कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 10)
By Raja Sharma
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About this ebook
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की दसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
Raja Sharma
Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.
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कथा सागर - Raja Sharma
राजा शर्मा
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Copyright
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 10)
राजा शर्मा
Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma
Smashwords Edition
All rights reserved
कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 10)
Copyright
दो शब्द
मैं भी नहीं दौड़ सकता Main Bhi Nahi Daud Sakta
गुरु का हाथ Guru Ka Hath
मैं और मेरा भाई Main Aur Mera Bhai
संबंधों की कदर Sambandhon Ki Kadar
तुम भिखारी हो Tum Bhikhari Ho
एक अच्छा शिक्षक Ek Achha Shikshak
आपको धन्यवाद Apko Dhanyavaad
संतुलन सुधारिये Santulan Sudhariye
स्वादिष्ट केक Swadisht Cake
परिवर्तित जीवन Parivartit Jeevan
रूचि का काम Ruchi Ka Kaam
भारी पत्थर Bhari Patthar
काश मैं भी Kash Main Bhi
सिर्फ दाग मत देखिये Sirf Daag Mat Dekhiye
प्यार की ताकत Pyar Ki Taqat
ख़ुशी कहाँ है Khushi Kahaan Hai
ख़ुशी यहीं है Khushi Yaheen Hai
ये स्वर्ग है Ye Swarg Hai
बैल का श्राप Bail Ka Shraap
सोने का कप Soney Ka Cup
छोटी छोटी बातें Choti Choti Batein
एक सुन्दर चित्र Ek Sundar Chitra
मैं क्यों अफ़सोस करुँ Main Kyon Afsos Karun
घृणा को साथ रखना Ghrina Ko Saath Rakhna
सच क्या था Sach Kya Tha
दो शब्द
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की दसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
मैं भी नहीं दौड़ सकता Main Bhi Nahi Daud Sakta
एक पालतू जानवर विक्रेता ने अपनी दुकान के बाहर लिखा पिल्ले बिक्री के लिए.
उस दुकान में बहुत से छोटे छोटे कुत्ते के बच्चे थे. बहुत से बच्चे उस दुकान की तरफ आकर्षित हो रहे थे.
एक छोटे लड़के ने उस दुकान के अंदर प्रवेश किया और दूकानदार से कहा, आप कुत्ते के पिल्ले कितने पैसे में बेच रहे हैं?
दुकान के मालिक ने जवाब दिया, हमारे पिल्लों की कीमत ४० डॉलर से लेकर ८० डॉलर तक है.
छोटे लड़के ने अपनी जेब में से कुछ सिक्के निकाले और गिनने लगा. उसके पास सिर्फ ३ डॉलर थे. उसने कहा, क्या मैं पिल्लों को देख सकता हूँ?
दूकानदार ने मुस्कुरा कर उस लड़के की तरफ देखा और जोर से सीटी बजाई. अचानक, दुकान के आंतरिक भाग से एक स्त्री बाहर आयी और उनके पीछे पांच छोटे छोटे पिल्ले भी दुकान में आ गए. वो छोटे छोटे रुई के गोले लग रहे थे.
उस लड़के ने देखा के उनमें से एक पिल्ला ठीक से चल नहीं पा रहा था. वो बाकी के पिल्लों के पीछे था. लड़के ने उस लंगड़ा कर चल रहे पिल्ले की तरफ संकेत किया और दुकानदार से कहा, उस पिल्ले को क्या समस्या है? वो ठीक से चल नहीं पा रहा है.
दुकानदार ने कहा, इस पिल्ले की पिछली टांगों की हड्डियों में कुछ समस्या है इसी लिए ये लंगड़ा कर चल रहा है. ये कभी भी ठीक से चल नहीं सकेगा.
लड़के के चेहरे पर अचानक ख़ुशी की लहर दौड़ गयी और वो बोला, मैं इसी पिल्ले को खरीदना चाहता हूँ.
दुकानदार ने कहा, तुमको इस पिल्ले को खरीदने की आवश्यकता नहीं है. मैं तुमको कुत्ते का ये बच्चा मुफ्त में दे दूंगा.
छोटा लड़का थोड़ा सा असहज महसूस करने लगा. उसने दुकानदार की आँखों में देखा और कहा, "नहीं मैं मुफ्त में नहीं लूँगा. इसकी भी कीमत है जैसे और पिल्लों की कीमत है.
मैं पूरे पैसे दूंगा. मैं अभी आपको ३ डॉलर दे दूंगा और बाकी के पैसे हर महीने ५० सैंट के हिसाब से देता रहूंगा."
दूकानदार ने कहा, क्या तुम वास्तव में यही पिल्ला लेना चाहते हो? ये पिल्ला कभी भी और पिल्लों की तरह दौड़ नहीं सकेगा और तुम्हारे साथ तेज तेज खेल भी नहीं सकेगा.
दूकानदार चकित रह गया जब लड़के ने अपनी पतलून को थोड़ा ऊपर किया और उस दूकानदार को अपनी एक टांग दिखाई. उसकी दायीं टांग मुड़ी तुड़ी थी और उसने टांग पर एक चमड़े और स्टील का कवच जैसा पहन रखा था.
उस लड़के ने दुकानदार को अपनी वो अपंगता दिखाते हुए कहा, मैं भी दौड़ नहीं सकता. इस छोटे पिल्ले को कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए है जो इसको समझ सके और इसके साथ रह सके.
दूकानदार ने उस लड़के को चूम लिया. उस दुकानदार की आँखों में आंसू थे.
उसने उस छोटे