दिल दोस्ती और प्यार सीजन - 1: अध्याय -1: सीजन 1 भाग 2: दिल दोस्ती और प्यार
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ये कहानी है दो ऐसे दोस्तों की जो एक दूसरे को ही अपना सब कुछ मानते हैं सुख दुःख भी एक दूसरे के साथ बांटते हैं तो लड़ते झगड़ते भी एक दूसरे से ही है, चिढ़ाते भी है मनाते भी है, दीया एक प्यारी और सुलझी हुई लड़की और वहीं कुश एकदम चंचल और नासमझ लड़का। दोनों ही बचपन के दोस्त हैं और एक दूसरे को खुद से ज्यादा जानते हैं और समझते हैं। दीया जोकि कुश से एकतरफा प्यार करती है और कुश जोकि उसे सिर्फ अच्छी दोस्त मानता है फिर भी दोनों एक दूसरे के साथ खुश हैं। लेकिन इनकी जिंदगी तब पलट जाती है जब इनकी जिंदगी में हीना नाम की एक लड़की की एंट्री होती है, जिससे कुश को हो जाता है प्यार, और दीया की खेलतीं जिंदगी हो जाती है तबाह, लेकिन इनकी जिंदगी में तब एक लड़का आता है जो इनकी प्रोब्लम को पुरी तरह से दूर करता है, बहुत ज्यादा समझदार, टॉप बिजनेसमैन, अपनी बहन का लाडला भाई मां बाप का दुलारा, लेकिन ये जितना खुश दिखता है उतना है नहीं, एक्चुअली इस लड़के ने अपनी प्रेमिका को खोया हैं, इसकी प्रेमिका ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की थी लेकिन ऐसी क्या वजह रही होगी जो उस लड़की ने ये कदम उठाया होगा? जी हां राघव और सांची के प्यार से भरी हुई ये कहानी आपको हर मोड़ पर मोहब्बत का अहसास कराएगी। राघव जिसने सांची के लिए अपना सब कुछ भुला दिया और पुरी लग्न और शिद्दत से अपने प्यार को निभाया तो वहीं सांची ने राघव की हर खुशी का ध्यान रखा, पर कहते हैं ना प्यार का मिलना कहा आसान है? जहां प्यार होता है वहा प्रोब्लम अपने आप जन्म ले लेती है, कुछ ऐसा ही हुआ इन दोनों की जिंदगी में और ये सांची की मौत का बड़ा कारण बना पर क्या? और क्यों? और राघव, दीया और कुश की जिंदगी में क्यों आया ऐसा क्या रिजन था जो वो उन दोनों की प्रोब्लम दुर करना चाहता है, क्या उसका कोई खास मकसद है या फिर कोई और वजह जानने के लिए पढ़ें दिल दोस्ती और प्यार।
प्रियंका इंसा
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दिल दोस्ती और प्यार सीजन - 1 - प्रियंका इंसां
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भाग-1
दिल दोस्ती और प्यार
राघव दीया के घर पहुंच गया था.... उसने जैसे ही डोर बेल बजाई कुछ देर बाद सुमित्रा ने आकर दरवाजा खोला तो सामने राघव को खड़े पाया वह बोली-अरे राघव तुम... वह भी इस वक्त...!!
राघव: हां आंटी जी... दीया से मिलने आया हूं... क्या मैं उससे मिल सकता हूं...|
सुमित्रा: हां, हां, क्यों नहीं पर इस वक्त वह शायद अपनी फेवरेट जगह पर होगी...|
राघव ने सवाल किया: फेवरेट जगह...?
सुमित्रा मुस्कुराकर:हां, कुश और दीया की फेवरेट जगह | वह हर रोज रात को कुछ पल टेरेस पर बिताते हैं... और अपने हर मोमेंट को इंजॉय करते हैं..|. तुम टेरेस पर चले जाओ वह तुम्हें वही मिलेगी...|
राघव सुमित्रा को थैंक्स बोल कर टेरेस की तरफ बढ़ जाता है...|
दीया टेरेस पर बैठे हुए खुद से ही बातें किए जा रही थी कि अचानक उसके कानों में आवाज पड़ी-तो यह है तुम्हारी फेवरेट जगह...!!
दीया ने जब नजर घुमा कर देखा तो उसने राघव को खड़ा पाया... वह उठकर बोली-अरे राघव तुम!... इस वक्त यहां...!
राघव उसके पास आते हुए बोला: क्यों तुमसे मिलने के लिए मुझे मुहूर्त करवाना पड़ेगा...|
दीया: अरे नहीं ऐसी बात नहीं है वह मैं तो रात... खैर छोड़ो तुम बताओ तुम कल से कहां थे...?
