प्रियंका इंसां दिल दोस्ती और प्यार सीजन - 1: अध्याय - 1 (सीजन 1 भाग 1): दिल दोस्ती और प्यार
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ये कहानी है दो ऐसे दोस्तों की जो एक दूसरे को ही अपना सब कुछ मानते हैं सुख दुःख भी एक दूसरे के साथ बांटते हैं तो लड़ते झगड़ते भी एक दूसरे से ही है, चिढ़ाते भी है मनाते भी है, दीया एक प्यारी और सुलझी हुई लड़की और वहीं कुश एकदम चंचल और नासमझ लड़का। दोनों ही बचपन के दोस्त हैं और एक दूसरे को खुद से ज्यादा जानते हैं और समझते हैं। दीया जोकि कुश से एकतरफा प्यार करती है और कुश जोकि उसे सिर्फ अच्छी दोस्त मानता है फिर भी दोनों एक दूसरे के साथ खुश हैं। लेकिन इनकी जिंदगी तब पलट जाती है जब इनकी जिंदगी में हीना नाम की एक लड़की की एंट्री होती है, जिससे कुश को हो जाता है प्यार, और दीया की खेलतीं जिंदगी हो जाती है तबाह, लेकिन इनकी जिंदगी में तब एक लड़का आता है जो इनकी प्रोब्लम को पुरी तरह से दूर करता है, बहुत ज्यादा समझदार, टॉप बिजनेसमैन, अपनी बहन का लाडला भाई मां बाप का दुलारा, लेकिन ये जितना खुश दिखता है उतना है नहीं, एक्चुअली इस लड़के ने अपनी प्रेमिका को खोया हैं, इसकी प्रेमिका ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की थी लेकिन ऐसी क्या वजह रही होगी जो उस लड़की ने ये कदम उठाया होगा? जी हां राघव और सांची के प्यार से भरी हुई ये कहानी आपको हर मोड़ पर मोहब्बत का अहसास कराएगी। राघव जिसने सांची के लिए अपना सब कुछ भुला दिया और पुरी लग्न और शिद्दत से अपने प्यार को निभाया तो वहीं सांची ने राघव की हर खुशी का ध्यान रखा, पर कहते हैं ना प्यार का मिलना कहा आसान है? जहां प्यार होता है वहा प्रोब्लम अपने आप जन्म ले लेती है, कुछ ऐसा ही हुआ इन दोनों की जिंदगी में और ये सांची की मौत का बड़ा कारण बना पर क्या? और क्यों? और राघव, दीया और कुश की जिंदगी में क्यों आया ऐसा क्या रिजन था जो वो उन दोनों की प्रोब्लम दुर करना चाहता है, क्या उसका कोई खास मकसद है या फिर कोई और वजह जानने के लिए पढ़ें दिल दोस्ती और प्यार।
प्रियंका इंसा
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प्रियंका इंसां दिल दोस्ती और प्यार सीजन - 1 - प्रियंका इंसां
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भाग-1
दिल दोस्ती और प्यार
दो मासूम सी जिंदगी समाज से परे बिना किसी फिक्र के बारिश में खेल रहे थे। एक दूसरे पर पानी फेंक रहे थे। कीचड़ में छम छम कर रहे थे। कि तभी अचानक तेज बिजली की गड़गड़ाहट हुई, लड़की जाकर लड़के की बाहों में सिमट गई। उस प्यारे से छोटे से बच्चे ने उस लड़की को अपनी बाहों में समेट लिया। कुछ देर बाद लड़की उससे थोड़ा दूर हुई और उसको जी भर के देखने लगी, और फिर प्यार से बोली-कुश मुझे तुम्हें कीस्सी (किस) देने का मन कर रहा है।
कुश ने बड़े प्यार से कहा- तो इसमें पूछने वाली क्या बात है दीया, दे दो - कहकर वह दीया की तरफ एकटक देखने लगा। दीया ने जल्दी-जल्दी बोलते हुए कहा- पहले अपनी आंखें तो बंद करो।
कुश: दीया, तुम जब भी मुझे किस करती हो मेरी आंखें बंद करवा देती हो मुझे महसूस कैसे होगा कि तुम इतनी अच्छी किस कैसे करती हो???
