परिवेश
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थोड़े दिनों बाद राजीव और शिखा हिमाचल सुपर फास्ट ट्रेन के ए सी डिब्बे में बैठ कर आगरा से दिल्ली जा रहे थे जहां से वे नैनीताल जाने वाले थे,तब राजीव को सोचने का मौका मिला। शादी की सभी यादें फास्ट फॉरवर्ड फिल्म की तरह ही सामने आ रहीं थीं ।
Ravi Ranjan Goswami
Ravi Ranjan Goswami is a native of Jhansi (UP) India. He is an IRS officer and a poet and writer. Presently he is working as Assistant Commissioner of Customs at Cochin (Kerala) India.
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परिवेश - Ravi Ranjan Goswami
परिवेश
कहानियाँ
रवि रंजन गोस्वामी
कथाक्रम
कहानी पेज
1-पतंगबाज़ 1 2-सौतेली माँ 10 3-बंद 19 4-षडयंत्र 23 5-हिचकोला 29 6-दीवाना 45 7-रिश्ता 54
1-पतंगबाज़
जिन दिनों मैं स्कूल में था और पतंग उढ़ाता था । पूरी गर्मी की छुट्टियों में मुहल्ले के दो ही सिकंदर हुआ करते थे । एक वो जो सबसे अधिक दूसरों की पतंगें काटे या वो जो कटी पतंगें लूटे । पतंग लूटना एक कला है और अगर खेलों में इसे शामिल किया जाय तो कुछ कुछ ये रग्बी से मिलता जुलता लगता है । लेकिन रगबी ताकत का खेल है और पतंग लूटना कौशल का काम । हवा की दिशा और गति का अनुमान, आसमान में पतंग की तरफ देखते हुए सामने या इधर उधर भागना, और पतंग के नीचे आते ही उसपर झपटना और उसे लूट कर बाकी लुटेरों के बीच से साबुत निकाल ले जाना बड़े ही कौशल का काम है ।
मोहल्ले का एक दादा भी होता था। इस पद के दो दावेदार थे, विजय और कैलाश । दोनों समय समय पर एक दूसरे को चैलेंज दिया करते थे । एक दिन कैलाश ने विजय को कुश्ती के लिए ललकारा ।
कैलाश ने मोहल्ले के बच्चों के सामने कहा, विजय ,दम हो तो आज कुश्ती हो जाये। विजय कैलाश की ओर बढ़ते हुए बोला,
आओ हो जाये।"
कैलाश दो कदम पीछे हटा और बोला, अरे यहाँ नहीं, मुन्नू चाचा के अखाड़े में
मुन्नू चाचा का असली नाम मुनव्वर खान था। इलाके के मशहूर पहलवान थे। साधनों के आभाव में ज्यादा आगे न बढ़ सके । अपने शौक को जिंदा रखने के लिए उन्होने एक आखाडा खोला था जिसमें वो बच्चों को निशुल्क कुश्ती सिखाते थे । दोपहर में आखाडा खाली रहता था और खुला भी रहता था ।
विजय, कैलाश और मोहल्ले के कई लड़के दोपहर में मुन्नू चाचा के अखाड़े में पहुंचे । दोनों जोश में थे । उन्होंने ऊपर