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सूरजमुखी
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Ebook45 pages21 minutes

सूरजमुखी

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About this ebook

हरीनगर का एक मात्र डिग्री कालेज एल एम टी डिग्री कालेज का नया सत्र प्रारभ हुए दो सप्ताह हो चुके थे । नए छात्र छात्राओं की झिझक टूट रही थी। सीनियर्स अब भी मौका मिलता तो किसी जूनियर की क्लास ले लेते थे । रंगबाज़ और उसके साथी जो बी ए द्वितीय वर्ष के छात्र थे पूरा समय मौज मस्ती के मूड में रहते थे । कालेज उनके लिए पढ़ाई कम तफरी की जगह ज्यादा थी

Languageहिन्दी
Release dateOct 8, 2021
ISBN9781005199296
सूरजमुखी
Author

Ravi Ranjan Goswami

Ravi Ranjan Goswami is a native of Jhansi (UP) India. He is an IRS officer and a poet and writer. Presently he is working as Assistant Commissioner of Customs at Cochin (Kerala) India.

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    सूरजमुखी - Ravi Ranjan Goswami

    सूरजमुखी

    उपन्यासिका

    रवि रंजन गोस्वामी

    समर्पण

    केश कुमारी एवं दिविता

    1

    जुलाई2019

    हरीनगर का एक मात्र डिग्री कालेज एल एम टी डिग्री कालेज का नया सत्र प्रारभ हुए दो सप्ताह हो चुके थे । नए छात्र छात्राओं की झिझक टूट रही थी। सीनियर्स अब भी मौका मिलता तो किसी जूनियर की क्लास ले लेते थे । रंगबाज़ और उसके साथी जो बी ए द्वितीय वर्ष के छात्र थे पूरा समय मौज मस्ती के मूड में रहते थे । कालेज उनके लिए पढ़ाई कम तफरी की जगह ज्यादा थी

    सूरजमुखी इसी कालेज में बी कॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। वह साढ़े पाँच फुट लंबी साँवली और तीखे नाक नक्श वाली एक सुंदर और आकर्षक युवती थी । वह स्वभाव से तेज थी । उसे योग का शौक था और वह जूडो और कराटे भी जानती थी ।

    एक दिन वह अपनी सहेलियों के साथ खाली समय में कालेज प्रांगढ़ में लगे आम के पेड़ के नीचे बैठ कर बात चीत कर रही थी । रंगबाज़ और उसके साथी वहाँ से निकले । रंगबाज ने आदतन उस दिन सूरजमुखी पर भी अश्लील फब्ती कस दी और अपने चमचों के साथ खी खी करके हंस दिया ।

    दूसरे दिन जब वो कालेज आया उसके दाहिने हाथ पर पट्टी बंधी थी और मुंह सूजा था । आते ही उसके साथियों ने घेर लिया । राजन ने पूछा, क्या हुआ?

    वह बोला घर पे बाथरूम में फिसल कर गिर गया । प्रमोद ने कहा, देखने में तो एसा लग रहा है जैसे किसीने मारा हो ।

    रंगबाज़ ने कहा, " मुझे कौन मारेगा? फालतू बातें छोड़ो । बताओ चाय कौन पिलायेगा।

    प्रमोद ने कहा, केंटीन में चाय समोसा मेरी तरफ से । केंटीन चलें?

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