दीया- अगर तुम्हें किस को महसूस ही करना है, तो अपने दिल से महसूस करो।
कुश: ठीक है।
कुश ने अपनी आंखें बंद कर ली और दीया ने उसे बड़े प्यार से गाल पर किस कर दी।
किस करने के बाद दीया बोली- हां अब तुम आंखें खोल लो...
कुश ने अपनी आंखें खोली और फिर दीया की तरफ देखकर बोला- अब खुश???
दीया ने हां में सिर हिला दिया...
कुश: अच्छा!! अब घर चलो, वरना बारिश में ठंड लग जाएगी।
दीया: हां, वरना बड़ी मां मुझे डांटेगी कि मैं तुम्हें लेकर यहां आ गई।
कुश: हां और छोटी मां मुझे।
दोनों मुस्कुराते हुए अपने घर खन्ना एंड मेहता मेंशन पहुंचे!!!
सुमित्रा कुश के गीले बालों को पोंछते हुए- क्या जरूरत थी बारिश में खेलने की???
उधर सुमन दिया के बाल पोंछते हुए यही सवाल दिया से करती है।
कुश सुमित्रा से- छोटी मां, दीया मुझे लेकर गई थी।
दीया सुमन से- बड़ी मां, कुश मुझे लेकर गया था।
सुमित्रा- आने दो दिया को घर, फिर बताऊंगी उसे तो मैं।
सुमन: आने दो कुश को घर फिर बताऊंगी उसे तो मैं।
दीया परेशान सी सुमन से बोली: नहीं बड़ी मां, कुश को कुछ मत कहना।
कुश भी यही बात सुमित्रा से बोला: नहीं छोटी मां, दिया को कुछ मत कहना।
अच्छा, ठीक है, आओ, खाना खा लो, तुम्हारा पसंद का बना है
- सुमन और सुमित्रा ने दिया और कुश को कहा।
ये हैं कुश और दीया दो मासूम से आठ- दस साल के बच्चे, जब भी इनका झगड़ा होता है या किसी मुसीबत में होते हैं, तो कभी भी अपनी मां के पास नहीं जाते, हमेशा एक दूसरे की माँ के पास जाते हैं। इन दोनों का मानना है कि अगर यह अपनी माँ के पास गए तो वह इनकी बात सुनने से पहले इनकी पिटाई कर देगी। वैसे इन दोनों का मानना भी सही है क्योंकि माँ होती ही ऐसी है।।।।
स्कूल टाइम
एग्जाम हॉल में एग्जाम चल रहा था, दीया अपने एग्जाम में हमेशा फर्स्ट आया करती थी, और वहीं कुश हमेशा दिया में से चीटिंग किया करता था, दीया हमेशा कुश की हेल्प किया करती थी। आज भी कुश ऐसे ही बैठा हुआ था, उसे कुछ आ ही नहीं रहा था। दीया ने अपना एग्जाम करके कुश के एग्जाम से चेंज कर दिया क्योंकि दोनों के बेंच पास में ही होते थे Iपहले उसने कुश का पेपर किया फिर जितना टाइम बचा उसमें अपना पेपर किया।
पर फिर भी आज दिया ही फर्स्ट आई। इस पर कुश ने गुस्से से कहा-तुम हमेशा अपना पेपर सही करती हो मेरे पेपर में हमेशा गलती करती हो इसलिए तुम फर्स्ट आती हो।
दीया ने जवाब देते हुए कहा- शुक्र मनाओ मैं तुम्हारा पेपर कर देती हूं वरना तुम्हारा फर्स्ट आना तो दूर की बात तुम पास भी नहीं हो पाते।
कुश: चल हट छिपकली, तुम हमेशा मेरे साथ चीटिंग करती हो।
दीया: ओ हेलो कॉकरोच ! अगर मैं चीटिंग ना करवाऊं ना तुम्हारी... तो तुम फेल हो जाओगे।
कुश: मैं भी अपनी मेहनत कर सकता हूं और सिर्फ पास नहीं मैं फर्स्ट भी आ सकता हूं समझी छिपकली...
