परिवेश
()
About this ebook
फिर टी वी आ गया और जमाने भर पे छा गया । हमारी बस्ती में भी हर घर में टी वी लग गया । टी वी पर दिखाये जाने वाले कार्यक्रमों में सबसे अधिक लोकप्रिय थे चित्रहार और सिनेमा । फिल्म में तरह तरह की कहानियाँ और दृश्य दिखाये जाते।
Ravi Ranjan Goswami
Ravi Ranjan Goswami is a popular Hindi author from Jhansi, India. He writes in English too. He is an IRS officer and lives in Cochin, Kerala India.
Read more from Ravi Ranjan Goswami
सूरजमुखी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsव्यंग लेख एवं कहानियां Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसंवाद (कविता संग्रह ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसंयोग Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsनाकाम दुश्मन Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमेरे काव्य सन्देश-2 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसंयोग और आत्म तृप्ति Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलुटेरों का टीला चम्बल Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकोचीन कहानियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsपहले पन्ने Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related to परिवेश
Related ebooks
परिवेश Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगृह दाह Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसन्नाटे की आवाज: औरत और ट्रांस वूमेन की जिंदगी के अनछुए पहलुओं पर फोकस Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकही अनकही Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMANORANJAK KAHANIYON SE BHARPOOR KAHAVATE Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsGora - (गोरा) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलघुकथा मंजूषा 3 Rating: 0 out of 5 stars0 ratings३० लाल वस्त्र रचयिता: योहैन ट्विस Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsRisthon Ke Moti (रिश्तों के मोती) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsदूसरी लड़की - हॉरर थ्रिलर स्क्रीन प्ले Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsवो कौन थी: सच या छलावा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAadam Grehan Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsGaban (Hindi) Rating: 5 out of 5 stars5/5कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 29) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsShresth Sahityakaro Ki Prasiddh Kahaniya: Shortened versions of popular stories by leading authors, in Hindi Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsManovratti Aur Lanchan (Hindi) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21 Shreshth Naariman Ki Kahaniyan : Jammu (21 श्रेष्ठ नारीमन की कहानियां : जम्मू) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAbhishap Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsUs Raat Ki Chhap Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsआत्म तृप्ति Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAnmol Kahaniyan: Short stories to keep children entertained Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभूतों की कहानियां Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPyar, Kitni Baar! (प्यार, कितनी बार!) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsजहाँ उग्रवादियों की हिम्मत होती है! Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 36) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsNirmala (Hindi) Rating: 3 out of 5 stars3/5कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल पहली पुस्तक: गर्मी की छुट्टियां: कोतोलाज़ बिल्ले का जादुई स्कूल Hindi, #1001 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलघुकथा मंजूषा 4 Rating: 4 out of 5 stars4/5लघु कथाएँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 32) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for परिवेश
0 ratings0 reviews
Book preview
परिवेश - Ravi Ranjan Goswami
कथाक्रम
कहानी पेज
1-पतंगबाज़ 1 2-सौतेली माँ 10 3-बंद 19 4-षडयंत्र 23 5-हिचकोला 29 6-दीवाना 45 7-रिश्ता 54
1-पतंगबाज़
जिन दिनों मैं स्कूल में था और पतंग उढ़ाता था । पूरी गर्मी की छुट्टियों में मुहल्ले के दो ही सिकंदर हुआ करते थे । एक वो जो सबसे अधिक दूसरों की पतंगें काटे या वो जो कटी पतंगें लूटे । पतंग लूटना एक कला है और अगर खेलों में इसे शामिल किया जाय तो कुछ कुछ ये रग्बी से मिलता जुलता लगता है । लेकिन रगबी ताकत का खेल है और पतंग लूटना कौशल का काम । हवा की दिशा और गति का अनुमान, आसमान में पतंग की तरफ देखते हुए सामने या इधर उधर भागना, और पतंग के नीचे आते ही उसपर झपटना और उसे लूट कर बाकी लुटेरों के बीच से साबुत निकाल ले जाना बड़े ही कौशल का काम है ।
मोहल्ले का एक दादा भी होता था। इस पद के दो दावेदार थे, विजय और कैलाश । दोनों समय समय पर एक दूसरे को चैलेंज दिया करते थे । एक दिन कैलाश ने विजय को कुश्ती के लिए ललकारा ।
कैलाश ने मोहल्ले के बच्चों के सामने कहा, विजय ,दम हो तो आज कुश्ती हो जाये। विजय कैलाश की ओर बढ़ते हुए बोला,
आओ हो जाये।"
कैलाश दो कदम पीछे हटा और बोला, अरे यहाँ नहीं, मुन्नू चाचा के अखाड़े में
मुन्नू चाचा का असली नाम मुनव्वर खान था। इलाके के मशहूर पहलवान थे। साधनों के आभाव में ज्यादा आगे न बढ़ सके । अपने शौक को जिंदा रखने के लिए उन्होने एक आखाडा खोला था जिसमें वो बच्चों को निशुल्क कुश्ती सिखाते थे । दोपहर में आखाडा खाली रहता था और खुला भी रहता था ।
विजय, कैलाश और मोहल्ले के कई लड़के दोपहर में मुन्नू चाचा के अखाड़े में पहुंचे । दोनों जोश में थे । उन्होंने ऊपर के कपड़े उतार दिये। नीचे वो हाफपैंट पहने थे वो पहने रहे।
पहले दोनों ताल ठोक कर आमने सामने खड़े हुए। फिर दोनों करीब आये और एक दूसरे