राघव: हॉस्पिटल...|
दीया घबराकर: हॉस्पिटल!! पर क्यों...?
राघव: अरे! वह पापा की तबीयत अचानक खराब हो गई थी बस इसलिए...
दीया: क्या! क्या हुआ अंकल जी को...?
राघव दीया के पास आकर उसके कंधे पकड़कर: अरे !अरे! कुछ नहीं हुआ,. वह बिल्कुल ठीक है...|
दीया: ओके,... तुम कहते हो तो मान लेती हूं...|
राघव मुस्करा दिया और फिर बोला: वैसे आज तुमने यह क्या किया...?
दीया ने सवाल किया: क्या किया...?
राघव नीचे बैठते हुए बोला: अनजान मत बनो मुझे सब पता है, खन्ना अंकल ने मुझे सब बता दिया...|
दीया: तो तुम्हें सब पता चल ही गया,... सॉरी राघव बट कुश के मुंह से सगाई वाली बात सुनकर एकदम से मेरी उम्मीद टूट गई थी इसलिए मैंने यह कदम उठाया ..|.
राघव: बस, इतने में ही हार मान गई.|.. प्यार में उम्मीद टूटने जैसा तो कुछ होना ही नहीं चाहिए दीया,... कभी कभी हालात हमारे हाथों में नहीं होते कि हम उन्हें ठीक कर सके... कुछ बातें वक्त पर छोड़ देनी चाहिए...|
दीया उसके पास बैठकर बोलीं-: राघव तुम प्यार के बारे में बहुत प्यारी बातें करते हो...|
राघव: यह सब बातें मुझे किसी ने सिखाई थी...|
दीया: किसने...?
राघव: मेरी सांची ने...|
दीया: अच्छा! और क्या-क्या सिखाया तुम्हारी सांची ने तुम्हें...?
राघव: दीया तुम जाना चाहती थी ना कि सांची कौन हैं, कहाँ रहती है, कैसी है...?
दीया: हम्मम...|
राघव: आज मैं तुम्हें सांची से जुड़ी हर बात बताऊंगा..|.
दीया: तुम्हारा मतलब तुम्हारा पास्ट...?
राघव: हम्मम... तुम जानना चाहती थी ना सांची कैसी है तो सुनो... मेरी सांची दुनिया की सबसे अच्छी लड़की है.|.. तुम्हें पता है कॉलेज में सब लड़कियां एकदम मॉडर्न बन कर आया करती थी और मेरी सांची सूट में आया करती थी (यार यह सब लड़कों को सूट वाली लड़की क्यों पसंद आती है)।सांची बाकी लड़कियों की तरह नहीं थी जो हमेशा लड़कों के इर्द-गिर्द घूमा करती हैं.|.. सांची अपने आप में मस्त रहने वाली थी, किसी का दिल अगर उससे गलती से भी दुख जाता था ना तो वह हजार बार उससे माफी मांगती थी.. और मुझसे लड़ना तो उसे बहुत पसंद था.| वह बहुत जिद्दी थी, मुझसे हर बात मनवा लेती थी | उसकी छोटी-छोटी ख्वाइशें थी और उन्हीं ख्वाहिशों में था मैं, मैं उसका राघव|
फ्लैश बैक
राघव एक अपने आप में मस्त रहने वाला लड़का है| दुनियादारी से से कोई लेना-देना नहीं था| वह हमेशा बिंदास रहता था| अपनी बहन रिया से बहुत प्यार करता है| रिया की आंखों में वह आंसू भी नहीं देख सकता | रिया में उसकी जान बसती है |
सुबह के 8:00 बज चुके थे राघव अभी तक नहीं उठा था| राघव के लेट उठने से उसकी पूरी फैमिली तंग थी क्योंकि कभी-कभी राघव की वजह से रिया भी कॉलेज के लिए लेट हो जाया करती थी | रिया अपने भाई से बहुत प्यार करती थी इसलिए उसे लेट हो जाना भी पसंद था.|
राघव अपने बिस्तर पर उल्टा लेटा हुआ था और गहरी नींद में सोया हुआ था कि अचानक किसी ने उसके ऊपर पानी फेंका | पानी फेंकते ही राघव हड़बड़ा कर उठ गया बारिश ! बारिश !
बारिश नहीं है भाई, पानी है आपको उठाने के लिए जो मैंने फेंका-रिया ने हंसते हुए कहा |
राघव: रिया की बच्ची! तुमने मेरे सारे कपड़े भीगा दिए ऊपर से मेरा बेड भी...