दीया हंसते हुए- तू और मेहनत ! हो ही नहीं सकता, तू तो हमेशा मेरी मां के सिर पर चढ़कर बैठा रहता है, कुछ पढ़ता ही नहीं।
कुश: मेरी छोटी मां के बारे में कुछ मत कह देना छिपकली, क्योंकि तुम भी तुम्हारी बड़ी मां के सिर पर चढ़कर बैठी रहती हो।
दीया: ओ हेलो कॉकरोच ! मेरी बड़ी मां के बारे में कुछ मत कह देना तुम्हारी छोटी मां से अच्छी है मेरी बड़ी मां।
कुश ने दिया को धक्का दिया और वहां से भाग गया। वह भागकर सीधे छोटी मां के पास आया। दीया भी रोते हुए बड़ी मां के पास आई।
दीया रोते हुए सुमन से-बड़ी मां कुश ने मुझे मारा।
सुमन झूठा गुस्सा करते हुए: क्या ! उसकी इतनी हिम्मत कि मेरी बेटी को मारा। आने दो उसे...आज तो वह गया उसकी इतनी पिटाई होगी कि वह जिंदगी भर याद रखेगा।
कुश सुमित्रा से: छोटी मां दीया हमेशा मेरे साथ धोखा करती है वह अपने पेपर अच्छा अच्छा कर लेती है और मेरा पेपर गंदा कर देती है।
सुमित्रा: यह दिया कुछ ज्यादा ही सिर पर चढ़ गई है । आने दो उसे...बताऊंगी आंज मैं उसे।
दीया और कुश दोनों मन ही मन मुस्कुरा रहे थे और एक दूसरे से कह रहे थे आज तो तुम गए।
सुमन दीया को लेकर खन्ना हाऊस आई और चिल्लाते हुए बोली- कुश! बाहर निकल अपनी छोटी मां के पल्लू से तुमने आज मेरी बेटी को मारा है, बहुत तंग करता है तु उसे। आज मैं तुम्हें ऐसी डांट लगाऊंगी, तुम पूरी जिंदगी याद रखोगे...
सुमित्रा और कुश ने आवाज सुनी और गेट की तरफ बढ़ गए... सुमित्रा गेट पर आकर बोली- आहाहाहा और तुम्हारी यह लाडली बेटी जो हमेशा मेरे कुश को तंग करती रहती है इसका क्या???
दीया एकदम से बोल पड़ी- मैं कुश को तंग नहीं करती, माँ कुश मुझे तंग करता है, (उसने मुंह बनाकर कहा)
कुश उसके पास आकर बोला- अच्छा और तुम हमेशा जो मेरे साथ लड़ती है उसका क्या???
दीया उसे आंखें दिखाते हुए बोली-: मैं तुम्हारे साथ नहीं लड़ती, तुम हमेशा मेरे साथ लड़ते हो कॉकरोच कहीं के...
कुश जवाब देते हुए बोला- अच्छा!! मैं लडता हूं तुम्हारे साथ...अगर तुम्हें मुझ से इतनी ही प्रॉब्लम है तो मेरे इर्द-गिर्द क्यों रहती है? मत घुमा कर ना मेरे साथ साथ।
दीया ने मूंह टेढ़ा करते हुए कहा: वह तो मुझे तुम्हें किसी और के साथ देख कर गुस्सा आता है, और वैसे भी मुझे सबको सचेत करना होता है कि इस कॉकरोच से दूर ही रहना वरना यह तुम्हें काट लेगा।
कुश गुस्से में बोला-: हे छिपकली! मुझे कॉकरोच बुलाना बंद कर ।
दीया: तुम हो कॉकरोच, तुम हो कॉकरोच, तुम हो कॉकरोच....
कुश: तुम यहां से चली क्यों नहीं जाती???
दीया: मैं क्यों जाऊं तुझे प्रॉब्लम है ना तो तू जा ना...
कुश: यह मेरी छोटी मां का घर है I मैं यहां जब तक चाहे रह सकता हूंI तुम यहां से निकलो, छिपकली कहीं की...
