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जानवरों की कहानियां
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जानवरों की कहानियां
Ebook42 pages25 minutes

जानवरों की कहानियां

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"कहलू सियार के मन में ख्याल आता कि थोड़े दिनों के लिए ही सही उसका पूर्वज जब जंगल का राजा बना होगा तो कितना मजा आया होगा। कैसे ठाठ रहे होंगे। उसने कल्पना में अपने आप को राजा शेर की जगह और शेर को अपने सेवक के रूप में देखा । उसे बहुत मजा आया और वह अकेला ही बड़ी देर तक हँसता रहा।" ( जानवरों की कहानियाँ पुस्तक से )

Languageहिन्दी
Release dateMay 1, 2022
ISBN9781005239572
जानवरों की कहानियां
Author

Ravi Ranjan Goswami

Ravi Ranjan Goswami is a native of Jhansi (UP) India. He is an IRS officer and a poet and writer. Presently he is working as Assistant Commissioner of Customs at Cochin (Kerala) India.

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    जानवरों की कहानियां - Ravi Ranjan Goswami

    जानवरों की

    कहानियाँ

    रवि रंजन गोस्वामी

    1

    पालतू कौआ

    हमारी लोक कथाओं और पौराणिक कहानियों में पशु पक्षियों को भी महत्वपूर्ण भूमिका में रखा गया है। सनातन संस्कृति में सभी जीव जंतुओं का सम्मान है। रीतिरिवाजों के माध्यम से भी मनुष्यों के अलावा पशु पक्षियों को भी सामाजिक और धार्मिक कार्यों में शामिल किया गया है। किसी दिन कुत्ते का ज्यादा महत्त्व है तो किसी दिन कौए का। ये सबसे आसान उदाहरण है। फिर गाय का सम्मान तो सारे देश में है। विशेष कर हिन्दुओं के बीच। बहुत से घरों में पहली रोटी गाय के नाम से निकाली जाती है। और गाय को खिलाई जाती है. अनेक देवी और देवताओं के वाहन भी कोई पशु या पक्षी हैं। गणेश जी का वाहन चूहा, तो शिव का वाहन नंदी बैल। दुर्गा देवी सिंह पर सवारी करती है तो विष्णु का वाहन पक्षी गरुण है। कार्तिकेय मोर की सवारी करते है। मृत्यु के देवता यमराज का वाहन भैसा है।

    रामकथा कहने में काकभुशुण्डि, जो कौवे के शरीर वाले एक ऋषि थे का कोई मुकाबला नहीं। फिर राम की वानर सेना के पराक्रम को कौन नहीं जानता।

    इन सारी बातों को याद करने का कारण कौए ही हैं।

    मेरी कालोनी में मेरे आवास के ठीक बाहर एक अंजाना बड़ा पेड़ है। किसी ने बताया था चेरी का पेड़ है। उसमें छोटे छोटे बेर जैसे फल लगते हैं जिनमें न पक्षियों की रूचि है न मनुष्यों की। उन्हें कोई लेता नहीं। सब झड़ कर जमीन पर बिछे रहते है। उस पेड़ पर कुछ अन्य पक्षियों के साथ बहुतायत में कौवे रहते हैं। हमारा निवास दो मंजिलें मकान की दूसरी मंजिल पर है। पेड़ का सघन हिस्स्सा मेरी बालकनी के सामने है और उसकी शाखायें मेरी बालकनी को छूती हैं।

    पशु पक्षियों को दाना पानी देना मेरी पत्नी के संस्कारों में से एक है। वह कभी कभी कौवों को भी कुछ खाने को दे देतीं हैं।

    आश्चर्य जनक बात ये है कि उस पेड़ पर सैकड़ों कौवे व् अन्य पक्षी रहते हैं लेकिन एक कौवे ने मेरे घर से मिलने वाले

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