद

    राजा शर्मा

    मरे हुए लोगों का रास्ता Marey Hue Logon Ka Rasta

    माइकल ओबी की आशाएं उसने सोचे हुए समय से पहले ही पूरी हो गयी थी. उसको जनवरी १९४९ में ड्यूम सेंट्रल स्कूल का हेडमास्टर नियुक्त कर दिया गया था.

    क्योंकि वो एक अप्रगतिशील स्कूल था, मिशन के अधिकारीयों ने एक युवा और ऊर्जावान व्यक्ति को उस स्कूल को चलाने के लिए भेजा था.

    ओबी ने उस जिम्मेदारी को बहुत ही जोश से स्वीकारा था. उसके दिमाग में बहुत सी शानदार योजनाएं थी और अब उन योजनाओं को कार्यान्वित करने का मौका उसके हाथ में था.

    उसकी प्रभावशाली सेकेंडरी स्कूल में शिक्षा की योग्यता थी और सरकारी कागज़ों में उसको एक शक्तिशाली शिक्षक के रूप में दर्ज़ किया गया था. मिशन के क्षेत्र में वो अन्य हेडमास्टरों से बिलकुल अलग था.

    वो खुल कर बोलता था और अपने से बड़े और कम शिक्षित हेडमास्टरों की संकुचित सोच की खुल कर निंदा करता था.

    जब ओबी को अपनी प्रगति का समाचार मिला, उसने अपनी जवान पत्नी से कहा, हम इस काम में सफल हो कर दिखाएंगे, हाँ के नहीं?

    उसकी पत्नी ने कहा, हम अपने सबसे अच्छे प्रयास करेंगे. हमारे पास बहुत सुन्दर बगीचे होंगे और सभी चीजें एकदम आधुनिक और सुन्दर होंगी...

    उनकी शादी को दो बरस हो गए थे और उन दो बरसों में उसको भी अपने पति के आधुनकि तरीकों के प्रति जोश का रोग लग गया था.

    वो अभी से सपने देखने लगी थी के लोग एक जवान हेडमास्टर की सफल पत्नी के रूप में उसकी प्रशंसा कर रहे थे. वो सपने देखने लगी के वो स्कूल की रानी थी.

    वो सोचने लगी थी के स्कूल के अन्य शिक्षकों की पत्नियां उससे ईर्ष्या करने लगेंगी. वो सोच रही थी के हर चीज का फैशन वो ही शुरू करेगी.

    अचानक उसको ध्यान आया के शायद उस स्कूल में अन्य पत्नियां हों ही नहीं. आशा और भय के बीच डोलते हुए उसने चिंतावश अपने पति से इस बारे में पूछ ही लिया.

    उसके पति ने जोश से कहा, हमारे साथ काम करने वाले सभी सहकर्मी जवान हैं और अविवाहित हैं. और ये एक अच्छी बात है.

    उसकी पत्नी ने जिज्ञासा से पूछा, क्यों?

    क्यों? वो अपना पूरा समय और पूरी ऊर्जा सिर्फ स्कूल पर ही खर्च करेंगे, उसके पति ने बुद्धिमता दिखते हुए जवाब दिया.

    हेडमास्टर की पत्नी नैंसी थोड़ी निराश हो गयी. उसको कुछ समय के लिए नए स्कूल पर भी शंका होने लगी. परन्तु वो शंका कुछ ही मिनट तक रही. उसकी निराशा से बड़ी बात थी उसके पति की प्रगति और उसका स्कूल का हेडमास्टर बनना.

    उसका पति कुर्सी में आराम से बैठा था. नैंसी ने उसकी तरफ देखा. उसके कंधे झुके हुए थे और वो कमजोर दिखता था. लेकिन कभी कभी वो अपनी शारीरिक ऊर्जा से सभी को चकित कर देता था.

    वो सिर्फ छब्बीस बरस का था परन्तु वो तीस से भी ऊपर का दिखता था. कहा जा सकता है के वो रूपवान नहीं था.

    नैंसी ने कहा, माइकल, मैं सोच रही थी के कितना बड़ा अवसर मिला है हमको लोगों को ये दिखाने का के हाई स्कूल को कैसे चलाना चाहिए.

    ड्यूम स्कूल हर तरह से पिछड़ा हुआ स्कूल था. मिस्टर ओबी और उसकी पत्नी नैंसी ने पूरा जोर लगा दिया और काम करने लगे.

    ओबी के दो ही लक्ष्य थे. एक तो वो बहुत ही उच्च स्तर की शिक्षा देना चाहता था और दूसरे स्कूल के चारों तरफ के घेरे हुए मैदान को बहुत ही सुन्दर बनाना चाहता था.

    जैसे ही बरसात का मौसम आया, नैंसी के सपनो के बगीचे सजीव होने लगे. उन्होंने स्कूल के चारों तरफ पौधे लगाकर बाढ़ बना दी थी और बारिश में अब पत्तियां और फूल खिलने लगे थे. चारों तरफ लाल पीले फूल दिखने लगे.

    एक दिन उसने एक बूढ़ी औरत को स्कूल के अंदर से गुजरते हुए देखा.

    एक शिक्षक ने बताया के वो रास्ता गाँव वाले गाँव से अपने पुरखों की कब्रों

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