सुमित्रा और सुमन उन दोनों का से लड़ते हुए देख रहीं थीं और मन ही मन मुस्कुरा रहीं थीं ।
दीया: तू एक कॉकरोच है तो तु किसी जंगल क्यों नहीं चला जाता।
कुश: बड़ी माँ समझा दो इसे वरना फिर आप कहोगी मैं ने इसे तंग किया।
दीया कुश के पास जाकर उसके बाल पकड़कर: तुने मुझे धक्का दिया था ना, ले, अब तु मुझसे बच कर दिखा।
कुश ने भी दिया के बाल पकड़ लिए और दोनों लड़ने लगे।
सुमन और सुमित्रा ने उन दोनों को पकड़कर डांट कर रोका पर दोनों एक दूसरे को गुस्से से घुर रहे थे।
सुमन हंसते हुए बोली: सुमित्रा हमारी दोस्ती कब रिश्तेदारी में बदलेगी इसका तो पता नहीं पर यह दीया और कुश की दोस्ती कब लड़ाई में और कब वापस दोस्ती में बदल जाती है यह दोनों अच्छे से जानते हैं।
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भाग-2
दिल दोस्ती और प्यार
दीया अपने रूम में खड़ी खुद से बोली: कुश से लडाई करके कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। उससे जाकर सॉरी कह देती हुं और उसे मना लेती हुं।
उधर कुश का भी हाल कुछ ऐसा ही था। शायद गलती मेरी है, मुझे दिया से माफी मांगनी चाहिए।
दोनों एक दूसरे से माफी मांगने के लिए अपनी फेवरेट जगह पहुंच जाते हैं।
दीया कुश के पास जाकर बोली- मुझे माफ कर दो कुश मेरी गलती थी। एम सॉरी...
कुश: नहीं दीया मेरी गलती थी मैंने तुम्हें धक्का नहीं देना चाहिए था।
दिया: कोई बात नहीं कुश। हम हमेशा अच्छे दोस्त रहेंगे।
कुश: हां अब आओ, मेरे गले लग जाओ।
दोनों एक दूसरे के गले लगते हैं।
कुश गले लगकर बोला- दीया तुम मुझे छोड़ कर कभी तो नहीं जाओगी ना।
दीया: मैं अपने कॉकरोच को छोड़कर कभी नहीं जाऊंगी।
कुश: और मैं भी अपनी छिपकली को छोड़कर।
दोनों की दोस्ती दिन पर दिन परवान चढ़ती जा रही थी Iदोनों एक दूसरे के बिना एक पल नहीं रह पाते थे। जैसे-जैसे दीया और कुश बड़े होते गए दीया कुश से प्यार करती चली गई पर कुश हमेशा शैतानी करता था I उसको प्यार का मतलब भी नहीं पता था Iवह हर बात को मजाक में ले लिया करता था।
15 साल बाद
दीया को सजना सवरना बहुत पसंद था I वह अपने रूम में अपने कॉलेज के लिए तैयार हो रही थी। उधर कुश भ अपने कॉलेज के लिए तैयार हो रहा था I और उसे सजना सवरना सिर्फ इसलिए नहीं अच्छा लगता था कि उसे पसंद था वह त सिर्फ लड़कियों के लिए सजता था। लड़कियों के साथ फ्लर्टिंग करना तो कुश की बहुत पुरानी आदत थी। दीया को कभी-कभी कुश का लड़कियों से बात करना बुरा लगता था पर वह उसे कभी कुछ नहीं कहती थी चुपचाप सहन कर लेती थी क्योंकि वह कुश पर कोई भी पाबंद नहीं लगाना चाहती थी I वह नहीं चाहती थी कि कुश और उसकी दोस्ती में कभी कोई कड़वाहट पैदा हो।
सुमन खाना बनाकर हॉल में आते हुए कुश को आवाज देने लगी: कुश... कुश...
कुश आईने के सामने खडा तैयार होते हुए: आया मां
सुमन: कहा है तु जल्दी आ...
कहकर वह अपनी मेड के पास जाकर बोली- कुश के लिए आमलेट बना दिया रीटा?
रीटा आमलेट बनाते हुए- जी मेम साहब, और दलिया भी बनाया है कुश बाबा को बहुत पसंद है ना...
सुमन मुस्कुरा कर: अच्छा किया देख यहां नैपकिन रख दे और फ्रिज पर बादाम रखें है उसे उठा लाओ कुश के लिए, ठीक है।
रीटा: जी मेम साहब।
तभी दोनों के कानों में कुश की आवाज पड़ी: मां आप बस मेरा ही ख्याल रखते हो खुद का नहीं।
सुमन ने कुश की तरफ देखा और फिर उसके पास जाकर बोली-: जाने भी दे बेटा, अब इस उमर में मैं बदाम खा कर क्या करुंगी। कहकर दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठ गए!!! रीटा ने दोनों को खाना दिया और फिर दोनों खाना खाने लगते हैं, तभी सुमन कुश की ड्रेस की तरफ देख कर बोली- तू यह कपड़े पहनकर कॉलेज जाएगा।
कुश ने पहले अपनी ड्रेस की तरफ देखा और फिर सुमन की तरफ देखकर बोला: क्यों मां, कोई प्रॉब्लम? अच्छे नहीं है???