रिया: अगर लेट उठोगे तो यही अंजाम होगा | अब गीले तो हो ही गए हो तो जाइए उठ कर नहा आइए, वरना हम आज फिर कॉलेज के लिए लेट हो जाएंगे... और आज कॉलेज का पहला दिन है|
राघव एकदम से उठकर बोला: आज कॉलेज का पहला दिन है और तुमने मुझे बताया नहीं | आज मैं थर्ड ईयर में हो गया हूं | देखना, रिया जब मैं फाइनल ईयर में हो जाऊंगा तो कॉलेज के सारे स्टूडेंट्स मुझे सलाम किया करेंगे, आखिर में सबका सीनियर जो हो जाऊंगा |
रिया राघव को तकिये से मारते हुए: भाई दिन में सपना देखना बंद कीजिए प्लीज, कॉलेज के लिए तैयार हो जाइए |
राघव रिया के दोनों हाथ पकड़ कर: तुझे अपने भाई के थर्ड ईयर में होने की कोई खुशी नहीं हो रही ?
रिया: नहीं, बिल्कुल भी नहीं...क्योंकि आप सिर्फ यह देख रहे हो आप थर्ड ईयर में हो गए हो मेरा बिल्कुल नहीं, मैं सेकंड ईयर में हूं |
राघव: अरे मेरी बहन ! मुझे बहुत खुशी है कि तुम सेकंड ईयर में हो | वैसे आज तो लीट(इंजीनियरिंग में सेकंड ईयर में एडमिशन लेने वाले जो डिप्लोमा बेस पर आते हैं) से भी स्टूडेंट्स आने वाले हैं | चलो, तुम्हारी क्लास में कुछ और बच्चे आ जाएंगे|
रिया हंसते हुए: कुछ और क्या भाई... पहले ही भरे पड़े हैं और आ जाएंगे तो बैठने की भी जगह नहीं रहेगी | टीचर हमें ही संभालते -संभालते थक गए | लीट वाले तो फिर भी कॉलेज से आएंगे, वे तो हमसे भी ज्यादा शरारती होंगे | अब प्लीज, आप जल्दी से तैयार हो जाए, मैं नीचे नाश्ते पर आपका इंतजार कर रही हूं |
राघव: ठीक है मेरी जान |
रिया मुस्कुरा कर वहां से चली गई और राघव कॉलेज के लिए तैयार होने लगा!!! रिया मिस्टर सिंघानिया और मिसेज सिंघानिया डाइनिंग टेबल पर राघव के आने का इंतजार कर रहे थे | कुछ देर बाद राघव तैयार होकर उनके पास आया |
राघव उनके पास आकर बोला-: गुड मॉर्निंग मॉम... गुड मॉर्निंग डेड...
मिस्टर एंड मिसेज सिंघानिया: गुड मॉर्निंग |
मिस्टर सिंघानिया: उठ गए कुंभकरण ! कभी टाइम से भी उठ जाया करो|
राघव चेयर पर बैठते हुए बोला: टाइम से उठ कर क्या करना है पापा, जाना तो कॉलेज ही है ना... और कॉलेज में कौन सा कोई पढ़ने जाता है, क्यों है ना रिया ?
