कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल पहली पुस्तक: गर्मी की छुट्टियां: कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल Hindi, #1001
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कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल बच्चों की पुस्तकों की एक अनूठी श्रंखला है। हर पुस्तक में दो हंसमुख भाइयों आईविन और डेन, और उनके असामान्य दोस्त - जादुई बिल्ले कोटोलाज़ के बारे में कई रहस्य्मयी और जानकारी वाली कहानियाँ हैं।
नायक हमें ब्रह्मांड की संरचना, प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों के बारे में बताते हैं, एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देते हैं, और वर्तमान और अतीत की सभ्यताओं के इतिहास को प्रकट करते हैं। इन पुस्तकों में मनुष्य के भाग्य की अवधारणा और उसके महत्व को बहुत ही सरल और बच्चों के समझने योग्य शब्दों में बयान किया गया है। जादुई बिल्ला मुश्किल पर महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देता है, जैसे कि, "जीवन क्या है और हमें यह किसने प्रदान किया है?", "हम सब इस संसार में क्यों आए हैं?" और "हम अपने आप को कैसे विकसित कर सकते हैं?"
इन कहानियों के नायक कई मनोरंजक रोमांच, मज़ेदार कहानियाँ और जादुई रहस्यों से परिचित होंगे। यहां तक कि कई वयस्कों को भी इन रहस्यों की कुंजी के बारे में नहीं पता है!
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कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल पहली पुस्तक - Oleg Vitkovski
ओलेग वित्कोव्स्की
कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल
पहली पुस्तक: गर्मी की छुट्टियां
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2019
ओलेग वित्कोव्स्की
कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल. पहली पुस्तक: गर्मी की छुट्टियां / ओलेग वित्कोव्स्की, 2019. – 65 पृष्ठ.
कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल बच्चों की पुस्तकों की एक अनूठी श्रंखला है। हर पुस्तक में दो हंसमुख भाइयों आईविन और डेन, और उनके असामान्य दोस्त - जादुई बिल्ले कोटोलाज़ के बारे में कई रहस्य्मयी और जानकारी वाली कहानियाँ हैं।
नायक हमें ब्रह्मांड की संरचना, प्रकृति के नियमों और सिद्धांतों के बारे में बताते हैं, एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देते हैं, और वर्तमान और अतीत की सभ्यताओं के इतिहास को प्रकट करते हैं। इन पुस्तकों में मनुष्य के भाग्य की अवधारणा और उसके महत्व को बहुत ही सरल और बच्चों के समझने योग्य शब्दों में बयान किया गया है। जादुई बिल्ला मुश्किल पर महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देता है, जैसे कि, जीवन क्या है और हमें यह किसने प्रदान किया है?
, हम सब इस संसार में क्यों आए हैं?
और हम अपने आप को कैसे विकसित कर सकते हैं?
इन कहानियों के नायक कई मनोरंजक रोमांच, मज़ेदार कहानियाँ और जादुई रहस्यों से परिचित होंगे। यहां तक कि कई वयस्कों को भी इन रहस्यों की कुंजी के बारे में नहीं पता है!
इलस्ट्रेटर: समोइलोवा लारिसा
अनुवादक: अनुज खुराना
ISBN 978-601-06-6065-6
सामग्री
परिचय
परिचय
जादुई बिल्ला
रहस्यमयी सात
शारीरिक शिक्षा का मूछों वाला अध्यापक
कौन है ये अटलांटिस?
साधू कैसे सोचते थे
ब्लॉक्स केवल निर्माण क्यूब्स नहीं हैं
अंतिम शब्द
परिचय
प्रिय पाठक!
लेखक और उनकी टीम ने इस पुस्तक को लिखने में अपना दिल और जान लगा दी है ताकि आपको यह पता चल सके कि आप कौन हैं और आप किस लिए इस दुनिया में जी रहे हैं। इन कहानियों को पढ़ने के बाद, आप दुनिया को एक अलग नज़रिए से देखेंगे। आप असली दुनिया को देख सकोगे। आप यह समझ सकोगे कि यह किस तरह से काम करती है, आप ब्रह्मांड के कई नियमों के बारे में जान सकोगे और आप यह भी सीख सकोगे कि किस तरह आप इस ज्ञान का उपयोग अपने विकास के लिए कर सकते हैं। इन कहानियों में, हमारे नायक कई जादुई रहस्यों को उजागर करेंगे, कई जटिल पहेलियों के होशियार जवाब देंगे, जिनके जवाब कई व्यस्क भी नहीं जानते हैं।
चलो साथ में मिलकर इस दुनिया को बेहतर बनाते हैं!
चलो चलें! हमारे नायक हमारा इंतज़ार कर रहे हैं!