सुमन ने आंखें घुमाते हुए कहा: प्रॉब्लम यह है, इतने अच्छे कॉलेज में पढ़ता है, पर यह तेरा फैशन मुझे कभी समझ नहीं आता।
कुश मुस्कुरा कर- कॉलेज का पहला दिन है मां और मैं ठहरा सीनियर स्टूडेंट तो थोड़ा इंप्रेशन तो जमाना ही है ना...
सुमन: अच्छा, यह इंप्रेशन जो है यह टपोरी बनकर जमाना होता है...
कुश खानसने लगा- नहीं मां वो क्या है ना कि आज न्यू स्टूडेंट को रैगिंग करने का दिन है.. और तेरे बेटे की शक्ल देख कर कोई लड़की डरने वाली तो है नहीं इसलिए टपोरी बन गया।
सुमन गहरी सांस लेकर: जो भी कर पर पढ़ लिख कर, कुछ बन जा जिंदगी में, अपने पापा की तरह..
कुश एकदम से खड़ा होकर- पापा की तरह बिल्कुल भी नहीं, मैं फौजी कभी नहीं बनूंगा... मैं आपको ऐसे कभी छोड़कर नहीं जा सकता जैसे पापा हमें छोड़ कर चले गए..
सुमन: तो क्या बनना है?
कुश: मां तुम जो कहोगी मैं वह बनूंगा पर एक फौजी कभी नहीं... अब मैं जाऊं?
सुमन: हां जाओ पर किसी मासूम लड़की की रैगिंग मत करना ठीक है।
कुश हंसते हुए: अरे मां I आजकल मासूम लड़कियां मिलती ही कहां है। कहकर वह दरवाजे की तरफ बढ़ गया...
सुमन पीछे से आवाज़ देते हुए- और दीया का ख्याल रखना, उसे साथ लेकर जाना, ओके।
कुश चलते हुए- वह हर रोज मुझे लेट करा देती है, हर रोज में उसके वेट में बाहर खड़ा रहता हूं, देखना आज भी यही होगा...
दुसरी तरफ सुमित्रा दूध का गिलास दीया की तरफ बढ़ाते हुए बोली-: दीया बेटा दूध पी ले,कब से ठंडा हो रहा है।
दीया दुध का गिलास पकड़कर: क्या मां हर रोज दूध.... मुझे बिल्कुल नहीं अच्छा लगता यह,
सुमित्रा: पीना तो पड़ेगा बेटा वरना कल को तुम्हारे ससुराल वाले हमें ही ताने मारेंगे कि क्या खिलाया अपनी बेटी को जो एकदम पतली सी है..।
दीया एक घूंट में सारा दूध पी लेती है।
सुमित्रा दीया के आगे खाने की प्लेट रखकर: यह खाना खा लो।
दीया: नहीं मां मुश्किल से तो यह दूध पिया है अभी यह खाना बिल्कुल भी नहीं...
तभी बाहर से आवाज आती है दीया जल्दी चलो लेट हो रहे हैं।
दीया ने आवाज सुनकर कहा: मां लगता है कुश आ गया... और अगर आज मैं लेट हुई तो फिर कहेगा मुझे हर रोज लेट करा देती है
ये लड़का 10 मिनट मेरा इंतजार नहीं कर सकता।
फिर थोड़ा इमोशनल होकर बोली-और एक मैं हूं जो पिछले 15 साल से उसका इंतजार करती आ रही हूं पर वह तो हमेशा दूसरी लड़कियों में बिजी रहता हैI पता नहीं उसे मेरे प्यार का कब एहसास होगा।
सुमित्रा: बेटा तु एक बार उससे कह क्यों नहीं देती..और वैसे भी मैंने और सुमन ने तो हमारी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने की ठान ही रखी है।
दीया: कह तो दूं मां पर कहीं मैं उसकी दोस्ती भी ना खो दुं।
दीया प्लीज जल्दी बाहर आओ-कुश ने दोबारा आवाज दी।
दीया एकदम से: हां आई बस 2 मिनट
सुमित्रा: अच्छा चलो, तुम्हें खाना नहीं खाना तो मैं पैक कर देती हूं??