रिया हंसते हुए: आप जाए या ना जाए मैं तो जरूर जाती हूं... पढ़ने।
राघव: हां तू है ना पढ़ाकू |
मिसेज सिंघानिया:अच्छा, अच्छा, अब तुम दोनों लड़ना बंद करो और चुपचाप खाना खाओ, कॉलेज के लिए लेट हो रहे हो |
रिया और राघव एक साथ: ओके मॉम |
चारों हंस देते हैं और फिर खाना खाना शुरु कर देते हैं | खाना खा कर रिया और राघव कॉलेज के लिए निकल पड़ते हैं |
आज कॉलेज में एक लड़की का पहला दिन था.| कुछ सीनियर्स उसके आसपास खड़े थे और उसका मजाक उड़ा रहे थे, कुछ उसके साथ गंदा बिहेव कर रहे थे.| वह लड़की चुपचाप उन सीनियर्स के बीच खड़ी थी | उसकी आंखों में एक चमक थी,. एक उम्मीद थी कि कोई एक तो इन सीनियर्स में ऐसा होगा जो लड़की की इज्जत करता होगा पर जब उसने देखा कि खुद एक लड़की ही दूसरी लड़की की रिस्पेक्ट नहीं कर रही तो उसकी यह उम्मीद खत्म हो गई थी और वह चुपचाप खड़ी थी |
रिया और राघव कॉलेज पहुंच गए थे | उन्होंने गाड़ी पार्किंग जोन में खड़ी की और कार से उतर कर आगे की ओर बढ़ने लगे, थोड़ी दूरी पर जाकर दोनों के पैर रुक गए |
राघव थोड़ा शरारती जरूर था पर उसने कभी किसी लड़की की रैगिंग नहीं की थी क्योंकि उसे किसी लड़की में इंटरेस्ट नहीं था | वह लड़की की बहुत इज्जत करता था क्योंकि उसके घर में भी उसकी बहन रिया थी | जितना प्यार वह अपनी बहन रिया से करता था, उसका मानना था हर भाई अपनी बहन से उतना ही प्यार करता है |
जब रिया और राघव ने देखा कि कुछ सीनियर्स किसी लड़की की रैगिंग कर रहे हैं तो उन दोनों के पैर वहीं रुक गए | वे दोनों खड़े होकर देखने लगे.| वे सीनियर्स उस लड़की को कह रहे थे-क्या गंवार बन कर आई है | यह कॉलेज है, कोई स्कूल नहीं, जो तू सूट डाल कर आई है और यह तुम्हारा दुपट्टा इसे तो कोई पोछा लगाने के लिए यूज कर ले, वहां ज्यादा अच्छा लगेगा |
सब एक दूसरे के हाथ पर ताली मार कर हंस रहे थे और उनके बीच खड़ी लड़की चुपचाप सुन रही थी | तभी अचानक उनमें से एक लड़के ने उस लड़की का दुपट्टा उतार दिया और दूर फेंक दिया |उस लड़की का दुपट्टा उड़ते हुए राघव के फेस पर जा गिरा.| वह लड़की अब रोने लगी थी क्योंकि वह दुपट्टा उस लड़की के लिए कोई फांसी का फंदा नहीं बल्कि उसकी इज्जत और मान सम्मान था | राघव ने उस दुपट्टे को अपने फेस से हटाया और उस लड़की की तरफ बढ़ने लगा |
उन सीनियर्स में से लड़कियाँ अब दूर हो गई थी और लड़के उस लड़की की तरफ बढ़ने लगे | सब लड़कियाँ ताली बजा-बजा कर हंस रही थी | उन लड़कों में से एक लड़का बोला- अरे ! अरे ! बेबी को बुरा लगा... रो क्यों रही हो बेबी, अभी तो हमने कुछ किया ही नहीं.| सब लोग ठहाके मारकर हंसे जा रहे थे... उन लड़कों में से एक लड़के ने उस लड़की की तरफ अपना हाथ बढ़ाया.| जैसे ही उसने उस लड़की की तरफ हाथ बढ़ाया राघव ने बीच में आकर उसका हाथ पकड़ लिया | राघव को देखते ही वह लड़के बोले: देख राघव यह हमारे बीच का मामला है तुम इसमें ना पड़ो तो ज्यादा अच्छा है | हट जा, हमारे सामने से.|
राघव: यह तुम्हारे बीच का मामला नहीं है बल्कि एक लड़की की इज्जत का मामला है और तुम जैसे लड़कों को किसी लड़की की इज्जत सिखाने के लिए राघव अकेला ही काफी है |
उनमें से एक लड़का बोला: देख राघव तू हमारा क्लासमेट है इसलिए प्यार से कह रहा हूं सामने से हट जा |
राघव: इतना ही है तो तू खुद क्यों नहीं हटा लेता मुझे सामने से.|
वह लड़का बोला: तू ऐसे नहीं मानेगा तुझे सबक सिखाना ही पड़ेगा.|
राघव: तुषार (उस लड़के का नाम लेकर) मैं तो वैसे भी नहीं मानूंगा|.
तुषार राघव को धक्का देकर: तेरी हिम्मत कैसे हुई तुषार के सामने आने की...