C:\Users\PC\AppData\Local\Temp\Начало каждого рассказа.jpegपहली कहानी
परिचय
आईविन चौथी कक्षा में पढ़ने वाला एक छोटा लड़का था। अभी उसने सिर्फ तीसरी कक्षा समाप्त की ही थी और वह अपने आप को चौथी कक्षा में मान रहा था। आईविन ने सोचा, कुछ ज़्यादा करने को बचा तो है नहीं, सिवाय इसके कि वह गर्मियां ख़त्म होने का इंतज़ार करे और फिर वह एक साल और बड़ा हो जाएगा।
आईविन खेल कूद करने वाला एक जीवंत बच्चा था। उसके काले, और अक्सर बिखरे हुए बाल उसकी हरी आँखों के साथ अच्छा मेल खाते थे। किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में उसकी दृढ़ता और छोटे विवरणों पर ध्यान देना उसे काफी आकर्षक बनाते थे। कई बार उसकी ईमानदारी उसके माता-पिता को भी आश्चर्यचकित कर देती थी। गलती करने पर वह दण्डित होने से भी नहीं डरता था और अक्सर वह अपनी शरारतों को खुद ही स्वीकार कर लेता था।
आईविन आसानी से नए दोस्त बना लेता था। अगर वह किसी अपरिचित खेल के मैदान में जाता था, तो कुछ ही मिनटों में उसके आसपास उन लड़को की भीड़ होती, जिन्हें वह पहले से नहीं जानता था। वो सभी उसके साथ खेलने की इच्छा जताते। आइवन, जैसा कि अक्सर कहा जाता है, एक भड़काने वाला बच्चा था और वह अभी से ही नेतृत्व करने वाले गुण दिखा रहा था। उसे नए दोस्तों की ज़रूरत थी, एक टीम, जिससे वह कुछ नया सीख पाता।
उसका भाई, डैन उससे बिल्कुल अलग था। वह आईविन से तीन साल छोटा था और स्वाभाविक रूप से वह आईविन से कद में भी छोटा था। इन सर्दियों में वह पहली कक्षा में जाएगा। अपनी बेचैनी के बावजूद भी, डैन ने हर एक लड़के को अपना दोस्त नहीं बनने दिया और उसका विश्वाश हासिल करना काफी कठिन था।
छोटे डैन के बारे में बात करते समय, उसकी माँ हमेशा यह कहती थी कि उनके घर में एक हास्य अभिनेता बड़ा हो रहा है। वास्तव में, इस बच्चे को लोगों के साथ मज़ाक करना और उन्हें पागल बनाना बहुत पसंद था, लेकिन उसके मज़ाक का हमेशा कोई अर्थ होता था और कोई भी यह अनुमान लगा सकता था कि उसके दिमाग में उस वक़्त क्या चल रहा था।
डैन एक पालतू बिल्ली के सामान था, जो, मौका मिलते ही अपने माता-पिता के पास जा कर उन्हें, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ
कह कर उनके मूड को अच्छा कर देता था। वह बहुत ईमानदारी के साथ बात करता था, जिसे सिर्फ एक बच्चे के द्वारा ही प्रदर्शित किया जा सकता है।
दोनों ही लड़के बहुत व्याकुल थे। अक्सर उनके पिताजी को दोनों के बहुत सारे सवालों का सामना करना पड़ता था। इसके इलावा, उनके कुछ सवाल व्यस्क लोगों जैसे होते थे, जिनसे उनके पिताजी काफी आश्चर्यचकित हो जाते थे।
दोनों के बीच में कुछ भी गोपनीय नहीं था। वह दोनों ही बहुत शरारती थे, लेकिन दोनों भाई एक दूसरे को प्यार भी करते थे। कभी-कभी वह एक दूसरे को थप्पड़ भी मार देते, लेकिन यह सिर्फ मज़ा करने के लिए होता था। वास्तव में, दोनों भाइयों में से किसी ने कभी भी एक दूसरे को चोट पहुँचाने की कोशिश नहीं करी।
उनके माता-पिता ने आईविन और डैन को गर्मियों की छुट्टियों के आखरी महीने को बिताने के लिए उनके दादा-दादी के पास गाँव भेजने का निर्णय लिया। उनके माता-पिता के लिए यह काफी साहसिक निर्णय था, क्योंकि दोनों भाई पहली बार अपने माता-पिता के बिना इतनी दूर यात्रा करेंगे।
दादा और दादी बिल्कुल भी बूढ़े नहीं थे। दादाजी के दाढ़ी नहीं थी और दादीजी सिर पर स्कार्फ़ नहीं पहनती थी। वह आज के ज़माने के, दयालु और मध्यम आयु के लोग थे जो अपने बच्चों और पोते-पोतियों से प्यार करते थे। उन्हें इंटरनेट के बारे में भी पता था और वह अपने पोते-पोतियों को ईमेल भी भेजते थे और उन्हें अलग-अलग मोबाइल एप्लिकेशन से कॉल भी करते थे।
इस सब के इलावा, दादीजी को अपने बगीचे और बुनाई से बहुत प्यार था। उनके पोते-पोतियों के पास उनके द्वारा बुने हुए बहुत कपड़े थे। दादाजी को अपनी मधुमक्खियों की देखभाल करना बहुत पसंद था, इसलिए घर में हमेशा बहुत शहद पड़ा होता था। दादाजी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें आप, हर मौसम का व्यक्ति
बुला सकते थे। वह आसानी से फर्नीचर बना सकते थे, गाडी ठीक कर सकते थे और उन्होंने दादीजी के लिए उनके बगीचे में एक विशाल ग्रीनहाउस भी बनाया था। यह कोई ऐसा वैसा ग्रीनहाउस नहीं था जो आंधी में आसानी से उड़ जाए। दादाजी को अपने किए गए काम की गुणवत्ता पर गर्व था, जो समय की कसौटी पर खरा भी उतरा और ग्रीनहाउस को देख कर आप आसानी से यह कह सकते थे कि कोई चक्रवात भी इसको बर्बाद नहीं कर पाएगा।
गाँव पीर क्रीक उस गाँव से बहुत दूर नहीं था जहाँ पर यह दोनों लड़के रहते थे। कुछ ही घंटों में रेलगाड़ी से कोई भी वहां पहुंच सकता था। यह नदी के साथ-साथ एक बहुत ही सुन्दर जगह थी और उसके विपरीत तट पर बहुत ही सुंदर ओक के पेड़ भी थे।
दोनों ही लड़के अपने आरामदायक घर को छोड़ कर नहीं जाना चाहते थे। उनके दिमाग में कई सवाल आ रहे थे, ख़ास तौर पर यह मुख्य सवाल- कि वह एक