संयोग और आत्म तृप्ति
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सिद्धार्थ और सुलेखा तीन सालों से अच्छे दोस्त थे और विवाह के इच्छुक थे। कनाट प्लेस के एक रेस्तरां में सुलेखा और सिद्धार्थ काफी पीते हुए बातें कर रहे थे।
सामने वाली टेबल पर एक महिला काफी पीते पीते एक किताब पढ़ रही थी। उस किताब को देखकर उसके मुंह से निकला, "ये साला तो वाकई हिट हो गया।"
Ravi Ranjan Goswami
Ravi Ranjan Goswami is a native of Jhansi (UP) India. He is an IRS officer and a poet and writer. Presently he is working as Assistant Commissioner of Customs at Cochin (Kerala) India.
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संयोग और आत्म तृप्ति - Ravi Ranjan Goswami
संयोग
उपन्यासिका
1
राखी, कमला प्रकाशन के ऑफिस में अपनी सीट पर थी। उसके फोन की घंटी बजी।
उसने फोन उठाया और व्यावसायिक अंदाज में बोली,"नमस्कार। कमला प्रकाशन में आपका स्वागत है। मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ ।
दूसरी ओर से एक युवक की आवाज़ आयी। उसने पूछा, मैं एक उपन्यास प्रकाशित करवाना चाहता हूँ उसके लिए मुझे क्या करना होगा?
राखी ने प्रकाशन की शर्तें बतायी । अपना ऑफिस वाला ईमेल और प्रकाशन की वेबसाइट का पता बताया और कहा, "पहले आप मेरे बताए ईमेल में अपने उपन्यास का सारांश और तीन चैप्टर भेज दें।
युवक ने कहा, जी, धन्यवाद।
और फोन काट दिया।
दस मिनट बाद राखी के इमेल में दो फाइलें संलग्न होकर आयी, ये रवीश कुमार नाम के लेखक के उपन्यास ‘दायरा का सारांश और तीन चैप्टर थे।
राखी की थोड़ी देर पहले उसी से फोन पर बात हुई थी। उसने यह ईमेल एडीटर टीम के सदस्यों को फॉरवर्ड कर दी। प्रोफेसर पांडे प्रमुख संपादक थे। वह स्वयं भी सम्पादक मण्डल की सदस्य थी।
राखी लगभग 30 वर्षीय सुंदर नाक नक्श वाली सांवली युवती थी। वह पाँच फुट पाँच इंच लंबी और पतली थी। अधिकांश तह सारी पहनती थी खास तौर से ऑफिस में। हालकि उसे वेस्टर्न लिबास से भी परहेज नहीं था । दिल्ली के एक बड़े और प्रसिद्ध प्रकाशक कमला प्रकाशन में मार्केटिंग मेनेजर थी। दिल्ली में वह द्वारका में एक, दो बेडरूम वाले फ्लैट में अपनी एक सहेली सुलेखा के साथ रहती थी। पिछले तीन साल से वह दिल्ली में रह रही थी। आवागमन के लिए उसने एक आल्टो कार खरीद ली थी। उसे काम का नशा था। अधिकांश समय उसका ऑफिस में गुज़रता था शेष अपने निवास पर। वह सिर्फ काम की बात करती थी । उसने डबल एम ए और एमबीए किया था समाज में लड़की अधिक पढ़ लिख जाये तो भी उसके विवाह करने में समस्या होती है। उसके योग्य वर खोजना मुश्किल हो जाता है। माता पिता ने उसके विवाह की कोशिश की तब जो कटु अनुभव हुए उन्होने राखी को हैरान कर दिया।
राखी ने पाया, कुछ लोग जिनकी बेटियाँ भी होती हैं । बेटे के विवाह के समय वधू पक्ष को प्रताड़ित करने में संकोच नहीं करते।
"उसने घोषणा कर दी उसे अगले तीन चार साल शादी नहीं करनी है। घर वालों ने भी उसकी शादी की बात उसी पर छोड़ दी थी । उसके लिये उचित वर तलाशना शायद उनके बस में नहीं था । लेकिन राखी को कोई लड़का ऐसा नहीं मिला जिसे देख के उसके मन में जरा भी रोमांस पैदा हुआ हो। वह बचपन से महत्वाकांक्षी थी । जीवन में बहुत आगे जाना चाहती थी । बहुत पैसे कमाना चाहती थी। अपनी उम्र की लड़कियों की तरह वह न तो व्यवहार में थी और न शायद भावना