जैसे ही तुषार ने राघव को धक्का दिया राघव को गुस्सा आ गया. | राघव ने अब तक पीछे पलट कर उस लड़की को नहीं देखा था.| उसने तुषार की तरफ देखते हुए ही अपना हाथ पीछे करके उस लड़की की तरफ उसका दुपट्टा बढ़ा दिया | उस लड़की ने चुपचाप राघव के हाथ से दुपट्टा ले लिया और अपने सिर पर ढक लिया |. राघव ने गुस्से में तुषार को एक पंच दे मारा.| पंच लगते ही तुषार की नाक से खून बहने लगा.|
तुषार ने अपनी नाक को छुआ तो देखा उसमें से खून बह रहा है.| उसने राघव की तरफ गुस्से से देखा और उसको मारने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया.|.. राघव ने उसका हाथ पकड़ा और पूरी तरह से मरोड़ दिया. | तुषार ने अब अपने पास खड़े बाकी दोस्तों को राघव को मारने के लिए कहा |. अब वो सभी दोस्त राघव की तरफ बढ़ चुके थे.|
राघव मुस्कुराकर: तुम छछूंदर मुझे मारोगे मुझे, राघव सिंघानिया को,...तुम छछूंदरो से डरता नहीं मैं ऐसे ही नहीं हर दिन जिम में 2 घंटे पसीना बहाता हूं...| सब दोस्त एक साथ राघव पर टूट पड़े थे.|
5 मिनट बाद
राघव खड़ा हुआ मुस्कुरा रहा था और सभी दोस्त नीचे जमीन पर लेटे हुए करवटें बदल रहे थे.| राघव उन सब की धुलाई कर चुका था...|
राघव: तो अब सब कॉलेज की लड़की तुम्हारी क्या हुई...|
सब दोस्त एक साथ बोले: हमारी बहने हुई...|
राघव:कॉलेज में सब लड़कियों को आज से क्या कहकर बुलाओगे...?
हम अपनी बहने कह कर बुलायेंगे-सब दोस्तों ने बोला...|
राघव: इस लड़की से माफी कैसे मांगोगे...?
सभी दोस्त हाथ जोड़कर: हमें माफ कर दो बहन हमसे गलती हो गई...|
राघव: अब उठो और यही बात कहते-कहते क्लास तक पहुंच जाओ...|
सभी दोस्त उठे और बात को रिपीट करते हुए क्लास की ओर बढ़ने लगे...|
रिया राघव के पास आकर: वाह भाई! क्या मजा चखाया आपने... उस तुषार की तो सिटी पीटी गुल हो गई...
राघव हंसते हुए: वह कर भी क्या सकता था...?
राघव और रिया एक दूसरे को ताली बजाकर हंसने लगे.|.. राघव ने जैसे ही उस लड़की की तरफ अपना फेस घुमाया, तेज हवा चल रही थी जिसके कारण उस लड़की का दुपट्टा बार-बार हवा में उड़ रहा था|. यह लड़की बार-बार दुपट्टे को संभालने की कोशिश कर रही थी, राघव के फेस घुमाते ही दुपट्टे ने राघव का पूरा फेस ढक दिया |. राघव ने धीरे-धीरे अपने फेस से उस दुपट्टे को हटाया, तो उसकी नजर उस लड़की पर पड़ी.| वह लड़की अभी भी दुपट्टे को संभालने की कोशिश कर रही थी और राघव उसकी मासूमियत को बड़े प्यार से देखे जा रहा था.|
उसकी आंखें ब्राउन कलर की थी|. आंखों में एक तेज चमक थी | नूरी स्वरूप था उसका जिसके आगे चांद भी फीका पड़ जाए.| कोहिनूर डायमंड की तरह फेस चमक रहा था उसका.|.. ऐसा लग रहा था जैसे भगवान ने उसे फुर्सत से बनाया है..|. राघव ने उसे एक बार देखा और देखता ही रह गया.|.. राघव अभी उस लड़की की तरफ देख ही रहा था कि रिया उस लड़की से बोली. अरे !आप घबराइए मत वे लोग जा चुके हैं.|.. वैसे आपको कॉलेज में पहली बार देखा है,... क्या आप न्यू स्टूडेंट है...?
उस लड़की ने जवाब दिया:हां हम न्यू स्टूडेंट है और हमारा एडमिशन सेकंड ईयर में हुआ है| हम लीट से आए हैं |
रिया मुस्कुराते हुए: अरे वाह! हम भी सेकंड ईयर में है... मतलब आप हमारी क्लासमेट हुईं.|..हाय !मेरा नाम है रिया (उस लड़की की तरफ हाथ बढ़ाते हुए)|
उस लड़की ने रिया की तरफ अपना हाथ बढ़ाया और बोली: हाय !हम हैं सांची...|
भाग-2
दिल दोस्ती और प्यार
सांची: हाय हम हैं सांची...|
रिया: सांची... बहुत प्यारा नाम है आपका...|
सांची: जी धन्यवाद....|
सांची ने राघव की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखा था |उसकी पलकें नीचे झुकी हुई थी उसने हाथ जोड़ें और बोली: आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने आज हमारी हेल्प की.|.. हमें लगा था यहां पर कोई भी लड़की की इज्जत नहीं करता पर आपने हमें गलत साबित किया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...|
राघव जिसका ध्यान सांची की किसी भी बात पर नहीं था वह तो बस सांची को देखे जा रहा था.... उसने आज से पहले इतनी सिंपल और मासूमियत से भरी लड़की नहीं देखी थी.|.. वह बस उसे ही निहारे जा रहा था..|.
