मेरी पाँच कहानियाँ
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इस पुस्तक में पाँच मनोरंजक कहानियां हैं। सभी कहानियों के विषय – वस्तु अलग अलग हैं । ये कहानियाँ मेरे सामाजिक परिवेश के प्रेक्षण के आधार पर कल्पना से गढ़ी गईं हैं। -लेखक
Ravi Ranjan Goswami
Ravi Ranjan Goswami is a popular Hindi author from Jhansi, India. He writes in English too. He is an IRS officer and lives in Cochin, Kerala India.
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मेरी पाँच कहानियाँ - Ravi Ranjan Goswami
समर्पण –केश एवं दिविता
आमुख
इस पुस्तक में पाँच मनोरंजक कहानियां हैं। सभी कहानियों के विषय – वस्तु अलग अलग हैं । ये कहानियाँ मेरे सामाजिक परिवेश के प्रेक्षण के आधार पर कल्पना से गढ़ी गईं हैं। -लेखक
अनुक्रमणिका
कथाक्रम –
1-भयाक्रांत ।
2-मंकी बंदर ।
3-इतिहास का भूगोल ।
4-ये क्या हुआ ।
5-वेलेंटाइन ।
1,भयाक्रांत
उसकी उम्र लगभग 50 वर्ष होगी । वह मेरे बगल मेँ खड़ा हुआ पानवाले से बातें कर रहा था। मैं दिल्ली एक इंटरव्यू के सिलसिले में गया था । एक ऑफिस में इंटरव्यू देकर मैं रेलवे स्टेशन जाने के लिए बस की प्रतीक्षा मेँ था । पानवाला शायद उसका परिचित था । पानवाले से बातचीत करते हुए बीच बीच मेँ वह मुझे भी देख लेता था । उसकी आँखों मेँ अजीब सा भय समाया था । यही वह कह भी रहा था कि उसे बहुत डर लगता है ।
अपरिचित शहर मेँ एक अजनबी मेँ दिलचस्पी लेना उचित नहीं था फिर भी मेरा ध्यान बरबस उसकी ओर खिंच जाता ।
अचानक मेरी निगाहें उससे मिलीं और वो मुझसे बोला –भाईसाब,मुझे बहुत डर लगता है ।
मैं चौंका ।
वह फिर बोला –आगे क्या होगा ?
मैं पूछ बैठा –आपको किस बात का भय लगता है और किस का आगे क्या होगा ?क्या मरने से डर लगता है ?
मैंने यूं ही पूछा ।
वह बोला –मर जाऊं तो अच्छा है । मैं बहुत सोचता हूँ । मुझे कुछ समझ नहीं आता कि ज़िंदगी का क्या होगा ।
यह कहते हुए वह अत्यंत गंभीर हो गया ।
कुछ देर वह चुप रहा । फिर अचानक मुझसे बोला – भाईसाब आप मेरी मदद कर सकते हैं?
मैंने सोचा शायद पैसे एंठना चाहता है ।
मैंने पूछा –मैं क्या मदद कर सकता हूँ ?
आप मेरे घर चलेंगे ?
उसका अगला प्रश्न था ।
आशंकित होते हुए भी उसके विषय में मेरी जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी ।
वेशभूषा व शक्ल से न तो वह पागल लगता था और न ही बदमाश ।
मैंने उससे पूंछा –मुझे घर क्यों ले जाना चाहते हो ?
मुझे अंदर से एसा लग रहा है कि आप मेरी मदद कर सकते हैं।
उसने कहा ।
कुछ देर के लिए मैं विचार मग्न हो गया । उत्सुकता,भय,जिज्ञासा और संवेदन शीलता का मन में संघर्ष होने लगा । अंततः जिज्ञासा निर्णय लेने में सर्वोपरि रही । मैं उसके साथ हो लिया ।
उसके साथ चलते हुए मैंने उसके ,उसके परिवार व व्यवसाय के बारे में जानकारी हासिल की । उसका नाम हरेन्द्र था । वह सरकारी कार्यालय में क्लर्क था । घर में उसके पत्नी तीन पुत्र व एक पुत्री थे ।
उसके साथ चलते हुए मैं उसके घर पहुँचने पर बनने वाली स्थिति के विषय में तरह तरह की कल्पनायें कर रहा था ।