दीया: मां वह स्कूल नहीं कॉलेज है और कॉलेज स्टूडेंट टिफिन नहीं लेकर जाया करते।
सुमित्रा: इसका मतलब तुम्हारे ससुराल वालों के ताने मुझे ही सुनने पड़ेंगे...
दीया: मां आप भी ना..
तभी कुश घर के अंदर आकर बोला- यार दीया कब से बाहर इंतजार कर रहा हूं चलना नहीं है क्या???
सुमित्रा: अरे बेटा, इसने तो खाना भी नहीं खाया है।
कुश सुमित्रा के पैर छूकर अपने गले से लगा कर बोला- मत खाने दो मां वैसे भी मोटी हो गई है ।
दीया आंखें बनाते हुए: अगर मां बेटे का प्यार हो गया हो तो चले कॉलेज के लिए...
कुश सुमित्रा को किस कर के: हां, चलो।
सुमित्रा ने कुश को हल्का था थप्पड़ लगाया और हंसते हुए बोली: संभल कर जाना दोनों।
दोनों हा में सिर हिला कॉलेज के लिए निकल पड़ते हैं।
कुश कार में बैठा हुआ बोला- तुम हमेशा मुझे लेट करवा देती हो I जानती हो ना आज कितना इंर्पोटेंट दिन है???
दीया उसकी बगल में बैठी हुई बोली: हां मैं अच्छे से जानती हूं कि कितना इंपॉर्टेंट दिन है!! आज नई नई लड़कियों जो देखने को मिलेंगी तुम्हें...
कुश: हां यार, कितनी सारी लड़कियाँ आएँगी आज... आज तो मैं किसी को पटा ही लूंगा...
दीया मन में सोचते हुए: कितना बुरा लगता है अपने ही प्यार को खुद से दूर जाते हुए देखकर... क्यों तुम्हें मेरी आंखों में अपने लिए प्यार नहीं दिखाई देता।
कहकर वह खुद से बोली -छोड़ दीया, क्या सोचने लग गई...
दोनों बातें करते हुए कॉलेज पहुंच गए। वहाँ पर सभी दोस्त उनका इंतजार कर रहे थे।
कुश कार से उतरकर: हे गाइस ! हाउ आर यू।
सभी दोस्त: औह कुश हेलो। कहकर सब दीया से बोले जो दुसरी तरफ से कार से उतरकर उनके पास आई- हेलो दिया..
दीया भी मुस्कुरा कर बोली: हेलो गाइस।
तभी सब इकट्ठा होकर रैंगिंग के लिए प्लान बनाते हैं।
कुश प्लान सुनकर: क्या!! आर यू सीरियस ?
दीया उसे समझाते हुए बोली: अरे! बहुत मजा आएगा कुश...
सब हंसने लगे तो कुश मान गया। तभी अचानक एक लड़की कार से उतरती है, कुश की निगाह उस पर जाकर टिक जाती है और वह उस लड़की को देखता रहता है। वह उसकी खूबसूरती में इतना खो गया था कि उसे ध्यान ही नहीं रहा वह कहां पर खड़ा है।
दीया: क्या हुआ कुश, कहां खो गए..
कुश ने कोई जवाब नहीं दिया।
दीया कुश के कंधे को हिला कर- अरे कुश कहां खो गए ? कब से आवाज लगा रही हूं।
कुश एक बार दिया की तरफ देखता है और वापस उस लड़की की तरफ देख कर: वाओ! कितनी सुंदर है..
दीया का ध्यान अब उस लड़की की तरफ गया- वह समझ गई थी कुश शायद इसी लड़की की रैगिंग करने वाला है।
सब दोस्त उस लड़की की तरफ देख रहे थे... उनमें से एक बोला- चलो जो उसे छोड़ने आया था, वह तो जा रहा है।
वह लड़की बड़बड़ाती हुई आगे बढ़ रही थी कम ऑन हिना, तुम कर सकती हो। कुछ नहीं होता रैगिंग वेगिंग तुम कर सकती हो, इन लड़कों को मजा चखा सकती हो...
तभी उनमें से दो दोस्त हिना के आगे खड़े हो गए- हाय हाय ! क्या लड़की है एकदम मस्त चाल...
हिना उन्हें इग्नोर करते हुए आगे बढ़ रही थी। तभी सब दोस्त हिना के चारों तरफ खड़े हो गए। हिना अब अपने आप को एक चंगुल में फंसता हुआ पा