राघव को चुप देखकर रिया बोली: अरे भाई ! कहाँ खो गए ? सांची आपसे कुछ कह रही है...|
राघव का किसी भी बात पर ध्यान नहीं था...|
रिया राघव का कंधा हिलाते हुए: अरे भाई! कहां खो गए..?.
राघव हड़बड़ा कर: हम्मम... क्या... कुछ कहा तुमने...?
रिया: अरे भाई मैं तो कह रही हूं, कहां खो गए? सांची आपको धन्यवाद कह रही है...|
राघव ने सांची से कहा: अरे, इसकी कोई जरूरत नहीं यह तो मेरा फर्ज था..|.
सांची ने अभी तक राघव की तरफ देखा भी नहीं था... उसने राघव और रिया को धन्यवाद दिया और अपनी क्लास की तरफ बढ़ने लगी...|
तभी अचानक उसके कानों में आवाज पड़ी अरे कहां जा रही हो.?.. यह आवाज रिया की थी...|
सांची ने बिना पीछे पलटे कहां: जी वह हम क्लास में जा रहे हैं...|
रिया सांची के पास आकर: अरे! तो मैं भी तो वही जाऊंगी तुम मेरे साथ चलना..|. हम दोनों क्लासमेट्स हैं और वैसे भी तुम्हारा आज कॉलेज में पहला दिन है तो तुम्हें तो पता ही नहीं होगा क्लास कहां पर है.,.. तो तुम मेरे साथ चलो... और हां क्लासमेट्स फ्रेंड होते हैं... तो हम फ्रेंड्स (रिया ने सांची की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया)|
सांची ने मुस्कुराकर रिया की तरफ हाथ बढ़ाया: फ्रेंड्स...|
रिया: तो क्लास में चले...?
सांची: जी...|
रिया पीछे मुड़कर: भाई हम क्लास में जा रहे हैं... और आप भी क्लास में ही जाइएगा समझे आप...|
राघव: ओके मेरी नानी मां और कुछ...?
रिया हंसते हुए: नहीं.... चले सांची...( उसने सांची को कहा)|
सांची मुस्कुरा कर बोली: जी.,..चलिए...|
रिया और सांची अपनी क्लास की तरफ बढ़ जाती है और राघव अभी भी खड़े होकर सांची की तरफ देख रहा था.|.. वह मन ही मन सोचने लगा-यार अजीब लड़की है एक बार भी नजर उठा कर मेरी तरफ नहीं देखा.|.. मैं क्या उसे खा जाता,.. मैं कोई भूत हूं,... खैर... बहुत प्यारी है...(राघव ने गहरी सांस लेते हुए कहा)... और फिर अपनी क्लास की तरफ बढ़ गया..|.
सांची और रिया क्लास में पहुंच गए थे और जाकर सबसे पहले बेंच पर बैठ गए थे क्योंकि रिया हमेशा सबसे पहले बेंच पर ही बैठा करती थी तो उसने सांची को भी अपने साथ ही बिठा लिया.|..
सांची बैठते ही बोली-: रिया जी आप बहुत अच्छी हैं.|..
रिया एकदम से बोली- रिया जी.... अरे मैं तुम्हारी क्लासमेट हूं कोई सीनियर नहीं जो तुम मुझे जी कह रही हो.|.. मेरा सिंपल नाम लो|.. मेरा नाम रिया है, रिया सिंघानिया...|
सांची: जी...|
रिया: वैसे तुम बहुत खूबसूरत हो..|. बहुत किस्मत वाला होगा वह लड़का जो तुम्हारा जीवन साथी बनेगा...|
सांची: आप भी बहुत खूबसूरत है.|..हमें लगा था हमारा आज कॉलेज में पहला दिन है तो हम अकेले ही रहेंगे पर हमें नहीं पता था हमें आप जैसे दोस्त मिल जाएंगे..|.
रिया:एक तो तुम मुझे जी और आप कहना बंद करो| मैं तुम्हारी दोस्त हूं यार| दोस्तों को जी और आप थोड़ी कहते हैं...|
सांची मुस्कुराते हुए: ओके बाबा रिया.... तुम हो रिया...|
रिया हंसते हुए: यह हुई ना बात...|
रिया और सांची अभी बात कर ही रहे थे कि एक लड़का आकर उनके बेंच के पास खड़ा हो गया... और बोला: हाय रिया!... यह तुम्हारे साथ ब्यूटीफुल कौन है..|.
रिया थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए: तुमसे मतलब...|
अरे मैं तो वैसे ही पूछ रहा था-उस लड़के ने भाव देते हुए कहा...
रिया: देखो कुणाल... मुझे पता है तुम कैसे लड़के हो इसलिए हमसे तो दूर ही रहना..|.
कुणाल: वरना क्या कर लोगी तुम...?
रिया: कर तो मैं बहुत कुछ लूंगी... और अगर मैंने एक बार अपने भाई से कह दिया ना कि तुम मुझे परेशान करते हो तो कॉलेज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे तुम..|.
कुणाल: बहुत अकड़ है ना तुम में..|. मेरा वक्त आने दो यह सारी अकड़ उतार दूंगा...|
रिया: तुम्हारा वक्त... अरे 1 साल तो बीत गया है और कितना वक्त लेगा तू..?.
कुणाल जैसे ही कुछ बोलता सांची बोल पड़ी-भाई प्लीज आप क्यों हमें तंग कर रहे हैं.?.. रिया आपसे कह रही है ना कि आप उनसे दूर रहे तो दूर रहे.|.. क्यों तंग कर रहे हैं..?.
कुणाल: ओ बहन जी तुम बीच में ना बोलो तो ज्यादा अच्छा है..|.
रिया गुस्से से: देख कुणाल चुपचाप यहां से चला जा वरना अभी डायरेक्टर सर से शिकायत कर दूंगी तुम्हारी.|..
इससे आगे कुणाल कुछ कहता टीचर क्लास में आ गए थे.|.. कुणाल चुपचाप जाकर अपनी सीट पर बैठ गया और गुस्से से रिया और सांची को देखने लगा...|
उधर राघव भी अपनी क्लास में पहुंच गया था.|..उसने जैसे ही क्लास में एंटर किया तो देखा तुषार और उसके दोस्त दर्द से कराह रहे थे... वह उनके पास गया और बोला: क्यों करते हो तुम ऐसे काम पीटने वाले... प्यार से समझा रहा था समझ नहीं सकते थे.|.. अब चीखो, चिल्लाओ जो मर्जी करो पर प्लीज क्लास में बाकी बच्चों को डिस्टर्ब मत करो उन्हें पढ़ने दो.|.. राघव मुस्कुराता हुआ अपनी सीट पर जाकर बैठ गया...|
तुषार गुस्से से: उछल ले जितना उछलना है ब|हुत जल्द मैं तेरा यह उछलना बंद कर दूंगा...आहहहहह...(दर्द से कराहते हुए बोला)
राघव अपनी सीट पर बैठा हुआ था कि अचानक किसी ने कहा: अरे! आज तू मेरे से पहले आ गया...|
राघव ने नजर उठाकर देखा तो उसके दोस्त खड़े थे...|
राघव: क्या करूं आज जल्दी आना जरूरी जो था.|..पहला दिन था कॉलेज का वरना टीचर कहते पूरे साल तो लेट ही आता है कम से कम पहले दिन तो टाइम पर आ जाता...|
यह सुनकर उसके दोस्त हंसने लगे...|
राघव कही खोया सा बोला: और दीपक आज जल्दी आने का थोड़ा फायदा हो गया (उसने सांची को याद करते हुए बोला)...
उसका दूसरा दोस्त सौरभ बोला- ऐसा क्या देख लिया भाई तूने आज...?
दीपक: अरे सौरभ! यह क्या देखेगा शायद फिर से किसी की धुलाई की होगी वह देख तुषार को...(दीपक ने सौरभ को तुषार की तरफ इशारा करते हुए कहा)|
राघव जो कहीं खोया हुआ था... दीपक और सौरभ की किसी बात का जवाब नहीं दे रहा था...|
दीपक: अरे राघव कहां खो गया हम कुछ पूछ रहे हैं...|
राघव हड़बड़ा कर: हां क्या..?
सौरभ: मुझे लगता है दीपक आज किसी की पिटाई का मामला नहीं बल्कि कोई और ही मामला है.|.. चेहरा देख तू राघव का कैसे खिला खिला है...|
दीपक राघव की तरफ घूर कर देखते हुए: जरा फेस इधर करना...|
राघव ने फेस दीपक की तरफ कर दिया...|
दीपक फिर बोला: अब उधर करना...|
राघव हंसते हुए: यार क्या कर रहा है...
दीपक: देख रहा हूं तू हमारा ही राघव है या कोई और... बड़ा खोया खोया सा नजर आ रहा है..|.
सौरभ: लगता है कोई भूत प्रेत देख लिया है... या फिर कोई परी.|..
दीपक: भूत प्रेत नहीं मुझे तो लगता है कोई परी ही देख ली...|
राघव: हां यार वह किसी परी से कम भी नहीं...|
सौरभ: ओ बेटे... मतलब हमारा निशाना सही लगा... बता ना कौन है वो...?
राघव खोया सा बोला: कॉलेज में नई आई है,... रिया की क्लास में है,... सांची नाम है उसका... बस इतना ही पता है...|
दीपक: अरे! तू फिकर मत कर हम पूरी इंफॉर्मेशन निकाल देंगे..|.
राघव एकदम से होश में आया वह दोनों की तरफ घूर कर देखते हुए बोला: चुप करो तुम दोनों... मुझे किसी लड़की में इंटरेस्ट नहीं...|
सौरभ: अब तक नहीं था पर अब होने वाला है..|. तेरे फेस से साफ पता चल रहा है कितना नूर आ गया उस पर....|
राघव जैसे ही कुछ बोलने को हुआ क्लास में टीचर आ गई...| दीपक और सौरभ राघव के पास बैठ गए...|
टीचर: गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स... आप सब को जानकर अति प्रसन्नता होगी कि हमारे कॉलेज का आज पहला दिन है.|.. जैसा कि आप सब जानते हैं कॉलेज स्टार्ट होते ही यहां पर कॉलेज फंक्शन किया जाता है... जिसमें सभी फर्स्ट ईयर और न्यू स्टूडेंट्स को इंट्रोड्यूस किया जाता है..|. आप सब जानते हैं इस फंक्शन में हर तरह के कंपटीशन होते हैं... अगर आप सब स्टूडेंट्स में से कोई भी इस फंक्शन में भाग लेने के लिए इंटरेस्टेड है तो प्लीज अपना नाम लिखवा दीजिए...|
दीपक: चल ना राघव हम भी इसमें पार्टिसिपेट करते हैं...|
राघव: मैंने आज तक भाग लिया कभी और तू कह रहा है पार्टिसिपेट करो...|
सौरभ:अरे आज तक नहीं लिया तो अब ले ले और वैसे भी सांची पर इंप्रेशन जमाने का अच्छा मौका होगा..|.
राघव: तुम्हें लगता है मैं किसी लड़की पर इंप्रेशन जमाउंगा ?अरे वह तो बस वैसे ही...|
इससे पहले राघव कुछ कहता दीपक ने जाकर राघव का नाम लिखवा दिया...|
राघव दीपक को देखता रहा... और सौरभ सीट पर बैठे हुए हंसे जा रहा था... ले भाई लगी तेरी नैया पार...|
दीपक जब नाम लिखवा कर वापस आया तो राघव दीपक की तरफ घूर घूर कर देख रहा था.|.. राघव ने दीपक से कुछ नहीं कहा क्योंकि क्लास में टीचर थी...|
राघव मन ही मन: लंच ब्रेक होने दे बच्चू फिर तुझे देखता हूं...|
दीपक राघव के इशारे को अच्छे से समझ रहा था पर अब क्या हो सकता था उसने तो नाम लिखवा ही दिया.|... सौरभ और दीपक एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे... और वही राघव उन दोनों को देखकर घूरे जा रहा था...|
उधर रिया और सांची भी क्लास में बैठे हुए थे तो वहां पर भी यही सब अनाउंसमेंट हुई..|.
रिया बोली: अरे सांची तुम भी अपना नाम लिखवा दो यार.|..
सांची: नहीं, नहीं मुझे कुछ भी नहीं आता..|.
रिया: अरे नहीं नहीं क्या यार, एक गाना तो गा ही लेना... मैं कुछ नहीं सुन रही मैं तुम्हारा नाम लिखवा रही हूं...|
सांची इससे पहले कुछ कहती रिया ने जाकर सांची का नाम लिखवा दिया...।
सांची: पर रिया हमें कुछ नहीं आता...|
रिया: यहां पर किसी को कुछ नहीं आता... इसलिए चिल कर और पार्टिसिपेट कर...|
सांची ने अब हां कर दी...| लंच ब्रेक हो गया था सभी स्टूडेंट्स कैंटीन की तरफ बढ़ने लगे..|.
वही राघव दीपक को मुर्गा बनाकर उसकी पिटाई कर रहा था.|.. दीपक